फूलबाग मैदान में बीजेपी 16 को करेगी किसान सम्मलेन

भय फैलाकर अपना राजनीतिक एजेंडा चलाने वाले…

फूलबाग मैदान में बीजेपी 16 को करेगी किसान सम्मलेन

ग्वालियर। ऐसे लोग किसान आंदोलन की तरफदारी कर रहे हैं, जो कर्जमाफी का झूठा वादा करके किसानों को धोखा देते हैं। भय और भ्रम फैलाकर अपना राजनीतिक एजेंडा चलाने वाले इन लोगों से मैं पूछना चाहता हूं कि देश के किसानों को अपनी उपज का दाम तय करने का अधिकार होना चाहिए या नहीं? उन्हें अपनी सुविधा के अनुसार बाजार तलाशने का अधिकार होना चाहिए या नहीं? दलाली खत्म होना चाहिए या नहीं? मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या किसानों को चुंगी और टैक्स की चक्की में पिसने के लिए छोड़ देना चाहिए? मोदी सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों से अगर किसानों की तकलीफें कम हो रही हैं, तो इन्हें परेशानी क्यों हो रही है? यह बात मप्र सरकार के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह ने सोमवार को मीडिया से चर्चा के दौरान कही। इस अवसर पर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी, संभागीय मीडिया प्रभारी पवनकुमार सेन उपस्थित थे। श्री कुशवाह ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार किसानों को प्रलोभन नहीं देना चाहती, बल्कि उन्हंी सशक्त, सक्षम और अधिकार संपन्न बनाना चाहती है।

कृषि कानूनों के जरिए प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को समृद्ध बनाने का प्रयास किया है और उनकी आय को दोगुना करने के अपने संकल्प की पूर्ति का प्रयास किया है। श्री कुशवाह ने कहा कि मोदी सरकार के कृषि कानून आजादी के बाद किसानों की स्थिति में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने का बड़ा प्रयास है। पहले किसानों को अपनी ही उपज पर निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं था, लेकिन इन कानूनों के लागू होने के बाद अब किसान स्वयं निर्णय लेता है। मोदी सरकार ने उन्हें अपनी इच्छानुसार बाजार और मूल्य और तय करने का अधिकार दिया है। इन कानूनों के माध्यम से प्रधानमंत्री जी ने एक राष्ट्र, एक बाजार की संकल्पना को साकार करने का प्रयास किया है। पहले कुछ लोग किसानों की उपज से दलाली खाते थे, वह लाभ अब किसान को मिल सकेगा। श्री कुशवाह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने इन कानूनों के जरिए किसानों को दलालों के जबड़ों से बाहर निकालने का काम किया है। श्री कुशवाह ने कहा कि एक राष्ट्र, एक बाजार की अवधारणा विकसित करने के लिये यह बाधा मुक्त व्यवस्था किसानों के लिये की गई है। दुर्भाग्य से आजादी के बाद भी दिन-रात पसीना बहाने वाले किसान को अपनी फसलों का मूल्य स्वयं निर्धारित करने का अधिकार नहीं दिया गया और उसे दलालों के जबड़े में डालकर रखा गया।

सच तो यह है कि देश और देश के लोगों के हित में जब भी फैसले लिये जाते हैं, तब कांग्रेस को विरोध ही करना होता है। उन्होंने कहा कि राजा, नबाव, अंग्रेज और कांग्रेस तक के शासनकाल में किसानों के हित में ऐसा कोई काम नहीं हो सका, जिसका उल्लेख किया जा सके। लेकिन आज जब देश के किसान को अभिमान और स्वाभिमान देने के प्रयास किये जा रहे हैं, तब विरोधी  दलों के पेट में मरोड़ हो रही है।  यदि कांग्रेस और कुछ विपक्षी दलों को किसानों को मिलने वाले इन अधिकारी से चिढ़ है और वे किसान को निरंतर निरीह और कमजोर देखना चाहते हैं, तो उनकी यह अमानवीय सोच उनको मुबारक हो। लेकिन उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार अब किसान को लाचार नहीं रहने देगी। श्री कुशवाह ने कहा कि नये कानूनों का लाभ किसान को मिलना प्रारंभ हो गया है। दो दिन पूर्व ही होशंगाबाद में झांसा देने के एक उद्योगपति केे प्रयास इसी कानून के कारण विफल हुये हैं। जिसकी प्रशंसा सिर्फ हम नहीं कर रहे, कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष पुष्पराज पटेल ने भी की है।  जिस कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष किसानों से दस दिन में कर्ज माफी जैसे बड़े-बड़े वादे करके लापता हो जाता हो, उस पार्टी के लोगों से किसानों के प्रति संवेदनशीलता की उम्मीद नहीं की जा सकती। जिस पार्टी का मुख्यमंत्री (कमलनाथ) भारी ओलावृष्टि और बाढ़ के हालातों में मंदसौर, श्योपुर भिण्ड तक टेलिस्कोप लगाकार भी किसान के खेत की ओर नहीं देखता हो, उस पार्टी की सरकार किसानों के हित में क्या कदम उठाएगी। 

श्री कुशवाह ने कहा कि आज पूरे देश की, विशेषकर मध्यप्रदेश की जनता यह जानती है कि मध्यप्रदेश किसान वेलफेयर स्टेट है। इसीलिये पिछले दिनों कांग्रेस के बंद के आह्वान को स्वयं किसानों ने ही फेल कर दिया। मजेदार बात तो यह है कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में चार हजार रुपये की वृद्धि करके 10 हजार रुपये किसान को देने का निर्णय लिया। प्रदेश में 78 लाख से अधिक किसानों के खातों में 3 हजार 705 करोड़ दिये जा चुके हैं। जबकि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार तो किसान फसल बीमा का प्रीमियम भी डकार गई थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कोे किसानों के मुद्दे पर बात करने का नैतिकअधिकार नहीं है, क्योंकि यह वह पार्टी है, जिसकी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को वर्षों तक दबाकर रखा। जबकि मोदी जी सरकार ने स्वामीनाथन की अधिकांश सिफारिशों को लागू कर 2022 तक किसानों की आमदनी दो गुनी करने की अपनी प्रतिबद्धता स्थापित की है। प्रेसवार्ता के दौरान मप्र सरकार के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा ग्वालियर में किसानों का भ्रम दूर करने 16 दिसंबर को दोपहर 12 बजे फूलबाग मैदान में किसान सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद रहेंगे।

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