संस्कृति की संरक्षक होती हैं महिलाऐं : BK आदर्श दीदी

संस्कृति का सम्बन्ध संस्कारों से है…

संस्कृति की संरक्षक होती हैं महिलाऐं : BK आदर्श दीदी 

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विधालय की भगिनी संस्था राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के महिला प्रभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक  कार्यक्रम का आयोजन माधौगंज सेवाकेंद्र पर किया गया | जिसका विषय था “संस्कृति की संरक्षक महिला” कार्यक्रम में मुख्य रूप से माधवी सिंह (संचालिका नशा मुक्ति केंद्र ), पद्मा शर्मा (महिला मोर्चा मंडल अध्यक्ष ), बबिता डाबर (समाज सेवी), ऋचा शिवहरे, नीलम जगदीश गुप्ता (संस्थापिका संस्कार मण्डली), कल्पना मेहता (पूर्व अध्यक्ष इनर विल क्लब )  ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी (मुख्य इंचार्ज लश्कर ग्वालियर), आशा सिंह (समाज सेविका) बी. के. प्रहलाद भाई शामिल हुए | कार्यक्रम के शुभारम्भ में सभी का तिलक और फूल से स्वागत किया गया साथ ही कु. बुलबुल ने स्वागत नृत्य किया | 

इसके बाद कार्यक्रम का शुभारम्भ विधिवत दीप प्रज्वलन के साथ किया गया | तत्पश्चात  ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी (मुख्य इंचार्ज लश्कर ग्वालियर) ने आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी को शुभकामनायें दीं साथ संस्थान का परिचय देते हुए महिला प्रभाग के बारे में बताया कि ब्रह्माकुमारीज के महिला द्वारा समय समय पर राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए बिभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते है| उसी के अंतर्गत आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस  “संस्कृति की संरक्षक महिला”  विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है | विषय को विस्तार से सपष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृति का सम्बन्ध संस्कारों से है व्यक्ति का रहन सहन, खान-पान, वेशभूषा, आचरण, चरित्र संस्कृति के अंतर्गत आते हैं | 

भारतीय संस्कृति आदि काल से उच्च, श्रेष्ठ देवी संस्कृति रही है जिसके आदर्श बहुत ऊंचे थे | काल चक्र घूमने के साथ स्तिथियों में परिवर्तन हुआ, अनेक विदेशी आक्रमण होने से अनेक संस्कृतियों का समावेश भारतीय संस्कृति में होने लगा | माहिलाओं को सुरक्षा के कारण चार दीवारी में रखा जाने लगा इससे नारी की गरिमा कम हुई व अनेक कुरीतियों , रूढ़िवादी सोच में जकड़ने लगी | वर्तमान २१ वीं सदी में जब पाश्चात्य संस्कृति संपूर्ण विश्व पर हावी है, तब भी भेदभाव, शोषण, कुप्रथाएँ जारी हैं | अतः संस्कृति और संस्कारों की रक्षा का बीड़ा स्वयं महिलायों को उठाना होगा | वह स्वयं सुसंस्कृत हो , सशक्त हो तो भावी पीढ़ी का श्रेष्ठ संस्कारों से सिंचन कर भारतीय संस्कृति के आदर्शों के प्रति उनमे आस्था जाग्रत कर सकती है पर उसमे रूढियो एवं कुरीतियों का स्थान नहीं हो | 

अतः महिलायों के भी नैतिक एवं आध्यात्मिक सशक्तिकरण की आवश्यकता है जिससे वह भारतीय संस्कारों एवं संस्कृति की संरक्षक हो | प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माध्यम से स्वयं परमात्मा शिव धरा पर अवतरित होकर आदि सनातन देवी संस्कृति की स्थापना नारी को निमित्त बनाकर कर रहें हैं | अतः इस परिवर्तन के समय में महिलाएं परमात्मा की श्रीमत पर चलकर अपने जीवन एवं परिवार को दिव्य श्रेष्ठ बनाएं | इसके साथ ही कार्यक्रम में पधारे सभी वक्ताओं नें विषय के अंतर्गत अपनी शुभकामनयें रखीं और नारी के सम्मान पर जोर दिया और कहा की जहाँ नारी का सम्मान होता है वहां देवता रमण  करते है | कार्यक्रम का कुशल संचालन आशा सिंह ने किया तथा अंत में सभी का धन्यवाद /आभार बी. के. प्रहलाद भाई द्वारा किया गया |

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