अन्नदाता सड़को पर, मोदी जी दफ्तर में मौन

किसानों पर जवर्जस्ती यह मेहरबानी क्यों…!

अन्नदाता सड़को पर, मोदी जी दफ्तर में मौन

आज देश का लगभग हर किसान मोदी सरकार द्वारा हाल ही में लाये गए 3 काले कानूनों के खिलाफ सड़को पर है। किसान ठंड में बिना किसी व्यबस्था के अपने घरों से धूर सड़को पर रात काटने को मजबूर है , भूख  और प्यास के मारे कई किसान तो बेसुध स्थिति में पहुंच गए है लेकिन देश की सरकार अपने फैसले से टस से मस होने का नाम नही ले रही और इसी वजह से किसानों और सरकार के बीच गतिरोध बढ़ता ही जा रहा है। 

जिससे  सरकर के लिए आने वाला समय निश्चित ही बहुत संघर्ष वाले होगा। पिछली मनमोहन सरकार ने जिस हिसाब से किसानों को देश  के लिए सर्वोपरि मानते हुए तत्काल 72000 करोड़ माफ किये थे उसी प्रकार मोदी सरकार को भी उनकी मांगे तत्काल मान लेनी चाइये जिससे देश का किसान अपने आप को ठगा महसूस न करे। किसान आंदोलन को ध्यान में रखते हुए मोदी जी, बगैर किसी बहानेबाजी के हटा क्यों नहीं देते। 

आप कह रहे हैं कि नए कानून किसान हित में हैं और किसानों का मानना है कि यह कानून उसके लिए नुकसानदायक हैं तो आप जवर्जस्ती किसानों पर यह मेहरबानी क्यों करना चाहते हैं ? किसानों पर इस जबरदस्ती की मेहरबानी के पीछे आखिर बीजेपी की मंशा क्या है ?  करने पर क्यों तुले हुए हैं नए कृषि कानून को लागू करने के लिए। जिस कानून को किसान स्वीकार नहीं कर रहे हैं तो फिर BJP इस कानून को जबरदस्ती लागू करने में क्यों इतनी उत्साहित दिख रही है ? शंका तो पैदा होगी ही ना... की दाल में कुछ काला है...

                                                   - दिव्या सिंह यादव

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