वित्त वर्ष 2022-23 की टैरिफ निर्धारण याचिका पर एमपीसीसीआई ने भेजे सुझाव/आपत्तियां

निर्देशों का पालन नहीं किए जाने से याचिका को निरस्त किया जाए…

वित्त वर्ष 2022-23 की टैरिफ निर्धारण याचिका पर MPCCI ने भेजे सुझाव/आपत्तियां

 

ग्वालियर। .प्र. पावर मैनेजमेंट कंपनी अन्य वितरण कंपनियों द्बारा वित्त वर्ष 2022-23 के टैरिफ निर्धारण हेतु दायर की गई याचिका में .प्र. विद्युत नियामक आयोग के आदेश दिनांक 25 जनवरी,2022 का पालन नहीं किया गया है, इसलिए वितरण कंपनियों द्बारा प्रस्तुत याचिका को सव्यय निरस्त किए जाने की प्रमुख मांग के साथ एमपीसीसीआई द्बारा .प्र. विद्युत नियामक आयोग को आज पत्र के माध्यम से सुझाव/आपत्तियां प्रेषित की गई हैं।

एमपीसीसीआई अध्यक्ष विजय गोयल, संयुक्त अध्यक्ष प्रशांत गंगवाल, उपाध्यक्ष पारस जैन, मानसेवी सचिव डॉ. प्रवीण अग्रवाल, मानसेवी संयुक्त सचिव ब्रजेश गोयल एवं कोषाध्यक्ष वसंत अग्रवाल द्बारा प्रेस को जारी विज्ञप्ति में अवगत कराया गया है कि माननीय आयोग द्बारा अपने आदेश दिनांक 25 जनवरी,2022 के द्बारा .प्र. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों को वर्ष 2022-23 से वर्ष 2026-27 तक की वार्षिक राजस्व आवश्यकता वर्ष 2022-23 हेतु टैरिफ निर्धारण प्रस्ताव .प्र.वि. नियामक आयोग (विद्युत प्रदाय चक्रण के टैरिफ अवधारण संबंधी निबंधन तथा शर्तें तथा प्रभारों के निर्धारण के संबंध में विधियां तथा सिद्घांत), विनियम 2021 जो कि .प्र. राजपत्र में 3 दिसंबर 2021 को अधिसूचित किये गये हैं, के अनुसार नवीन याचिका दायर करने का निर्देश दिया था परंतु याचिकाकर्ताओं द्बारा आयोग के निर्देशानुसार याचिका दायर नहीं करते हुए आदेश का उल्लंघन किया गया है, इसलिए वित्त वर्ष 2022-23 के टैरिफ निर्धारण हेतु दायर की गई याचिका को सव्यय निरस्त किया जाना चाहिए।

एमपीसीसीआई द्बारा आयोग को प्रेषित पत्र में उल्लेख किया गया है कि इस याचिका के संदर्भ में तकनीकी रूप से फेडरेशन ऑफ मध्यप्रदेश चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज, भोपाल द्बारा भेजे गये सुझाव/आपत्तियों का हमने अवलोकन किया और उनके द्बारा भेजे गये सुझाव और आपत्ति भी हमारे सुझाव तथा आपत्ति हैं। हम उनसे पूर्णत: सहमत होते हुए मांग करते हैं कि हमारे सुझाव/आपत्ति में भी उन्हें शामिल किया जाये।

