खालिस्तानी पन्नून के खिलाफ रेड कॉर्नर की मांग हुई खारिज !

 इंटरपोल ने भारत सरकार के अनुरोध को ठुकराया ...

खालिस्तानी पन्नून के खिलाफ रेड कॉर्नर की मांग हुई खारिज !


खालिस्तानी अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नून के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने से इंटरपोल ने इनकार कर दिया है। यह दूसरी बार है कि इंटरपोल ने इस मामले में भारत सरकार के अनुरोध को खारिज किया है। इंटरपोल का कहना है कि भारतीय अधिकारी इस मामले में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं करा पाए। बता दें हिमाचल प्रदेश विधानसभा के दरवाजे पर खालिस्तान का झंडा फहराने के बाद सिख फॉर जस्टिस चर्चा में आया था। इससे पहले और इसके बाद भी यह संगठन कई देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है। इस संगठन पर 2019 में केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। 

सूत्रों के मुताबिक, इंटरपोल ने इस मामले में कहा है कि यूएपीए (UAPA), जिसके तहत रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की मांग की गई है। एजेंसी ने कहा है कि UAPA की आलोचना अल्पसंख्यक समूहों को टारगेट करने और अन्य कार्यकर्ताओं के अधिकारों के खिलाफ इस्तेमाल के लिए की गई है। हालांकि, इंटरपोल ने माना है कि पन्नून एक 'हाई-प्रोफाइल सिख अलगाववादी' है और एसएफजे एक ऐसा समूह है जो एक स्वतंत्र खालिस्तान की मांग करता है। इसके बावजूद इंटरपोल का कहना है कि उसकी गतिविधियां गतिविधियों का एक स्पष्ट राजनीतिक उद्देश्य है, जो इंटरपोल के संविधान के अनुसार रेड कॉर्नर नोटिस का विषय नहीं हो सकता है।

पन्नून अमेरिका में रहता है और न्यूयॉर्क में वकालत करता है। उसे सिख फॉर जस्टिस का चेहरा माना जाता है। पन्नून कई सारी आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है। पन्नून ने दो साल पहले 'रेफरेंडम 2020' आयोजित करने की कोशिश की थी, जिसमें उसने दुनियाभर के सिखों से खालिस्तान के समर्थन में वोट देने की अपील की थी। पन्नून युवाओं को खालिस्तान के लिए भड़काता रहा है। जुलाई 2020 में पन्नून को यूएपीए के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पन्नून ने एक बार भारतीय छात्रों को खालिस्तानी झंडा उठाने और खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाने को कहा था और इसके बदले में उन्हें आईफोन 12 मिनी देने का वादा किया था। 

खालिस्तान की मांग को लेकर कई संगठन बने हैं और इन्हीं में एक है सिख फॉर जस्टिस। इस संगठन का गठन 2007 में अमेरिका में हुआ था। इसका सारा कामकाज पन्नून ही देखता है। इस संगठन का मकसद पंजाब को देश से अलग कर खालिस्तान बनाने का है। इस संगठन की सांठगांठ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से बताई जाती है। जुलाई 2019 में केंद्र सरकार ने सिख फॉर जस्टिस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था। तब पाकिस्तान से इसके कनेक्शन की बातें सामने आई थीं। जुलाई 2019 तक राष्ट्रीय जांच एजेंसी, पंजाब पुलिस और उत्तराखंड पुलिस के सामने 12 आपराधिक मामले दर्ज थे। इन मामलों में 39 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।  

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन के समय भी सिख फॉर जस्टिस का नाम सामने आया था। एनआई ने दिसंबर 2020 में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं के इस संगठन से कनेक्शन की बात सामने आई थी।  

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