आजादी के बाद पहली बार टलेगी जनगणना

 जनगणना रजिस्ट्रार ने राज्यों को भेजा पत्र…

आजादी के बाद पहली बार टलेगी जनगणना

हर दशक के शुरुआती साल में होनी वाली जनगणना का इस बार एक साल आगे बढ़ना लगभग तय हो गया है। ऐसा कोरोना संक्रमण के चलते हो रहा है। जनगणना स्थगित करने का कोई आधिकारिक आदेश फिलहाल जारी नहीं हुआ है, लेकिन जनगणना रजिस्ट्रार ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर प्रशासनिक क्षेत्राधिकार फ्रीज करने की नई डेडलाइन दे दी है। 

पहले यह डेडलाइन 31 दिसंबर 2019 थी, जो बढ़कर 31 दिसंबर 2020 हाे गई है। प्रशासनिक क्षेत्राधिकार फ्रीज करना जनगणना की शुरुआत का सबसे पहला कदम होता है। इसमें एक निश्चित अवधि के तहत किसी भी नए जिले, नई तहसील, नई नगर पालिका, नई ग्राम पंचायत या नए वार्ड का गठन नहीं किया जा सकता है, न ही पहले से मौजूद किसी प्रशासनिक व्यवस्था को खत्म किया जाता है।

यह क्षेत्राधिकार तब तक फ्रीज रहता है, जब तक जनगणना की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती। जनगणना की आधिकारिक रिपोर्ट जारी होने के बाद यह डी फ्रीज हो जाता है। यानी 2021 में आने वाले जनगणना आंकड़े अब 2022 में आएंगे। हर बार जनगणना वर्ष से एक साल पहले यह फ्रीजिंग होती है, जो दिसंबर 2019 में की गई थी, अब इसे एक वर्ष आगे बढ़ाने का मतलब है कि अब जनगणना का काम 31 दिसंबर 2020 के बाद ही दोबारा शुरू हो सकेगा। 

आजादी के बाद भारत में यह पहला मौका है जब जनगणना अपने पूर्व निर्धारित समय पर नहीं हो पाएगी। इससे पहले सिर्फ 1941 में द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच जनगणना के काम में बाधा आई थी, लेकिन आजादी के बाद यह हमेशा तय वक्त पर होती आई है। मप्र में जनगणना का पहला चरण 1 मई से शुरू होना था, 1 मई से 14 जून तक मप्र में हाउस लिस्टिंग और एनपीआर सर्वे दोनों एक साथ होने थे।

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