वाणिज्यिक रूप से हमारी आपत्तियां निम्नानुसार हैं -

  • घरेलू उपभोक्ताओं की वर्तमान दरों में कंपनियों द्बारा लगभग 10% की वृद्घि प्रस्तावित की है जबकि .प्र. की घरेलू बिजली दरें अन्य प्रदेशों की तुलना में अधिक हैं और आश्चर्यजनक पहलू यह है कि बिजली कंपनियां हो रही विद्युत चोरी और पारेषण हानि को रोकने में असफल हैं और अपनी इस असफलता का वह आर्थिक भार .प्र. के उपभोक्ताओं पर डालकर शासन की छवि को भी धूमिल करना चाहती हैं और आम व्यक्ति पर आर्थिक बोझ बढाना चाहती हैं।इसलिए घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में किसी भी प्रकार की वृद्घि करने का निर्णय आम जनता में असंतोष को बढावा देगा। बेहतर यह है कि बिजली कंपनियों को एक निर्धारित समय अवधि में अपनी लाइन लॉसेस बिजली चोरी रोकने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए।
  •  बिजली कंपनियों द्बारा टैरिफ एलव्ही 2.2 गैर घरेलू की विद्युत दरों में भी लगभग 6-7% की वृद्घि  प्रस्तावित की गई है जबकि यह दरें भी अन्य प्रदेशों की तुलना में अधिक हैं। मध्यप्रदेश व्यापारिक गतिविधियों के लिए प्रमुख रूप से जाना जाता है, ऐसी स्थिति में इनकी दरों में वृद्घि बहुत बड़ा कुठाराघात होगी। बिजली कंपनी द्बारा मध्यप्रदेश के उपभोक्ताओं पर नये-नये प्रयोग करके देखे जाते हैं, जिससे बहुत बड़ी राशि व्यर्थ खर्च होती है। बिजली कंपनी द्बारा इलेक्ट्रोनिक मीटर बदलने में बड़ी राशि खर्च की गई और यह मीटर ठोस जांच किये बिना खरीद लिये गये। परिणामत: जो ईमानदार उपभोक्ता थे उनके यहां का कंजम्पशन लगभग दोगुना हो गया और उन मीटरों में विद्युत चोरी के भी आसान उपाय थे जिसे पकड़ना मुश्किल था तो बिजली चोरी भी उन मीटरों से बढी। परिणामत: वह इलेक्ट्रोनिक मीटर निर्धारित अवधि से पूर्व ही बिजली कंपनी को बदलना पड़े और पुन: मीटर बदलने की लागत बिजली कंपनी ने अपने खर्च में शामिल की। इन मीटरों को लगे भी अभी कुछ ही समय हुआ था कि फिर बिजली कंपनी ने यह मीटर बदलकर ग्रुप मीटर मीटर लगाने का निर्णय लिया। एक बहुत बड़ी लागत बिजली कंपनी ने उपभोक्ताओं के ऊपर डाल दी जिसकी यदि पहले मीटर ठोस जांच करके लिये जाते तो आवश्यकता नहीं पड़ती। इसलिए हमारी मांग है कि बिजली कंपनी की टैरिफ पिटीशन को खारिज करते हुए तकनीकी रूप से सक्षम व्यक्तियों की एक कमेटी बनाकर इनके पूरे लागत और खर्चों का ऑडिट कराकर यह बात सुनिश्चित करना चाहिए कि उस लागत में निवेश की गई राशि खर्चे की वास्तविक आवश्यकता थी या नहीं।
  •  एलव्ही 2.2 में मैरिज गार्डन में शादी के लिए जो अस्थायी कनेक्शन लिया जाता है, उसमें जो फिक्स चार्ज सेंशन लोड/कनेक्टेड लोड/रिकॉर्डेड लोड इन तीनों में जो भी अधिक है, उस पर वसूला जाता है, जिसकी वजह से उस विवाह वाले दिन का बिल अत्याधिक हो जाता है। अत: हमारा सुझाव है कि इस फिक्स चार्ज को स्थायी रूप से गैर घरेलू दर में वसूले जाने वाले फिक्स चार्ज से 10% से अधिक नहीं होना चाहिए क्योंकि यह कनेक्शन मात्र 12 घंटे के लिए लिया जाता है।
  • टैरिफ शेड्यूल एलव्ही 4 : मध्यप्रदेश औद्योगिक रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे जो समीपवर्ती प्रदेश हैं, उनसे पिछड़ा हुआ है, उसका प्रमुख कारण हमारे यहां की विद्युत की दरें हैं और किसी भी औद्योगिक इकाई के खर्चों में बिजली प्रमुख स्थान रखती है और यदि बिजली की दरें घटाने की बजाय बढाने पर विचार किया गया तब ऐसी स्थिति में .प्र. औद्योगिक रूप से और पिछड़ जायेगा। ऐसी स्थिति में आवश्यक है कि अपने यहां औद्योगिक विद्युत दरें अपने समीपवर्ती प्रदेशों की तुलना में प्रतिस्पर्धात्मक बनायें जिससे मध्यप्रदेश के अंदर औद्योगिक क्रांति लाने में बिजली विभाग महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सके।

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