एक देश-एक चुनाव' के लिए मांगा सहयोग
नकवी ने राजनीतिक दलों से ...
एक देश-एक चुनाव' के लिए मांगा सहयोग
रामपुर: पूर्व कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी बुधवार को रामपुर पहुंचे. यहां उन्होंने प्रेस वार्ता कर 'एक देश-एक चुनाव' पर सभी राजनीतिक पार्टियों से सहयोग मांगा. इस दौरान मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा बार-बार चुनाव से जन-धन की बर्बादी होती है और विकास कार्य रुक जाते हैं. एक देश-एक चुनाव की अपील के साथ वो विपक्षी दलों पर जमकर बरसते दिखे. इस दौरान इशारों में उन्होंने सपा मुखिया अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग सोने का चम्मच लेकर पैदा होते हैं और अपनी पार्टी का नेता बन जाते हैं.
प्रेस वार्ता के दौरान पूर्व कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि आज जो सबसे अहम मुद्दा है वह चुनाव है. आज 'वन नेशन-वन इलेक्शन' (एक देश-एक चुनाव) की जरूरत है. सभी राजनीतिक दलों को राजनीतिक स्वार्थ और पूर्वाग्रह से ऊपर उठकर के एक देश-एक चुनाव की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिशा में देश को भी आह्वान किया है और राजनीतिक पार्टियों को भी.मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि हर 6 महीने में किसी न किसी जगह चुनाव होते रहते हैं. लोकसभा और विधानसभा के चुनाव लगातार चलते रहते हैं. उससे महत्वपूर्ण तीन नुकसान हैं. पहला नुकसान है जन-धन की बेतहाशा बर्बादी. दूसरा है कि चुनाव प्रक्रिया के तमाम उसूल होते हैं, इससे विकास में स्पीड ब्रेक लगता है. तीसरा यह है कि चुनाव के प्रति लोगों का उत्साह फीका और धीमा पड़ता है. इसलिए वन नेशन वन इलेक्शन की जरूरत है.
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बयान, सीएम झूठ न बोल सकें इसलिए दो डिप्टी सीएम रखे हैं. इस पर मुख्तार अब्बास नकवी ने अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग सोने का चम्मच लेकर पैदा होते हैं और अपनी पार्टी का नेता बन जाते हैं. देश की पॉलिटिक्स परिवार पालने से नहीं चलती है, बल्कि परिश्रम और परिणाम इस देश की पॉलिटिक्स को तय करता है. उनको यह समझना चाहिए कि पीएम मोदी ने देश की सियासत की संस्कृति में बहुत बड़ा बदलाव कर दिया है.दिल्ली में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के विवाद को लेकर मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि आम आदमी पार्टी जनता के लिए चूचू का मुरब्बा बन गई है. चूचू का मुरब्बा ऐसा होता है कि न उगलते बन रहा है और न निगलते बन रहा है. सपनों की सौदागरी करते-करते दिल्ली और पंजाब को जो सपने दिखाए थे, वह सारे बेनकाब हो रहे हैं. अफसोस की बात है कि वह जनादेश का सम्मान करने के बजाय जनादेश का अपमान करने में विश्वास करते हैं.
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