साजिश के आरोप लगाकर तीस्ता सीतलवाड़ ने PM मोदी के खिलाफ लड़ा केस

 गुजरात दंगा मामले में ...

साजिश के आरोप लगाकर तीस्ता सीतलवाड़ ने PM मोदी के खिलाफ लड़ा केस 



गुजरात में 2002 के दंगों के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बड़े अधिकारियों को फंसाने के लिए कथित रूप से दस्तावेज गढ़े गए थे, जिन्हें तैयार करने का आरोप तीस्ता सीतलवाड़ पर लगा था और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. शुक्रवार को चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने दलीलें सुनकर तीस्ता को अंतरिम जमानत दी. तीस्ता सीतलवाड़ गुजरात दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के नाम बनी 'सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस' नामक गैर सरकारी संगठन की सचिव हैं. उनकी संस्था ने कोर्ट में याचिका दायर कर नरेंद्र मोदी और अन्य 62 लोगों के खिलाफ दंगों में सहभागिता का आरोप लगाया था और आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी. 

तीस्ता सीतलवाड़ के पिता अतुल सीतलवाड़ वकालत के पेश में थे दादा एमसी सीतलवाड़ देश के पहले अटॉर्नी जनरल थे. तीस्ता ने पत्रकारिता भी की है और उनके पति जावेद आनंद का नाता भी मीडिया से रहा है.2013 में अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी के 12 लोगों ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर तीस्ता के खिलाफ विदेशी फंड मामले में जांच की अपील की थी. 2002 गुजरात दंगों में इस सोसायटी के 69 लोग मारे गए थे जिनमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे. शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि तीस्ता ने सोसायटी में म्यूजियम बनाने का वादा किया था और इसके लिए विदेशों से आए करीब डेढ़ करोड़ रुपयों के साथ घालमेल किया. 

जनवरी 2014 में तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद के अलावा एहसान जाफरी के बेटे तनवीर और दो अन्य के खिलाफ अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने प्राथमिकी दर्ज की थी. पुलिस ने जांच के बाद दावा किया था कि तीस्ता और जावेद ने म्यूजियम के लिए जुटाए विदेशी रुपयों से क्रेडिट कार्ड के बिल चुकाए, जिनसे गहने और शराब खरीदी गई थी. गुजरात सरकार ने कहा था कि अमेरिका स्थित फोर्ड फाउंडेशन से तीस्ता ने अपने एनजीओ के लिए जो पैसे जुटाए, उनका इस्तेमाल उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और भारत की छवि खराब करने के लिए किया. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फोर्ड फाउंडेशन को निगरानी सूची में डाल दिया था. बाद में तीस्ता पर सीबीआई केस शुरू हुआ.तीस्ता कई बार सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने की कोशिशों के बीच अदालत से राहत पाकर बचती आईं. तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद का कहना है कि उनके खिलाफ कार्रवाई द्वेषपूर्ण और प्रायोजित है. गुलबर्ग सोसायटी विवाद मामले को लेकर उस वक्त तीस्ता ने कहा था कि 24 हजार पन्नों के सबूत देने के बावजूद उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की गई. उन्होंने गुजरात सरकार पर उन्हें कानूनी पचड़ों में फंसाए रखने का आरोप लगाया था.

तीस्ता सीतलवाड़ ने गुजरात दंगों से जुड़ा केस लड़ने वाली याचिकाकर्ता जाकिया जाफरी का समर्थन किया था. जाकिया जाफरी गुजरात की गुलबर्ग सोसायटी में दंगों में मारे कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं. उन्होंने गुजरात दंगों पर आधारित एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट को अदालत में चुनौती दी थी और उसे सार्वजनिक करने की मांग की थी. जाकिया ने पहले गुजरात कोर्ट का रुख किया था फिर सुप्रीम कोर्ट गई थीं. एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य 63 अधिकारियों को क्लीन चिट दी गई थी. तीस्ता सीतलवाड़ को 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने पद्मश्री से नवाजा था. 2002 में कांग्रेस ने उन्हें राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार दिया था. इसके अलावा, उन्हें 2000 में प्रिंस क्लॉस अवार्ड, 2003 में नूर्नबर्ग अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार पुरस्कार, 2006 में नानी ए पालकीवाला पुरस्कार और 2009 में कुवैत में भारतीय मुस्लिम संघों के समूह द्वारा उत्कृष्टता पुरस्कार मिल चुके हैं.

सुप्रीम कोर्ट  ने 2002 के गुजरात दंगों  में निर्दोष लोगों को फंसाने के कथित सबूत गढ़ने के आरोप में साजाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत  दे दी. उन्हें 25 जून को गिरफ्तार किया गया था. शीर्ष अदालत ने सीतलवाड़ को तब तक निचली अदालत में उनका पासपोर्ट जमा कराने का आदेश दिया है जब तक कि हाई कोर्टनियमित जमानत पर फैसला नहीं सुनाता. सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलबाड़ को मामले की जांच में एजेंसी का सहयोग करने का भी निर्देश दिया है.

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