देश अपमानित है, स्तब्ध है क्रोधित है...
देश अपमानित है, स्तब्ध है क्रोधित है...
राष्ट्र ध्वजा को अपमानित कर लाल किले पर चढ़ बैठे ।
नई कहानी गद्दारी की आज कुछ कमीने गढ़ बैठे।।
वीरों के बलिदान का देखो उनको कैसा मूल्य मिला ।
आज तिरंगा अपमानित है शर्मिदा है लाल किला।।
खालिस्तानी पाकिस्तानी टुकड़े टुकड़े वाले हैं ।
इनको गंगा मत समझो ये केवल गन्दे नाले हैं।।
दाता वाता कोई नहीं ने ये नीच निकम्मे अभिमानी ।
कुछ बहसी बस चाह रहे हैं करना केवल मनमानी ।।
लज्जित करके संविधान को गुंडे आग लगाते हैं ।
झूठे नीच जिहादी देखो दिल्ली रोज जलाते हैं।।
कल तक जिनको मान गर्व का प्रहरी समझा जाता था ।
गुरुओं सा बलिदानी उनको केहरी समझा जाता था।।
शौर्य शेर सा बलिदानों परिपाटी ही भूल गए ।
खालिस्तानी फंडिंग से ही सारे नल्ले फूल गए।।
देश विरोधी धर्म विरोधी क्या किसान हो सकते हैं ।
देश को आग लगाने वाले भी महान हो सकते हैं।।
क्या किसान वर्दी वालों पर ले ट्रैक्टर चढ़ सकते हैं ।
आयाम नए गद्दारी के ये क्या किसान गढ़ सकते हैं।।
जिन गद्दारों ने वर्दी पहने महिलाओं पर वार किया ।
नारी की मर्यादा भूले कुछ भी नहीं विचार किया ।।
डंडे पत्थर तलवारों से आखिर कैसा इनका नाता है ।
ऐसा हिंसक ऐसा बर्बर तुम्हीं कहो ये दाता है।।
बहुत हुआ सम्मान इन्हें अब उत्तर भी मिल जाने दो ।
देशद्रोहियों, गद्दारों को मिलकर लाठी डंडे खाने दो।।
इनको उत्तर नहीं दिया तो ये दंगे करवा देंगे ।
हम ऐसे ही चुप बैठे तो देश को भी तुड़वा देंगे।।
नहीं रगों में दूध दही अब और न दिल में देश रहा ।
चरस अफीम बहे लहू में इसीलिए ये वेश रहा ।।
जान चुके औकात तुम्हारी अब ये लिख कर धरवा लो ।
और तुम् में दम है तो क़ानून बदलवा लो।।
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