एक भाई का आग्रह

एक भाई का आग्रह

नहीं रही माँ! 

तो मत संशय में आ जाना तुम

माँ सा लाड़ करूँगा 

बहना मैके आना तुम

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स्वागत करती तख्ती जैसा जड़ा मिलूंगा मैं

फूलों जैसा तुम्हें राह में पड़ा मिलूंगा मैं

मुख्य द्वार पर बैठी माँ ज्यूं रस्ता तकती थी

लगा टकटकी उसी द्वार पर खड़ा मिलूंगा मैं

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जैसे माँ से मिली,

मुझे यूं गले लगाना तुम

माँ सा लाड़ करूँगा 

बहना मैके आना तुम

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सिर्फ अकेली! या फिर बच्चों को लाओगी तुम

राखी के कितने दिन पहले आ जाओगी तुम

कितने दिन अब और बचे हैं हर दिन पूछूंगा

माँ के जैसा ही बैचेन मुझे पाओगी तुम

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कौन गाँव तक पहुँची 

करके फोन बताना तुम

माँ सा लाड़ करूँगा 

बहना मैके आना तुम

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तुम्हें लगाने को बिटिया ने मेहंदी घोली है

बेटे ने कुछ उम्मीदों की सूची खोली है

साड़ी मनपसंद खरीदूंगी खुद बहनों की

मुझे तुम्हारी भाभी कल ही ऐसा बोली है

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दुनिया की बातों में मन को 

मत उलझाना तुम

माँ सा लाड़ करूँगा 

बहना मैके आना तुम

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एक इमारत है, ईंटें हैं, केवल गारा है

इसको घर कर देता पावन प्यार हमारा है

दौलत के झूठे चिथड़ों में नहीं लपेटा है

मात-पिता ने सदा प्रेम से हमें सँवारा है

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नेह तिलक जीवन भर 

मेरे भाल लगाना तुम

माँ सा लाड़ करूँगा 

बहना मैके आना तुम

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