ज्ञानवापी मस्जिद केस में अहम सुनवाई आज

ताजमहल के सर्वे के लिए भी याचिका दर्ज….

ज्ञानवापी मस्जिद केस में अहम सुनवाई आज

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर आज कोर्ट में अहम सुनवाई होगी। कोर्ट के आदेश के पर मस्जिद परिसर का सर्व किया गया है और इसकी रिपोर्ट आज पेश की जाएगी। हालांकि मुस्लिम पक्ष के हंगामे के कारण सर्व कार्य पूरा नहीं हो सका है। यह बात कोर्ट में रखी जाएगी। वहीं मुस्लिम पक्ष ने कमीशन की कार्यवाही कर रहे एडवोकेट कमिश्नर को बदने की याचिका दी है। इस पर भी आज सुनवाई होगी। ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब ताज महल का मामला भी कोर्ट पहुंच गया है। भाजपा के एक नेता ने हाई कोर्ट की लखनऊ बैंच में याचिका दी है कि ताज महल के बंद पड़े 22 कमरों को खोला जाए और ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) से इनका सर्वे करवाया जाए। यदि कोर्ट याचिका स्वीकार कर लेता है तो यह बहुत बड़ा मामला होगा। ज्ञानवापी परिसर में कमीशन की कार्यवाही कर रहे एडवोकेट कमिश्नर को बदलने के लिए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में शनिवार को दाखिल प्रार्थना पत्र पर सोमवार को सुनवाई होगी। 

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने एडवोकेट कमिश्नर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन्हें बदलने की अपील की है। अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर और वादी पक्ष को अपना पक्ष रखने का अवसर देते हुए उनसे आपत्ति मांगी है। अदालत का कहना था कि इस प्रकरण में प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी द्वारा एडवोकेट कमिश्नर के काम करने पर प्रश्नचिह्न लगाया गया है। वहीं, वादी शासन, प्रशासन व पुलिस आयुक्त की ओर से शासकीय अधिवक्ता ने एडवोकेट कमिश्नर को निष्पक्ष बताया है। प्रार्थना पत्र की प्रति अभी तक वादी पक्ष के अधिवक्ताओं को प्राप्त नहीं कराई गई है और न एडवोकेट कमिश्नर सात मई को अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट में थे। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल कर ताजमहल के इतिहास का सच सामने लाने की मांग की गई है। कहा गया है कि इसके तथ्यों की जानकारी के लिए एक कमेटी का गठन किया जाए। साथ ही ताजमहल के 22 बंद कमरों को खोलकर जांच कराई जाए क्योंकि कई लोगों का मानना है कि यह वास्तव में भगवान शंकर का मंदिर था जिसे तोड़कर ताजमहल बनाया गया। यह याचिका कोर्ट की रजिस्ट्री में शनिवार को दाखिल की गई। रजिस्ट्री से पास होने के बाद इसकी सुनवाई संबधित पीठ के सामने होगी। 

याचिका में 1951 और 1958 में बने कानूनों जिनसे ताजमहल, फतेहपुर सीकरी का किला व आगरा के लाल किले को ऐतिहासिक इमारत घोषित किया गया था, को संविधान के प्रविधानों के विरुद्ध घोषित किए जाने की भी मांग की गई है। अयोध्या निवासी डा. रजनीश सिह की ओर से दाखिल याचिका में केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण तथा राज्य सरकार को विपक्षी पक्षकार बनाया गया है। याचिका में इतिहासकार पीएन ओक की किताब ताजमहल का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि ताजमहल वास्तव में तेजोमहालय है जिसका निर्माण 1212 एडी में राजा परमार्दी देव द्वारा कराया गया था। बाद में जयपुर के महाराजा मानसिह ने इसका संरक्षण किया। मुगल शासक शाहजहां ने मानसिह से इस महल को हड़प लिया था। याचिका में अयोध्या के जगद्गुरु परमहंस के वहां जाने व उन्हें उनके भगवा वस्त्रों के कारण रोके जाने संबंधी हालिया विवाद का भी जिक्र है। कहा गया है कि कमेटी के गहन अध्ययन से ताजमहल के संबंध में उठ रहे सभी विवाद शांत हो जाएंगे और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए अच्छा होगा।

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