शहर को पिछले एक महीने में मिली 1500 Ton Oxygen

सांसों पर भी देना पड़ा 72 लाख जीएसटी…

शहर को पिछले एक महीने में मिली 1500 टन ऑक्सीजन

ग्वालियर। कोरोना संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन के लिए भी टैक्स चुकाना पड़ रहा है। पिछले एक महीने में शहर में करीब 1500 टन ऑक्सीजन टैंकरों और सिलेंडरों के माध्यम से मरीजों तक पहुंची, जिस पर 12 प्रतिशत जीएसटी वसूली गई। यानी करीब 72 लाख रुपए जीएसटी चुकाया गया। जीएसटी मरीजों से वसूल नहीं की जा सकती इसलिए निर्माण कंपनी इसे सप्लायर्स कंपनी से वसूल करती है। सप्लायर्स कंपनियां इसे जिन अस्पतालों को सिलेंडरों में भरकर बिक्री करती हैं, उनसे वसूल करती है, लेकिन अस्पताल अपने मरीजों से प्रत्यक्ष तौर पर बिल में जीएसटी लगाकर वसूल नहीं कर सकते हैं। इस कारण अस्पतालों मनमाने तरीके से ऑक्सीजन के रेट तय कर रखे हैं। 

बातचीत में एक निजी अस्पताल संचालक ने इसकी पुष्टि की है। प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन का रेट सरकार ने फिक्स नहीं किया है। कहीं पर 300 रुपए प्रति घंटा तो कहीं पर 500 रुपए प्रति घंटा तो कहीं पर 600 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से राशि वसूल की जा रही है। अस्पतालों में इलाज ले रहे या घरों पर सिलेंडर ले जाकर इलाज करा रहे मरीजों को सांसों के लिए भी टैक्स चुकाना पड़ा है। शहर में चार निजी प्लांट और आइनॉक्स केे जरिए ऑक्सीजन सप्लाई हो रही है। एमके एयर प्रोडक्ट के शुभम बताते हैं कि प्रति मीट्रिक टन ऑक्सीजन 40 हजार रुपए में पड़ रही है, जिस पर 12 प्रतिशत जीएसटी हम निर्माण कंपनी को चुकाते हैं। 

अब तक 1500 टन ऑक्सीजन शहर में आ चुकी है, जो इस हिसाब से करीब 6 करोड़ रुपए कीमत की है, जिस पर 12 प्रतिशत जीएसटी करीब 72 लाख रुपए चुकाई गई है। अब जीएसटी तो अंत में आम उपभोक्ता से ही वसूल होता है, हालांकि मेडिकल में मरीज से अस्पताल जीएसटी वसूल नहीं कर सकते हैं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से सब वसूल कर ही लेते हैं। हम भी सिलेंडर जीएसटी लगाकर ही अस्पताल या किसी मरीज को देते हैं। महंगी मिलने की वजह से हम ऑक्सीजन सिलेंडर 600 रुपए में दे पाते हैं, जिसमें एक सिलेंडर में 7 से 10 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन गैस भरी होती है। अगर जीएसटी हमसे वसूल नहीं की जाएगी तो हम भी ऑक्सीजन सिलेंडर का रेट कुछ कम कर पाएंगे।

नियम तो यही है कि अस्पताल अपने मरीजों से ऑक्सीजन पर जीएसटी वसूल नहीं करेंगे। लेकिन आप यह बताए कि जो ऑक्सीजन सिलेंडर हमें कुछ महीने पहले 200 से 250 रुपए में मिल जाता था, अब वह हमें 600 रुपए में मिलेगा, जीएसटी भी हम चुकाएंगे। तो कैसे मरीज को सस्ता इलाज दे पाएंगे। कहीं न कहीं पैसा तो मरीज से ही लिया जाएगा। सभी ऐसा ही कर रहे हैं। - डॉ.प्रशांत लहारिया, संचालक, लिंक हॉस्पीटल

मैं जीएसटी को लेकर नियमावली दिखवा लेता हूं। अगर अस्पताल अप्रत्यक्ष रूप से भी ऑक्सीजन पर जीएसटी मरीजों से वसूल कर रहे हैं तो हम कार्रवाई करेंगे। इसके लिए हमें अपनी निगरानी सिस्टम को दुरुस्त करना पड़ेगा, वो हम करेंगे। - आशीष तिवारी, अपर कलेक्टर एवं ऑक्सीजन सप्लाई व्यवस्था के प्रभारी

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