Technological Isolation

हम एक डिजिटल दुनिया में जी रहे हैं, जहां लगभग हर काम के लिए टेक्नोलॉजी का होता ही है…

Technological Isolation

 

सोचिये क्या होगा आपके साथ अगर आपका फोन operate करना बंद हो जाये ? आपका लैपटॉप सही से काम ना करे, आपके सोशल मीडिया एकाउंट deactivate हो जाएं, आप अपनी बैंकिंग वेबसाइट या App को access ही ना कर पाएं ? आप ATM इस्तेमाल कर पाएं, या फिर अपने परिवारजनों को पैसा ट्रांसफर ना कर पाएं, अपने रोजमर्रा के खर्चे के लिए अपने Phone से पेमेंट नही कर पाएं, आप ईमेल्स भी एक्सेस ना कर पाएं, टीवी चलाना चाहें तो OTT platform ही ना open हो, गाड़ी से कहीं जाना चाहें, पेट्रोल भराने के लिए card swipe करें और वो decline हो जाये, मेट्रो में जाना चाहें, तो आपका कार्ड ना चले, आप अपने पानी बिजली के बिल नही भर पाएंगे।

सोचिये अगर ऐसा हो आपके साथ, तो आपकी जिंदगी में क्या फर्क पड़ेगा?

मेरे हिसाब से तो जिंदगी रुक जाएगी, आप कुछ नही कर पाएंगे, एक तरह से आप दुनिया से कट जाएंगे, Technologically Isolation झेलेंगे। रूस-यूक्रेन के युद्ध ने कुछ बेहद महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं, जिस तरह से रूस पर Financial और Technological sanctions लगाए जा रहे हैं, उनके द्वारा उसे Isolate ही किया जा रहा है, अब ये देखने वाली बात है कि रूस और वहां के लोग इसे कितना झेल पाएंगे ? क्या उनकी तैयारी है ऐसे किसी isolation को झेलने की?? फिलहाल तो पता नही, शायद कुछ दिनों या हफ़्तों में पता लग जायेगा।

Technological Isolation का एक और जबर्दस्त उदाहरण था Donald Trump का, ऐसा शायद दुनिया मे पहली बार हुआ था, जब एक US के राष्ट्रपति को पद पर रहते हुए ही उनकी Tech कंपनियों ने isolate कर दिया था। ट्रम्प और उनके समर्थकों के सोशल मीडिया account बन्द कर दिए गए थे, और जो कोई उनके पोस्ट्स या बयान Publish भी करता था, उसे shadow ban कर दिया गया। Trump समर्थकों के बीच एक app बड़ी लोकप्रिय थी, उसे Apple और Google के Android playstore से हटा दिया गया था। Mainstream मीडिया तो वैसे ही उनका दुश्मन था। और एकाएक 24 घंटे दुनिया मे सुर्खियों में रहने वाले Trump गायब हो गए, उन्हें एक forced Isolation झेलना पड़ा।

सोचिये वो कितनी ताकतवर शक्तियां होंगी जिन्होने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति, जो अपने पद पर था, white house में रहता था। उसके साथ ऐसा व्यवहार किया ? यहां लोग कह सकते हैं कि Trump ने भड़काऊ बयान दिया था, जिस वजह से उनके समर्थक Capitol Hill में घुस गए थे। इसी बात को बहाना बना कर, To Avoid further provocation का excuse बना कर ट्रम्प और उनके हज़ारों समर्थकों के accounts बन्द कर दिए गए। Suspend नही किये, कि कोई अपील कर ले, सीधा बन्द। इन्ही Social मीडिया कंपनियों पर आपको taliban, ISIS, अल कायदा के प्रवक्ताओ और handlers के Verified account भी मिल जाएंगे। मलेशिया के महाथिर मोहम्मद ने क्या ट्वीट किया था, क्या उनका एकाउंट disable हुआ ? नही ना। 

