शारदीय नवरात्रि का 1(पहला) दिन आज

जानें मां शैलपुत्री की पूजन विधि…

शारदीय नवरात्रि का पहला दिन आज

प्रतिवर्ष आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है,  लिहाजा शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 7 अक्टूबर से हो रही है। इस दिन से लेकर पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौ शक्ति स्वरूपों की पूजा की जाएगी। दरअसल वर्ष में चार बार पौष, चैत्र, आषाढ और अश्विन माह में नवरात्रि आते हैं। चैत्र और आश्विन में आने वाले नवरात्रि प्रमुख होते हैं, जबकि अन्य दो महीने पौष और आषाढ़ में आने वाले नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के रूप में मनाये जाते हैं चूंकि आश्विन माह से शरद ऋतु की शुरुआत होने लगती है, इसलिए आश्विन माह के इन नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। ये नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर तक चलेंगे। किसी भी नवरात्रि के पहले दिन देवी मां के निमित्त कलश स्थापना की जाती है। 

कलश स्थापना मुहूर्त -

  • अभिजीत मुहूर्त :-  सुबह 11 बजकर 52 मिनट से  दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक
  •  कलश स्थापना का सही समय सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक ही है।

कलश स्थापना विधि -

सबसे पहले घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा के हिस्से की अच्छे से साफ-सफाई करके वहां पर जल छिड़कर साफ मिट्टी या बालू बिछानी चाहिए। फिर उस साफ मिट्टी या बालू पर जौ की परत बिछानी चाहिए। उसके ऊपर पुनः साफ मिट्टी या बालू की परत बिछानी चाहिए और उसका जलावशोषण करना चाहिए। जलावशोषण का मतलब है कि उस मिट्टी की परत के ऊपर जल छिड़कना चाहिए । अब उसके ऊपर मिट्टी या धातु के कलश की स्थापना करनी चाहिए। कलश को अच्छ से साफ, शुद्ध जल से भरना चाहिए और उस कलश में एक सिक्का डालना चाहिए। अगर संभव हो तो कलश के जल में पवित्र नदियों का जल भी जरूर मिलाना चाहिए। इसके बाद कलश के मुख पर अपना दाहिना हाथ रखकर इस मंत्र को बोलना चाहिए।

आज नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना की जायेगी। आज मां शैलपुत्री की उपासना करने से व्यक्ति को धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है । आज इन सब चीज़ों का लाभ उठाने के लिये देवी मां के इस मंत्र से उनकी उपासना करनी चाहिए । 

नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बड़ा ही फलदायी बताया गया है | जो व्यक्ति दुर्गासप्तशती का पाठ करता है वह हर प्रकार के भय, बाधा, चिंता और शत्रु आदि से छुटकारा पाता है, साथ ही उसे हर प्रकार के सुख-साधनों की प्राप्ति होती है।कहा जाता हैं कि आज के दिन माता शैलपुत्री की पूजा करने और उनके मंत्र का जप करने से व्यक्ति का मूलाधार चक्र जाग्रत होता है। अतः माता शैलपुत्री का मंत्र

वन्दे वाञ्छित लाभाय चन्द्र अर्धकृत शेखराम्।

वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

इस प्रकार माता शैलपुत्री के मंत्र का कम से कम 11 बार जप करने से आपका मूलाधार चक्र तो जाग्रत होगा ही, साथ ही आपके धन-धान्य, ऐश्वर्य और सौभाग्य में वृद्धि होगी और आपको आरोग्य तथा मोक्ष की प्राप्ति भी होगी।

‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।’

आज आपको अपनी इच्छानुसार संख्या में इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए । मंत्र जाप के साथ ही शास्त्रों में बताया गया है कि नवरात्रि के पहले दिन देवी को शरीर में लेपन के तौर पर लगाने के लिए चंदन और केश धोने के लिए त्रिफला चढ़ाना चाहिए । त्रिफला में आंवला, हरड़ और बहेड़ा डाला जाता है। इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाये रखती हैं। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना की जायेगी।  मां शैलपुत्री की उपासना करने से व्यक्ति को धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है। आज के दिन इन सब चीज़ों का लाभ उठाने के लिये देवी मां के इस मंत्र से उनकी उपासना करनी चाहिए। मंत्र है- 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।' 

आज के दिन आपको अपनी इच्छानुसार संख्या में इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। इससे आपको हर तरह के सुख-साधन मिलेंगे। मंत्र जाप के साथ ही शास्त्रों में बताया गया है कि नवरात्रि के पहले दिन देवी के शरीर में लेपन के तौर पर लगाने के लिए चंदन और केश धोने के  लिए त्रिफला चढ़ाना चाहिए । त्रिफला बनाने के लिए आंवला, हरड़ और बहेड़ा को पीस कर पाउडर बना लें। इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाये रखती हैं। नवरात्रि के पहले दिन ध्वजारोपण की भी परंपरा है। अपने घर के दक्षिण-पश्चिम यानि अग्नि कोण में पांच हाथ ऊंचे डंडे में, सवा दो हाथ की लाल रंग की ध्वजा लगानी चाहिए। ध्वजा लगाते समय सोम, दिगंबर कुमार और रूरू भैरव देवताओं की उपासना करनी चाहिए और उनसे अपनी ध्वजा की रक्षा करने की प्रार्थना करनी चाहिए । साथ ही अपने घर की सुख-समृद्धि के लिये भी प्रार्थना करनी चाहिए । ये ध्वजा जीत का प्रतीक मानी जाती है। इसे घर पर लगाने से केतु के शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं और साल भर घर का वास्तु भी अच्छा रहता है।

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