व्यवसाईयों से नहीं होने दी जाएगी जबरन वसूली : श्री ओझा

चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने संभागीय आयुक्त को सौंपा ज्ञापन…
व्यवसाईयों से नहीं होने दी जाएगी जबरन वसूली : श्री ओझा

ग्वालियर । नगर-निगम, ग्वालियर द्वारा शहरवासियों से वर्ष 2020-21 के लिए सम्पत्ति कर को गत् वर्ष की दर से ही वसूल किए जाने के साथ ही, ट्रेड लायसेंस बनाए जाने की प्रक्रिया को स्थगित किए जाने तथा नामान्तरण शुल्क में रु. 50/- के अतिरिक्त समाचार-पत्रों में विज्ञप्ति प्रकाशन के नाम पर रु. 5000/- का अतिरिक्त शुल्क जोड़े जाने संबंधी आयुक्त, नगर-निगम द्वारा जारी आदेश को निरस्त किए जाने की माँग करते हुए, आज चेम्बर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारी संभागीय आयुक्त,  एम. बी. ओझा से मिले और उन्हें एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा । संभागीय आयुक्त, एम. बी. ओझा से भेंट करने वाले प्रतिनिधि मण्डल में चेम्बर के अध्यक्ष-विजय गोयल, संयुक्त अध्यक्ष-प्रशांत गंगवाल, उपाध्यक्ष-पारस जैन, मानसेवी सचिव-डॉ. प्रवीण अग्रवाल, मानसेवी संयुक्त सचिव-ब्रजेश गोयल एवं कोषाध्यक्ष-वसंत अग्रवाल शामिल थे । 

इस अवसर पर संभागीय आयुक्त महोदय से चर्चा करते हुए चेम्बर के पदाधिकारियों ने कहाकि आयुक्त, नगर-निगम द्वारा सम्पत्ति कर वर्ष 2020-21 की दरों को बढ़ाए जाने का एक प्रस्ताव आपकी अनुशंसा हेतु प्रेषित किया गया था । इस प्रस्ताव का हमारे द्वारा विरोध करते हुए आपत्ति व्यक्त की गई थी, जिस पर  आयुक्त, नगर-निगम द्वारा दि. 02 मई,20 को बाल भवन में एक बैठक आहूत की गई, जिसमें चेम्बर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों ने आयुक्त, नगर-निगम से कहा कि वर्तमान में कोरोना महामारी से संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सम्पूर्ण देश एवं प्रदेश में लॉकडाउन है । समस्त प्रकार की व्यवसायिक, आर्थिक एवं अन्य गतिविधियों पर विराम लगा हुआ है । 

सभी प्रकार के व्यापार, उद्योग, धंधे आदि बंद हैं । उपरोक्त स्थिति को ध्यान में रखते हुए निगम द्वारा पूर्व वर्ष 2019-20 में पारित सम्पत्ति कर ठहराव/प्रस्ताव अनुसार परिक्षेत्र भाड़ा मूल्य की दरें, सम्पत्ति कर की दरें आदि को वर्ष 2020-21 के लिए पूर्णतः यथावत् रखा जाए । चेम्बर के इस प्रस्ताव को आयुक्त, नगर-निगम द्वारा स्वीकार भी कर लिया गया था, परन्तु बावजूद इसके वर्तमान में देखने में आ रहा है कि नगर-निगम द्वारा जिन लोगों से सम्पत्ति कर की वसूली की जा रही है, उनसे गारबेज शुल्क के नाम पर हजारों रुपये की वसूली का दबाव बनाया जा रहा है, जो कि गलत है । इस शुल्क को लगाए जाने के प्रस्ताव को नगर-निगम परिषद द्वारा भी पूर्व में वापिस किया जा चुका है, फिर भी शहरवासियों/व्यवसाईयों से गारबेज शुल्क के नाम पर वर्तमान संकटकाल में किया जाना औचित्यहीन होने के साथ-साथ अवैधानिक भी है ।

