ऐसे परिवार की कहानी जिसमें युवा अपने आराम के लिए मां बाप को भूल जाते हैं…
नाट्यकला मंदिर दाल बाजार में हुआ "संध्या छाया" का मंचन
रंग सारथी एवम् एसोसिएशन ऑफ ग्वालियर यूथ सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक नाटक संध्या छाया मराठी का हिंदी में एक काल जई नाटक है l इसका मंचन स्थानीय नाट्यकला मंदिर दाल बाजार में किया गया l इस आयोजन मे नाटक मंचन के शुभारंभ अवसर पर डॉ एस एन लाहा, भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी, पूर्व विधायक धनश्याम पिरोनिया भांडेर नीलिमा शिन्दे, भारतीय जनता पार्टी महिला जिला अध्यक्ष बालखाडे, उपस्थित थे l सभी अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया l अतिथियों का स्वागत संस्था के अध्यक्ष संजय कट्ठल एवम् निर्देशक रविन्द्र जगताप ने किया l
इस नाटक की कहानी पर प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि प्रसिद्ध मराठी नाटक लेखक जयवंत दलवी की यह 1970 की कृति आज 50 साल बाद भी उतनी ही सार्थक हैं l यहां आयोजन 8 जनवरी को शाम 7 बजे से स्थानीय नाट्यकला मंदिर दाल बाजार में इसका मंचन किया गया l इस मंचन की तैयारियों काफी समय पूर्व से की जा रही थी l इस नाटक संध्या छाया एक ऐसे परिवार की कहानी है, जिसमें दिखाया गया है कि आज के युवा अपने कैरियर वा ऐसो आराम के लिए अपने माता पिता को किस प्रकार अनदेखा करते आ रहे हैं l
नाटक के मुख्य पात्र अप्पा की नानी के दो लड़के हैं बड़ा लड़का अमेरिका में इंजीनियर है, जो कि वही शादी करके सेटल हो चुका है, जबकि छोटा लड़का एयर फोर्स में पायलट था जो 1971 के युद्ध में शहीद हो जाता है, बूढ़े मां बाप घरेलू नौकर के सहारे रोजमर्रा की समस्याओं से झूझते हुए अपने अमेरिकी बड़े लड़के की वापसी के इंतजार में अपनी बची हुई जिंदगी को जीने का प्रयास कर रहे हैं l कई भावुक दृश्यों से भरपूर यह नाटक युवाओं के साथ-साथ बुजुर्ग मां-बाप को भी संदेश देता है l
एसोसिएशन ऑफ ग्वालियर
यूथ सोसाइटी के
अध्यक्ष संजय कट्ठल
ने बताया की
इस आयोजन के
निर्देशक रवीन्द्र कुमार जगताप
है, और कलाकारों
में गोपाल देशपांडे
अप्पा की भूमिका
में, रेणु झवर
नानी की भूमिका
में, रेशु गंगवार
मौसमी की भूमिका,
आशुतोष पांडेय श्याम की
भूमिका में, अनिकेत
दुबे दीनू की
भूमिका में, अनिकेत
मिथलेश गुप्ता विनय की
भूमिका में, विजय
जुन्नरकर म्हादू की भूमिका
में, बादल कुमार
बोस दादा की
भूमिका में, अपना
किरदार निभा रहे
थे l सहयोगी के
तौर पर धीरज
सर थे l नाटक
का मंचन 100 मिनट
का था जो
नान स्टाफ मंचन
किया गया मंचन
के अंत में
सभी नाटक के
कलाकारो का और
निर्देशक का सम्मान
एसोसिएशन ऑफ ग्वालियर
यूथ सोसाइटी द्वारा
किया गया l
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