बिना भगवान की मर्जी के संसार में पत्ता भी नहीं हिलता : पं.घनश्याम शास्त्री

पारदी मोहल्ला में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का 5वां दिन…

बिना भगवान की मर्जी के संसार में पत्ता भी नहीं हिलता : पं.घनश्याम शास्त्री

पारदी मोहल्ला शिंदे की छावनी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में सुप्रसिद्ध भागवताचार्य पं.श्री घनश्याम शास्त्री जी महाराज ने बताया कि श्री कृष्ण का जन्म वासुदेव और देवकी के गर्भ से कारगार में हुआ था। वासुदेव ने श्री कृष्ण को गोकुल में यशोदा के यहां दे दिया था, जहां यशोदा ने अपने लल्ला कान्हा को बड़े ही लाड़ प्यार से पाला। भगवान श्री कृष्ण बचपन से ही नटखट थे। जितना यशोदा मैया और नंद लाला उनके नटखट अंदाज से परेशान थे एक बार श्री कृष्ण अपने मित्रों के साथ यमुना नदी के किनारे गेंद से खेल रहे थे। 

अचानक गेंद युमना नदी में चली गई और बाल गोपाल के सारे मित्रों ने मिलकर उन्हें ही नदी से गेंद लाने को भेज दिया। बाल गोपाल भी एकदम से कदम्ब के पेड़ पर चढ़ कर यमुना में कूद गए। वहां उन्हें कालिया नाग मिला। श्री कृष्ण ने अपने भाई बलराम के साथ मिलकर जहरीले कालिया नाग का वध कर दिया शास्त्री ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जहां राधा जी के साथ एक खास रिश्ता था, वहीं गांव की गोपियों से भी उनकी खूब बनती थी। 

कृष्ण की बंसी की धुनें राधा को खूब भाती थीं। पूरे गांव में राधा-कृष्ण की रासलीलाएं खूब चर्चित हैं। किसी भी तीज-त्योहर पर खूब नाचते-गाते दिखाई देते थे। गांव की गोपियां भी श्री कृष्ण की बांसुरी की खूब दीवानी थी। श्री कृष्ण का आकर्षित चेहरा एकदम से गोपियों को अपनी ओर आकर्षित करता था शास्त्री जी ने बताया कि बिना भगवान की मर्जी की मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता इंद्र देव श्री कृष्ण की लीलाओं से अंजान ते और उन्होंने गुस्से में गांव में बहुत तेज बारिश कर दी। 

गांव वालों को बचाने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया और सबी ब्रिज वासियों को उसके नीचे शरण दे दी। सात दिन तक बिना कुछ खाए श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को उटाए खड़े रहे। और आठवें दिन बारिश रुकने पर गांव वासियों को बाहर निकाला। कार्तिक मास में अन्नकुट की पूजा भी श्री कृष्ण ने ही आरंभ कराई थी कथा परीक्षित उमा जीतेंद्र तिवारी,महंत नरेंद्र मिश्रा पप्पी महाराज जी इस अवसर पर पत्रकार बंधू श्याम श्रीवास्तवजी,संजय भारद्वाज जी,ब्रजेश चुतरबेद्रीजी गीता पांडेय जी जितेंद्र पाण्डेय जी ने भागवत कथा श्रवण की।

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