स्वयं देवलोक से देवता धरती पर आकर खेलते रंग…
रंग पंचमी आज, जानें पौराणिक महत्वत
आज रंग पंचमी है। फाल्गुरन शुक्ल पूर्णिमा की रात होलिका दहन के साथ शुरू हुए पांचदिवसीय रंगोत्सणव का आज रंग पंचमी को समापन हो जाएगा। धुलेंडी के बाद आज भी शहर की गलियों में खूब रंग-गुलाल उड़ेगा। वैसे रंग पंचमी के दिन अबीर-गुलाल से होली खेलने की महत्ता ज्याबदा है। इसे श्रीपंचमी और देव पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यअता के अनुसार चैत्र कृष्णन पंचमी के दिन देवी-देवता भी रंगों का उत्सव मनाते हैं। यह भी कहा जाता है कि रंग पंचमी के दिन भगवान कृष्ण ने राधा रानी के संग होली खेली थी। यही वजह है कि भक्तीगण इस दिन राधिका रानी और प्रभु श्रीक़ृष्ण का विधि-विधान पूर्वक पूजन करते हैं, उन्हें गुलाल लगाते हैं और उनकी आरती करते हैं। कई जगहों पर रंग पंचमी के दिन चल समारोह भी निकाले जाते हैं, जिनमें शामिल हुरियारे खूब गुलाल उड़ाते हुए रंग-पर्व का जश्नप मनाते हैं हैं। .
पौराणिक महत्व
एक पौराणिक कथा के अनुसार रंग पंचमी इसलिए मनाई जाती है क्योंकि देवलोक में इसकी शुरुआत हुई थी। कथा के अनुसार कामदेव से समाधि में लीन भगवान महादेव की तपस्याए भंग कर दी थी। इससे क्रोधित होकर महादेव ने अपना तीसरा नेत्र खोलते हुए कामदेव को भस्म कर दिया था। इससे देवलोक में निराशा का वातावरण व्याीप्तो हो गया था। देवताओं की प्रार्थना पर भोलेनाथ ने कामदेव को पुन: जीवित कर दिया था, जिसके बाद देवलोक में रंग-गुलाल उड़ाकर रंगपंचमी मनाई गई। इसी मान्यलता के अनुसार कहा जाता है कि रंग पंचमी के दिन स्वयं देवलोक से देवता धरती पर आकर रंग खेलते हैं।
रंगपंचमी के दिन माता लक्ष्मी के भी पूजन का विधान है। सुबह स्नान करके मां लक्ष्मी का पूजन करें और कलश में रखे पानी को घर में छिड़के। इससे घर में पवित्रता का वातावरण बनेगा और नकारात्माक शक्तिषयां दूर होंगी। पौराणिक मान्यकताओं के मुताबिक रंग पंचमी का दिन देवी-देवताओं को समर्पित है। कहते हैं इस दिन रंगों का प्रयोग करने से दुनिया में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। माना जाता है कि इस दिन जो रंग एक-दूसरे को लगाते हैं वह आसमान की ओर उड़ाते हैं। ऐसा करने से देवी-देवता आकर्षित होकर अपनी कृपा बरसाते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि रंग पंचमी के दिन दैवीय शक्तियां नकारात्मक शक्तियों से ज्यादा होती हैं। राधारानी के बरसाने में इस दिन उनके मंदिर में विशेष पूजा और दर्शन लाभ होते हैं। मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने गोपियों संग रासलीला की थी और दूसरे दिन रंग खेलने का उत्सव मनाया था। धर्म शास्त्रों के अनुसार प्राचीन काल में जब होली का पर्व कई दिनों तक मनाया जाता था, तब रंग पंचमी के दिन को आखिरी दिन माना जाता था और इसके बाद कोई होली नहीं खेलता था। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधा रानी के साथ होली खेली थी इसलिए इस दिन श्रीकृष्ण और राधा रानी को रंग अर्पित किया जाता है।
शुभ मुहूर्त - ज्योतिषाचार्य पंडित रामजीवन दुबे के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि 22 मार्च को सुबह 06:24 से शुरू होगी, जो 23 मार्च को सुबह 04:21 पर समाप्त होगी।
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