निजता ही प्रमुख कारण रहा है टूटते संयुक्त परिवार का !

बड़े बुजुर्गों का सुरक्षा कवच भी अब दिखाई नहीं देता…

निजता ही प्रमुख कारण रहा है टूटते संयुक्त परिवार का !

निजता (प्राइवेसी), स्वार्थ  एवम् अमीरी की ललक से टूट रहे है आधुनिक युग मैं लगातार संयुक्त परिवार। एकल परिवारों का चलन लगातार बढ़ रहा है जिसके चलते संयुक्त परिवार अब बहुत ही कम रह गए हैं। जहां एकल परिवार में कमाने खाने एवं खर्चने की कोई भी पाबंदी नहीं होती, वहीं दूसरी ओर बड़े बुजुर्गों का सुरक्षा कवच भी अब इन परिवारों पर दिखाई नहीं देता। वास्तविक रूप में आज एकल परिवारों की जो भूमिका है वह कहीं ना कहीं स्वतंत्र रूप से रहने के कारण ही पनप रही है, आज वर्तमान समय में यदि देखा जाए तो यही यथार्थ है ! 

वर्तमान दौर में यदि आकलन किया जाए तो पहले की अपेक्षा आजीविका के साधनों में बहुत परिवर्तन है, परिवार यदि छोटा होता है तो आप पर उतनी ही जिम्मेदारियां कम होती है और  आप पर किसी प्रकार का कोई दवाब नही होता। यदि आप का परिवार एकल है तो आप स्वतंत्र रूप से कहीं भी  स्थानांतरण ले सकते हैं ! जब आप स्वतंत्र होंगे तो आप व्यक्तिगत रूप से काम भी कर सकेंगे और यदि आप परिवार के साथ होते हैं तो आपको परिवार को पहले तवज्जो देना पड़ता है। अच्छा पैसा कमाने से धनाढ्य तो हम बन जाते हैं। लेकिन एकल परिवार की अपेक्षा जो खुशियां हमें संयुक्त परिवार में प्राप्त होती हैं वह एकल परिवार में शायद ही प्राप्त हो। 

वहां एक दूसरे के लिए हमदर्दी, प्रेम स्नेह, फिकर  के साथ-साथ किसी भी परेशानी में सबका साथ मिलता है । वही एकल परिवार में इसके विपरीत स्थिति उत्पन्न रहती है , हम अपने आप को अकेला महसूस करने लगते हैं तनावग्रस्त हो जाते हैं इसके कारण कई बार हमें मिलने वाली समृद्धि भी समाप्त हो जाती है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिस पश्चिमी सभ्यता को हम अपना रहे हैं , वह पश्चिमी देश भी अब हमारे ही देश की सभ्यता संस्कारों के गुणगान गा कर संयुक्त परिवार की ओर अपने कदम बढ़ा चुके हैं। हमें उनसे सीख लेना चाहिए कि जो पश्चिमी देश हमारे ही देश से सीख लेकर आगे बढ़ रहे हैं। तो क्यों ना हम भी अपने ही संस्कारों को जीवित रखे संयुक्त परिवार के रूप में। 

आखिरकार हमारे बड़े बुजुर्ग हमें उसी प्रकार सहायता एवं सुरक्षा देते हैं , जैसे हम भरी गर्मी में किसी वृक्ष की शरण में आकर सुरक्षित व गर्मी से राहत महसूस करते हैं। एकल परिवार में सुख तो है परंतु संयुक्त परिवार में मिलने वाली वह सुरक्षा स्नेह प्यार नहीं है, जो हमें किसी भी परिस्थिति  में सशक्त बनाता है। संयुक्त परिवार ही  हमारे समृद्धि पूर्ण देश का ही ढांचा है, इसे बिखरने न दे, अपने बच्चों, अपने परिवार के बड़े बुजुर्गों को साथ रखें , ताकि परस्पर प्रेम और परिवार बना रहे । परिवार ही एकमात्र वह जगह है जहां आप सच्चा सुख प्राप्त करते हैं जहां अपने जीवन में हो रहे सारे दुखों को भूल कर हमें बड़े बुजुर्गों के आशीर्वाद के साथ साथ आंतरिक रूप से आनंद की प्राप्ति होती है।





- प्रतिभा दुबे

( स्वतंत्र लेखिका )

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