अब जान के साथ जहान को बचाने की जरूरत...

अब जान के साथ जहान को बचाने की जरूरत...


 यह तय हो गया कि हम को कोरोना के साथ ही रहना है. ..लिहाजा कोरोना के डर से निकल कर जान के साथ जहान  बचाने के प्रयास तेज करने की जरूरत है... हालांकि शराब दुकानों के लिए उमड़ी भीड़ देखकर डर भी लगता है कि लॉकडाउन खुलने के बाद सड़कों पर क्या गदर मचेगा... अब सरकारों को बड़े जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, क्योंकि पिछले 44 दिनों में कोरोना को लेकर न्यूज चैनलों, सोशल मीडिया ने जरूरत से ज्यादा दहशत का संक्रमण फैला दिया है... इन्फोसिस के सह संस्थापक नारायण मूर्ति ने स्पष्ट कहा कि लम्बे समय तक लॉकडाउन नहीं रखा जा सकता... अगर ऐसा किया गया तो कोरोना से नहीं, बल्कि लोग भूख से मरने लगेंगे... वैसे भी सालभर में अन्य बीमारियों से 90 लाख से ज्यादा की मौत होती है...कोरोना से तो 1000-1200 ही हुई है... इसी तरह की बात नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भी कही है... उनका कहना है कि जानें तो बचा ली, अब रोजगार बचाना है अन्यथा कोरोना से ज्यादा मौतें अन्य कारणों से होंगी...श्रीकांत का यह भी कहना है कि अब पूरे देश को हाइपर लोकलाइजेशन की रणनीति पर चलना होगा और कंटेनमेंट झोन पर अधिक ध्यान देते हुए अन्य क्षेत्रों को खोलना होगा.. सप्लाई चेन व्यवस्था जल्द बहाल नहीं की गई तो अर्थव्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी... बड़े शहरों को भी लम्बे समय तक बंद नहीं रखा जा सकता, क्योंकि जानें बचाने के साथ अब जीविका बचाने की भी उतनी ही जरूरत है... अधिक संख्या में जांच करने और इलाज के लिए एक लाख बिस्तरों की व्यवस्था करना होगी, क्योंकि अगर 15 प्रतिशत भी लोगों को भर्ती करना पड़ा तो उनका इलाज हो सके और बाकी को तो अधिक इलाज की भी जरूरत कोरोना संक्रमण के चलते नहीं पड़ेगी... अभी तो कई लोग दूसरी बीमारियों का इलाज ना मिल पाने के कारण मर रहे हैं..कुपोषण का स्तर भी अधिक बढ़ेगा और जिन 30 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से निकाला गया वे फिर अति गरीबों की श्रेणी में आ जाएंगे... लिहाजा अब डर को हराना जरूरी है.. इसे नहीं हराया तो बीमारी भी नहीं जाएगी और अर्थव्यवस्था भी नहीं बच सकेगी... दुनिया में जो चीन का दबदबा घट रहा है उसका फायदा भारत को उठाने की जरूरत है... कोरोना के डर से सभी को बाहर आना पड़ेगा और पर्याप्त सावधानी-सुरक्षा के साथ दिनचर्या में लौटना होगा... कब तक घरों में कैद रहेंगे..? लाखों गरीब मजदूरों का हश्र भी हम देख रहे है ..जो कोरोना से बचे तो भूख से मर जाएंगे... जिस तरह अन्य बीमारियों से पीड़ित लोग परहेज करते हैं उसी तरह की जीवन शैली अब हम सभी को अपनाना पड़ेगी...क्योंकि 130 करोड़ जनता को वैक्सीन के इजाद होने के बाद लगाने में कई साल लग जाएंगे l

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