"महाराज मानसिंह की गौरव गाथा"
ग्वालियर की शान…
"महाराज मानसिंह की गौरव गाथा"
मानसिंह की गौरव गाथा गाते आज तराने में ।
शौर्य व्याप्त है महाराज का देखो, आज ज़माने में ।
संगीत, कला, साहित्य की प्रगति, स्वर्ण युग था कहलाया ।
गालव ऋषि की तपोभूमि पर,
ऐसा भी इक युग आया ।
प्रतिपल रहते थे जो आगे,
विजय ध्वजा फहराने में।
महल गूजरी रानी का अनुपम दिव्य उदाहरण है ।
इतिहास साक्षी गाथाओं का,
शौर्य शीश पे धारण है ।
विश्व पटल पर नाम आपका,
ग्वालियर को चमकाने में ।
जाति-धर्म का भेद न जाना,
प्रेम की एक मिसाल बनी ।
न्याय प्रिय थे शासक वे, शिक्षा की भी लहर चली ।
शान है तोमर राजवंश की,
गर्वित ये कहलाने में ।
मानसिंह की गौरव गाथा गाते आज तराने में ।
शौर्य व्याप्त है महाराज का देखो,
आज ज़माने में ।
कवयित्री डॉ. दीप्ति गौड़ "दीप"
कवयित्री ग्वालियर
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