कुलमिलाकर ये Tech कम्पनीज किसी खास एजेंडे के तहत काम करती हैं, दिखावे के लिए इन्होंने community guidelines का छद्म आवरण ओढ़ रखा है, करना इन्हें वही होता है, जो इन्हें करने का आदेश होता है। अब एक स्थिति सोचिये, भारत और रूस के बीच अच्छे संबंध हैं। हमारी billions dollars की डिफेंस डील्स हैं। S400 अभी पूरा आना बाकी है, उसके अलावा पचासों और भी डील्स और आपसी व्यापार के काम हैं। सोचिये आप किसी दिन उठते हैं, और अखबार में आता है, कि US और EU ने रूस के साथ डिफेंस संबंध रखने वाले सभी देशों पर प्रतिबंध लगा दिया, तब क्या होगा ? आपके फ़ोन का OS है Android या Apple का iOS, डेटा कहां जाता है उसका ? किसी US या अन्य location के datacenter पर, क्या हो अगर वो block कर दिया जाए ? आपका ईमेल, रोजमर्रा की applications जैसे Office 365, Sharepoint, Teams, Zoom, Social Media और Communication apps का डेटा कहां स्टोर होता है ? आप कहेंगे कि Cloud पर, लेकिन असल storage तो बाहर ही है, जहां से data को manage और control किया जा सकता है।

क्या हो अगर आप gmail पर login करें, और आपको Msg आये 'This Service is temporarily unavailable in your country' ? आपको Global Events से निकाल दिया जाए। आपकी फिल्में और कला को दुनिया भर में ban कर दिया जाए, आपकी इंटरनेशनल फ्लाइट्स को ban कर दिया जाए। क्या हो अगर आपका whatsapp चलना बन्द हो जाये ? आप इसके बारे में शिकायत करने चाहें, लेकिन आपके Twitter, Facebook account disabled हों ? आप अपना mastercard या Visa कार्ड लेकर purchase करने गए, और वो decline हो जाये ? क्या हो अगर Social media और Mainstream मीडिया में एकाएक आपके देश के बारे में भ्रामक प्रचार शुरू हो जाये ? क्या हो अगर कुछ नष्ट टैंकों पर भारतीय झंडा लगा कर ये बताया जाए कि भारत के टैंक भी यूक्रेन में Invasion में शामिल थे ? अब आप के पास तो कोई जरिया रहा नही इस दुष्प्रचार का जवाब देने का, दुनिया तो वही मानेगी जो उसे रात दिन Feed कराया जाएगा, हो सकता है दुनिया यही मान ले कि आपके देश ने गलत कदम उठाया, रूस से Weapons Of Mass Destruction खरीदे, इसलिए आपके देश पर ये sanctions लगे हैं, this is very much possible...

इस लंबे चौड़े पोस्ट का Crux सिर्फ यही है, कि अब जंग सिर्फ हथियारों से नही लड़ी जाती। हम 5th और 6th generation warfare की तरफ ना सिर्फ बढ़ रहे हैं, बल्कि झेल भी रहे हैं। ऊपर बताई गई स्थिति अगर आये , तो करोड़ो भारतीय अपनी सरकार के खिलाफ सड़को पर उतर आएंगे। ये मैं दावे से कह सकता हूँ, सरकार भी दबाव में गिर सकती है। इसलिये कहता हूँ, अब लड़ाइयां मैदान के अलावा Datacenters, Virus Labs और Financial Institutions से भी लड़ी जाती हैं, किसी भी देश के लिए survive करने के लिये Technology, Pharma और Financial Instruments के मामले में आत्मनिर्भरता पाना बहुत जरूरी है। चीन इस मामले में सबसे आगे है, उसे US की Tech Firms के होने ना होने से कोई फायदा-नुकसान नही होने वाला। उसके पास The Great Security Firewall है, जिससे चीन Information को control करता है। उसका खुद का Financial Transaction system है। Pharma की तो खैर बात ही छोड़ दीजिए, 2 साल से दुनिया झेल रही है। भारत का नेतृत्व Financial Instruments और Pharma के मामले में तो सही कदम उठा रहा है, लेकिन Technology के मामले में अभी भी हम पूरी तरह West पर निर्भर हैं, इसे बदलना पड़ेगा, नही तो हम बहुत बड़े खतरे में होंगे।

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