ओटीटी और वेबसीरीज अष्लीलता को समाज में लाने का काम कर रही है : श्री निहलानी

 आज की युवा पीढ़ी कर सकती है बड़े परदे पर पदार्पण…

ओटीटी और वेबसीरीज अष्लीलता को समाज में लाने का काम कर रही है : श्री निहलानी

 


ग्वालियर। प्रसिद्व फिल्म निर्देषक पहलाज निहलानी ने कहा कि शाॅर्ट फिल्म के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी बडे़े परदे पर पदार्पण कर सकती है। बस जरूरत है विजन की। उन्होंने कहा कि इस समय ओटीटी और वेबसीरीज के जरिए समाज में जो अष्लीलता परोसी जा रही है उसे समाज द्वारा ही रोका जा सकता है। श्री निहलानी रविवार को ग्वालियर में चित्र भारती द्वारा आयोजित दो दिवसीय शाॅर्ट फिल्म फेस्टिवल के शुभारंभ पर आईआईटीटीएम में मुख्य अतिथि की आसंदी से बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्टी में सीखते रहना एक अनिवार्य प्रक्रिया है। जो आप समाज में देख रहे हैं उसे शाॅर्ट फिल्म में बदलकर अपने विचारों को समाज में ही पहुंचा सकते हैं। श्री निहलानी ने कहा कि साल 2006 से लेकर करके 2015 तक एक ऐसा कालखंड आया जब कुछ निर्देषकों ने ऐसी फिल्में तैयार की जिनमें अष्लीलता की भरमार हुआ करती थी। मैंने सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष के नाते इन्हें बदलने का भरसक प्रयास किया। आज ओटीटी और वेबसीरीज एक बार फिर वही अष्लीलता को समाज में लाने का काम कर रही है। इसे समाज के लोग बहिस्कार कर रोक सकते हैं।

मप्र के हर घर में टैलेंट है बस उसे निखारने की आवष्यकता है। कार्यक्रम के विषिष्ट अतिथि फिल्म सिटी मुंबई के पूर्व उपाध्यक्ष अमरजीत मिश्रा ने कहा कि मनोरंजन कमाई का साधन नहीं होना चाहिए ही यह पैसा कमाने का जरिया होना चाहिए। फिल्में समाज को आइना दिखाने का काम करती हैं। मप्र में फिल्म उद्योग की अपार संभावना है। बस जरूरत है उसे मंच उपलब्ध कराने की। निष्चित रूप से चित्र भारती का यह प्रयास सफल होगा। विषय प्रवर्तन करते हुए भारतीय चित्र साधना के सचिव अतुल गंगवार ने कहा कि मनोरंजन के नाम पर जो धीमा जहर परोसा जा रहा है उसने हमारी युवा पीढ़ी को भटकाने का काम किया है। भारतीय चित्र साधना के माध्यम से इसे बदलने का प्रयास हो रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विवि के कुलपति प्रो. साहित्य नाहर ने कहा कि चित्र भारती का यह प्रयास आने वाले समय में बहुत सार्थक होगा। यह युवाओं के लिए एक मंच है। फिल्मोत्सव आयोजित समिति के अध्यक्ष डाॅ. केषव पांडे ने स्वागत भाषण दिया और कहा कि चित्र भारती का यह प्रयास आने वाले समय में चंबल अंचल की क्षवि को निखारने का काम करेगा।

इस दौरान फिल्म निर्देषक आकाष आदित्य लामा, आईआईटीएम के निदेषक डाॅ. आलोक शर्मा, चित्र भारती के प्रांत सह संयोजक दिनेष चाकणकर, कार्यक्रम संयोजक चन्द्रप्रताप सिंह सिकरवार, वीआईएसएम के चेयरमैन डाॅ सुनील राठौर, ग्रीनवुड पब्लिक स्कूल की निदेषक श्रीमती किरण भदौरिया आदि पर मंचासीन थे। संचालन प्रो. रामकिषोर उपाध्याय एवं रेखा भदौरिया ने किया। इससे पहले ग्रीनवुड स्कूल के छात्रों ने गणेष वंदना प्रस्तुत की और संगीत विवि के छात्रों ने गीत प्रस्तुत किया। वहीं दो दिवसीय फिल्मोत्सव का समापन चार अक्टूबर को होगा। इस दौरान फिल्मों के प्रदर्षन के बाद चयनित फिल्मों को पुरस्कृत किया जाएगा। रविवार को आईआईटीटीएम के सभागार, डाॅ कमल वषिष्ठ सभागार एवं भवभूति सभागार में लघु फिल्मों का प्रदर्षन हुआ। इस दौरान फिल्म निर्देषक आकाष आदित्य लामा ने कार्यषाला ली और युवाओं को फिल्म निर्माण से संबंधित बारीकियां सिखाई। वहीं यह बताया कि कैसे फिल्मों का निर्माण होता है। साथ ही कहा कि ग्वालियर-चंबल अंचल में फिल्म उद्योग की अपार संभावना है। आने वाले समय में इसके सार्थक प्रयास सामने आएंगे।

इन फिल्मों का हुआ प्रदर्शन -

मिल्क माइन ऑफ़ वाइट गोल्ड, नागरिया, अमृत कृषि, पाठानकोट, कौशल विकास के नए आयाम, नासूर, सावरिया, एक कोशिश, ब्यूटीपफुल सोशल डिस्टेंस, सोल्ड फाॅर सीके्रेट क्राइम, नो मोर निगेटिव न्यूज, बंद, दुखडा, नक्षे कदम, बिदाई बाप की, अनमोल रिश्ता, चैन स्मोकर, रक्षाबंधन, कुछ कहना है, कल के सुपर स्टार, क्लीन पर्यावरण, पुलिस का दर्द, फौजी, गुल्लक, सौ का नोट, लखनउ।

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