आज से रहेगी देश में गणेशोत्सव की धूम

गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...

आज से रहेगी देश में गणेशोत्सव की धूम 


आप सभी को श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाऐं - जी न्यूज़ 24 (ग्वालियर न्यूज़ परिवार 24)

हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने में दो चतुर्थी तिथि आती है, लेकिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी बहुत ही खास मानी जाती है। इस तिथि पर ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए सभी चतुर्थी में यह सबसे प्रमुख होती है। भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त में घर में गणपति की मूर्ति स्थापित की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों का मानना है कि घर पर सुख-समृद्धि , शांति और बाधाओं को दूर करने के लिए घर पर गणपति की स्थापना और विधि-विधान के साथ गणपति की पूजा लाभकारी होती है। आज से गणेश उत्सव शुरू हो गया है। मान्यता है कि भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि पर विध्नहर्ता और मंगलमूर्ति भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसी कारण से सभी चतुर्थी में इसका विशेष स्थान है। आज से घर-घर और बड़े-बड़े पंडालों में गणेश प्रतिमाएं स्थापित करके उनकी विधिवत पूजा-अर्चना शुरू होगी। गणेशोत्सव 10 दिनों तक चलेगा।

भगवान गणेश के भक्त अपने घरों और सार्वजनिक जगहों पर गणेशजी की भव्य प्रतिमाएं स्थापित करके विधि-विधान से पूजा कर रहै हैं। गणेशोत्सव का पर्व 9 सितंबर तक चलेगा। ऐसे आने वाले 10 दिनों में भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हुए भगवान गणपति से जीवन में सुख-समृद्धि और संपन्नता का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।

गणेश स्थापना शुभ मुहूर्त,तिथि, शुभ महूर्त और योग

सुबह- 6 से लेकर 9 बजे तक

सुबह - 10.30 से 2 बजे तक

दोपहर- 3. 30 से 5 बजे तक

शाम- 6 बजे से 7 बजे तक

अच्छा मुहूर्त- सुबह 11.20 से दोपहर 1.20 तक

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 30 अगस्त 2022 को दोपहर के 03 बजकर 34 मिनट पर होगी। फिर यह चतुर्थी तिथि 31 अगस्त को दोपहर  03 बजकर 23 मिनट पर खत्म हो जाएगी। पद्म पुराण के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म स्वाति नक्षत्र में मध्याह्न काल में हुआ था। इस कारण से इसी समय पर गणेश स्थापना और पूजा करना ज्यादा शुभ और लाभकारी होगा।

गणेश चतुर्थी पर रवि योग का संयोग भी बन रहा है। रवि योग में की जाने वाली पूजा सदैव लाभकारी होती है। इस दिन रवि योग 31 अगस्त को सुबह 06 बजकर 06  मिनट से लेकर 01 सितंबर की सुबह 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगी। वहीं अगर ग्रहों के योग की बात करें तो गणेश चतुर्थी के दिन चार प्रमुख ग्रह स्वराशि में मौजूद रहेंगे। गुरु अपनी स्वराशि मीन में, शनि मकर राशि में, बुध ग्रह स्वयं अपनी कन्या राशि में और सूर्यदेव स्वराशि सिंह में मौजूद होंगे। इस वजह से शुभ संयोग में गणेश स्थापना करने पर जीवन में वैभव, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होगी।

भगवान गणेश की प्रतिमा कैसे होनी चाहिए 

सार्वजनिक जगहों पर जैसे पंडालों में गणेश स्थापना के लिए भगवान गणपति की मूर्ति मिट्टी से बनी हुई होनी चाहिए। घर और अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर भगवान गणेश की मूर्ति मिट्टी के अलावा सोने, चांदी, स्फटिक और अन्य चीजों से बनी मूर्ति रख सकते हैं। भगवान गणेश की प्रतिमा जब भी स्थापित करें तो इस बात का ध्यान रखें कि उनकी मूर्ति खंडित अवस्था में नहीं होनी चाहिए। गणेशजी की मूर्ति में उनके हाथों में अंकुश,पाश, लड्डू, सूंड धुमावदार और हाथ वरदान देने की मुद्रा में होनी चाहिए।  इसके अलावा उनके शरीर पर जनेऊ और उनका वाहन चूहा जरूर होना चाहिए।

गणेश मूर्ति स्थापना विधि

गणेश चतुर्थी के दिन सबसे पहले जल्दी सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ-सुथरा वस्त्र पहनें। फिर इसके बाद पूजा का संकल्प लेते हुए भगवान गणेश का स्मरण करते हुए अपने कुल देवता का नाम मन में लें। इसके बाद पूजा स्थल पर पूर्व की दिशा में मुंह करके आसन पर बैठ जाएं। फिर छोटी चौकी पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर एक थाली में चंदन,कुमकुम, अक्षत से स्वस्तिक का निशान बनाएं। थाली पर बने स्वस्तिक के निशान के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हुए पूजा आरंभ कर दें। पूजा करने ले पहले इस मंत्र का जाप करें।

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं। 

उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥

गणेश जी की पूजा विधि

सबसे पहले भगवान गणेश का आवहन करते हुए  ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए चौकी पर रखी गणेश प्रतिमा के ऊपर जल छिड़के। भगवान गणेश की पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्रियों को बारी बारी से उन्हें अर्पित करें। भगवान गणेश की पूजा सामग्रियों में खास चीजें होती हैं ये चीजें- हल्दी, चावल, चंदन, गुलाल,सिंदूर,मौली, दूर्वा,जनेऊ, मिठाई,मोदक, फल,माला और फूल। इसके बाद भगवान गणेश का साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा करें। पूजा में धूप-दीप करते हुए सभी की आरती करें। आरती के बाद 21 लड्डओं का भोग लगाएं जिसमें से 5 लड्डू भगवान गणेश की मूर्ति के पास रखें और बाकी को ब्राह्राणों और आम जन को प्रसाद के रूप में वितरित कर दें।अंत में ब्राह्राणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें। पूजा के बाद इस मंत्र का जाप करें।

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय |

नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ||

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥

'सूर' श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥

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