ट्रैक्टर रैली पर अड़े किसानों की दिल्ली पुलिस के साथ बैठक आज

सरकार-किसानों की बातचीत कल तक के लिए टली...

ट्रैक्टर रैली पर अड़े किसानों की दिल्ली पुलिस के साथ बैठक आज

कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 55वां दिन है. कड़ाके की ठंड के बावजूद किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हैं. सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच किसान 26 जनवरी को दिल्ली के बाहरी रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली निकालने पर अड़े हैं. वहीं दिल्ली पुलिस आज फिर किसानों को समझाने की कोशिश करेगी. किसानों और दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों के बीच आज सुबह नौ बजे बैठक होगी. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में ट्रैक्टर रैली को लेकर दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुनवाई हुई. इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि कहा सरकार फैसला ले. चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि मामला पुलिस का है, हम इस पर फैसला नहीं लेंगे. हम मामला फिलहाल स्थगित कर रहे हैं. नए कृषि सुधार कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की आज पहली बैठक होगी. 

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान पहले ही समिति से अलग हो चुके हैं. वहीं किसान संगठन भी सुप्रम कोर्ट की कमेटी के पास जाने से इनकार कर चुके हैं. समिति में शेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के प्रमुख के अलावा, कृषि-अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और प्रमोद कुमार जोशी समिति के दो अन्य सदस्य हैं. बैठक से पहले घनवट कहा है कि हम लोग पूसा परिसर में 19 जनवरी को बैठक कर रहे हैं. भविष्य की रणनीति पर फैसला करने के लिए सिर्फ सदस्य ही बैठक में शामिल होंगे. किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच 10वें दौर की वार्ता कल दोपहर दो बजे तक के लिए टाल दी गई है.पहले यह बैठक आज दोपहर 12 बजे विज्ञान भवन में होनी थी. कल होने वाली बैठक में भी समाधान की उम्मीद कम ही है. बैठक में किसान नेता आंदोलन से जुड़े लोगों को एनआईए द्वारा नोटिस दिए जाने का मुद्दा एक बार फिर उठा सकते हैं. 

दूसरी तरफ किसान नेताओं ने 26 जनवरी को दिल्ली के बाहरी रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड निकालने की बात भी कही हुई है. बैठक से पहले सोमवार को ग्वालियर में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा है कि सरकार किसान संगठनों से सभी मुद्दों पर खुले मन से बातचीत को तैयार है. किसी भी मुद्दे का हल बातचीत से ही निकलता है. इससे पहले 15 जनवरी को सरकार और आंदोलनकारी किसान नेताओं के बीच एक बार फिर बातचीत बेनतीजा रही थी. सरकार ने एक बार फिर कृषि क़ानूनों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था तो किसान नेता इन क़ानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े रहे. पिछली बैठक में भी दोनों के बीच 9वें दौर की बातचीत में दोनों पक्षों ने अपना पुराना राग ही अलापा. सरकार ने दोहराया कि वो क़ानूनों में संशोधन के लिए तैयार है जबकि किसान नेताओं ने क़ानून वापस लेने की मांग दोहराई. वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से लचीला रुख़ अपनाने की अपील की थी.

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