JAH में जिंदा मरीजों को मृत घोषित करने का सिलसिला जारी !

जयारोग्य हॉस्पिटल में एक बार फिर शर्मनाक हरकत…

JAH में जिंदा मरीजों को मृत घोषित करने का सिलसिला जारी !

 

ग्वालियर। जयारोग्य हॉस्पिटल में एक बार फिर शर्मनाक हरकत हुई है। यहां लगातार जिंदा मरीजों को मृत घोषित करने का सिलसिला जारी है। पांच दिन में यह दूसरा मामला है, जब इस तरह की हरकत हुई है। इस बार न्यूरोसर्जरी विभाग के आईसीयू में ब्रेन हेमरेज के एक मरीज को मृत बताकर वेंटिलेटर हटा दिया गया। इस बार डॉक्टर ने नहीं बल्कि वार्ड बॉय ने मरीज को मृत घोषित किया है। जब परिजन को मृत होने की खबर मिली तो उन्होंने 10 मिनट पहले तक सब ठीक होने पर हंगामा खड़ा कर दिया। हंगामा होते ही सीनियर डॉक्टर पहुंचे तो देखा कि मरीज की सांसें चल रही हैं। तत्काल मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट पर लिया गया। इस हरकत के बाद जिम्मेदारों का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है। मुरैना के नंदगांगुली गांव में रहने वाले शिव कुमार उपाध्याय (40) को बीते सप्ताह लकवा मारने के साथ ही ब्रेन हेमरेज हो गया था।

शिव कुमार के साले योगेश शर्मा ने बताया कि जीजाजी को सर गंगाराम हॉस्पिटल दिल्ली में दिखाया तो डॉक्टरों ने यह कहते हुए वापस भेज दिया कि इनका इलाज जेएएच के न्यूरोसर्जरी में भी हो सकता है। लिहाजा वे उन्हें लेकर दो दिन पूर्व जेएएच के न्यूरोसर्जरी में आए। जहां उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया। गत शाम करीब 6:30 बजे वार्ड बॉय ने शिव कुमार का वेंटिलेटर और ऑक्सीजन हटाकर उन्हें मृत बता दिया। इस पर परिजन ने हंगामा खड़ा कर दिया। योगेश का कहना है कि आईसीयू में किसी दूसरे मरीज की मौत हुई थी और हमारे मरीज की ऑक्सीजन, वेंटिलेटर सब हटा दिया। इस पर परिजन ने जमकर हंगामा किया। सीनियर डॉक्टर वहां पहुंचे और शिवकुमार की नब्ज टटोली तो सांसे चल रही थीं।

इसके बाद तत्काल उनको वेंटिलेटर सपोर्ट पर लिया गया। जिसे मृत बताया गया, उसके साले योगेश ने आरोप लगाया है कि एक वार्ड बॉय ने हमारे मरीज को मृत बताकर वेंटीलेटर हटा दिया। करीब 20 मिनट तक मरीज बिना ऑक्सीजन वेंटीलेटर सपोर्ट के पड़ा रहा। ऐसे में जान भी जा सकती थी। इसलिए यह गंभीर मामला है। जेएएच की व्यवस्थाएं पूरी तरह से चौपट हो चुकी हैं। 5 दिन में दो जिंदा मरीजों को मृत बता दिया गया। गत दिवस शिव कुमार उपाध्याय को जीवित होते हुए मृत बताते हुए लाइफ सपोर्ट के उपकरण ही हटा दिए थे। इसी तरह का एक मामला शुक्रवार को ट्रॉमा सेंटर में हुआ था। अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जयारोग्य चिकित्सालय के ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों ने जिंदा महिला जामवती (31) को मृत बताकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। बाद में वह जिंदा निकली थी।

हालांकि महिला की 18 घंटे बाद असल में मौत हुई थी। किसी भी व्यक्ति को मृत घोषित करने से पहले उसकी ईसीजी की जाती है, लेकिन वार्ड बाय को किसी डाक्टर ने मरीज को मृत बताया था जिसके आधार पर वार्ड बाय वेंटिलेटर हटाने पहुंचा था। वार्ड बाय ने वेंटिलेटर हटाने से पहले यह भी देखना मुनासिब नहीं समझा कि मरीज की सांसें चल रही हैं। जब वार्ड बाय आक्सीजन नली निकाल रहा था तो आइसीयू का स्टाफ कहां था। ड्यूटी डाक्टर आखिर क्यों मौजूद नहीं थे। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि एक सप्ताह में इस तरह की यह दूसरी घटना है। इलाज में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। प्रवक्ता जेएएच डा. बालेन शर्मा ने बताया कि मामले की पूरी जानकारी जेएएच अधीक्षक को दे दी गई है। लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।

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