कलेक्टर ने माता महामाया को मदिरा चढ़ाकर की पूजा की शुरुआत

12 घंटे तक रास्ते भर बहती रहेगी धार...

कलेक्टर ने माता महामाया को मदिरा चढ़ाकर की पूजा की शुरुआत

हल्की गुलाबी ठंड का असर लोगों पर साफ दिखाई दे रहा है। सुबह से बड़ी संख्या में भक्त माता मंदिर पहुंचे हुए थे। जैसे ही कलेक्टर आशीष सिंह ने धार लगाकर मदिरा चढ़ाई, माता के जयकारे गूंज उठे। मौका था शारदीय नवरात्रि में महाष्टमी पर नगर पूजा का। बतौर मुखिया कलेक्टर ने माता महामाया को मदिरा चढ़ाकर पूजा की शुरुआत की। इसके बाद पुजारी और कुछ भक्ताें ने मदिरा चढ़ाई। अष्टमी पर शहर की सुख-समृद्धि के लिए 500 साल से इस नगर पूजा का सिलसिला जारी है। 12 घंटे में 27 किलोमीटर गुजरने वाली इस यात्रा में मदिरा की धार अनवरत बहती रहेगी।

साल में एक बार शारदीय नवरात्रि में हाेने वाली इस पूजा में कलेक्टर आशीष सिंह शामिल हुए। उन्होंने महालया और महामाया मंदिर में माता पूजन के बाद यात्रा काे रवाना किया। करीब 27 किमी इस महा-पूजा में 40 मंदिरों में मदिरा का भोग लगाया जाएगा। यात्राें में जिला प्रशासन के साथ-साथ कई पैदल चलते हुए इस परंपरा का निर्वहन करेंगे। सुबह यात्रा प्रसिद्ध 24 खंबा माता मंदिर से शुरू हुई जो ज्योतिलिंग महाकालेश्वर पर शिखर ध्वज चढ़ाकर समाप्त होगी। इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है, जिसमें नीचे छेद होता है, जिससे पूरी यात्रा के दौरान मदिरा की धार बहाई जाती है जो टूटती नहीं है।

नगर पूजा में परंपराओं को खास ख्याल रखा गया। 27 किमी के रूट में नौ ऐसे देवी मंदिर हैं, जिनमें पूरा शृ़ंगार चढ़ाया जाएगा।भूखी माता व 24 खंभा माता मंदिर पर चार स्थानों पर इसके अलावा 64 योगिनी, चामुंडा माता, बहादुरगंज माता मंदिर, गढ़कालिका और नगर कोट की रानी मंदिर में शृ़ंगार का पूरा सामान चढ़ाकर पूजा करने की परंपरा है। ऐसे ही चक्रतीर्थ पर मसानिया भैरव को सिगरेट चढ़ाकर पूजा की जाएगी। देवियों को पूरा शृंगार चढ़ाने की परंपरा 500 साल से चली आ रही है। मान्यता है कि यह देवियां नगर की सुख-समृद्धि और शांति की कामना पूरी करती हैं। मसानिया भैरव सहित शहर में मौजूद अन्य भैरव क्षेत्र की रखवाली के प्रतीक माने जाते हैं। इन्हें भोग लगाकर सुरक्षा की कामना की जाएगी।

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