ट्रेड लायसेंस : इस अवसर पर पदाधिकारियों ने संभागीय आयुक्त महोदय को ट्रेड लायसेंस के संबंध में अवगत कराते हुए कहा कि  वर्तमान संकट के समय जबकि देशव्यापी लॉकडाउन के चलते समूचा व्यापार-उद्योग की गतिविधियाँ बुरी तरह से प्रभावित है । इसके बावजूद नगर-निगम के कर्मचारियों द्वारा व्यवसायिक प्रतिष्ठिानों पर जाकर, व्यवसाईयों पर ट्रेड लायसेंस बनवाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है । नगर-निगम द्वारा व्यवसाईयों के ट्रेड लायसेंस बनाया जाना समझ से परे एवं औचित्यहीन है क्योंकि व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का पंजीयन एवं उसका नवीनीकरण पूर्व से ही श्रम विभाग द्वारा किया जा रहा है । वर्तमान संकटकाल में ट्रेड लायसेंस बनवाने के लिए शहर के व्यवसाईयों को मजबूर किए जाने से व्यवसाईयों को आर्थिक एवं मानसिक क्षति पहुँच रही है । इसलिए ट्रेड लायसेंस बनाए जाने की प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए।

नामान्तरण ः पदाधिकारियों ने कहाकि आयुक्त, नगर-निगम, ग्वालियर द्वारा दि. 26 मई,20 को एक आदेश जारी करके, भवन/भूमि एवं नगर-निगम के स्वामित्व की दुकान के लाईसेंसियों के नामान्तरण/नामांकन प्रक्रिया के लिए देय शुल्क के साथ-साथ रु. 5000/- का शुल्क विज्ञप्ति शुल्क के रूप में जमा कराने होंगे । पाँच हजार रुपये का अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने के पीछे यह तर्क दिया गया है कि विज्ञप्ति को सार्वजनिक रूप से समाचार-पत्रों के माध्यम से दो प्रमुख समाचार-पत्रों में प्रकाशित कराया जाएगा । वर्तमान में जबकि मात्र 50/- रुपये नामान्तरण के लिए शुल्क निर्धारित हैं, परन्तु अचानक इसे बढ़ाकर रु. 5000/- की राशि किए जाने से नगर-निगम कर्मचारी स्वयं ही इससे आशंकित हैं और नामांतरण हेतु जाने वाले व्यवसाईयों के पैसा जमा ही नहीं हो पा रहे हैं । इस संबंध में हमारा कहना है कि यदि समाचार-पत्र में विज्ञप्ति को प्रकाशित किया जाना वैधानिक है, तो इसे दो समाचार-पत्रों के स्थान पर केवल एक ही समाचार-पत्र में प्रकाशित कराए जाने का प्रावधान किया जाए, जिससे कि अतिरिक्त शुल्क की दर कम हो सके । 

साथ ही, महीने भर में जितने भी आवेदन प्राप्त हों, उन्हें एकसाथ समाचार-पत्र में प्रकाशित किए जाने की व्यवस्था किए जाने से निश्चित ही, विज्ञप्ति प्रकाशन का व्यय काफी कम हो जाएगा और ऐसा होने से स्थानीय निवासियों को अतिरिक्त आर्थिक भार से राहत मिलेगी । पदाधिकारियों ने संभागीय आयुक्त, ग्वालियर संभाग से कहाकि नगर-निगम द्वारा यदि उपरोक्त जबरन वसूली की कार्यवाही नहीं रोकी गई, तो मजबूरी में व्यवसाई आंदोलन करने के लिए विवश होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी नगर-निगम प्रशासन की होगी । संभागीय आयुक्त, ग्वालियर संभाग- एम. बी. ओझा ने चेम्बर के पदाधिकारियों की बातों को काफी ध्यान पूर्वक सुना और ज्ञापन में उल्लेखित सभी बिन्दुओं को पड़ने के उपरान्त आपने कहाकि किसी भी स्थिति में व्यवसाईयों से जबरन वसूली की कार्यवाही नहीं होने दी जाएगी । साथ ही, ज्ञापन में शामिल सभी बिन्दुओं का यथासंभव समाधान किए जाने का प्रयास किया जाएगा ।

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