रोक दो प्रतिशोध की अब ये लड़ाई...

रोक दो प्रतिशोध की अब ये लड़ाई...

बो रहे हो इस चमन में नागफनियाँ,

जिस्म होंगे देखना घायल तुम्हारे। 

दूब के कोमल गलीचे मत उखाड़ो, 

पाँव सहलाती मिलेगी कल तुम्हारे। 

जब तुम्हारी राह के अनुयायियों को,

नागफनियों की चुभन से ऊब होगी। 

राह के काँटे चुभेंगे पीढ़ियों को,

तब सभी का पथ हमारी दूब होगी। 

सिर्फ कोमलता तुम्हारा साथ देगी,

क्रूरता उलझाएगी आँचल तुम्हारे। 

आज जो तुम ताल में विष डालते हो,

वह तुम्हारे वंश को पीना पड़ेगा। 

कल तुम्हारे नौनिहालों को विवश हो,

आज के इस दंश को जीना पड़ेगा। 

कल तुम्हारे अंश को ठगते फिरेंगे,

आज के छोड़े हुए ये छल तुम्हारे। 

आज जिसके ताप से तुम जल रहे हो,

वह तुम्हारे ही किसी कल की लपट है। 

आज जो प्रतिशोध बनकर सामने है,

वह तुम्हारे पूर्ववर्ती का कपट है। 

तुम सुबह की लालिमा में ये न भूलो,

कालिमा के दास अस्ताचल तुम्हारे। 

रोक दो प्रतिशोध की अब ये लड़ाई,

ये तुम्हारी पीढ़ियों को पाट देगी। 

आज तुम दीवार तोड़ोगे जड़ों से,

कल कोई बुनियाद तुमको काट देगी। 

आज जंगल में शहर को घेर लोगे, 

कल शहर खा जाएंगे जंगल तुम्हारे।

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