आउटसोर्स व निगम कर्मचारियों के स्वास्थ्य व भविष्य का रखें ख्याल
नगर निगम में आउटसोर्स कर्मचारी दे रहे हैं सेवाएं तो...
आउटसोर्स व निगम कर्मचारियों के स्वास्थ्य व भविष्य का रखें ख्याल
ग्वालियर। देश में
चलती महामारी को
देखते हुये प्रशासन
द्वारा कर्मचारियों की आपातकालीन
ड्यूटी लगायी जा रही
है। प्रदेश सरकार
द्वारा इसके लिये
एक केटेगिरी निश्चित
की गयी है।
जिसमें क्षेत्र में कार्य
कर रहे कर्मचारियों
जिनमें स्वास्थ्य, आंगनवाड़ी कर्मचारियों
को सुरक्षा दृष्टि
अनुसार 50 लाख का
बीमा व 10000 रूपये
की सहायता प्रदान
करने की घोषणा
स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज
सिंह चैहान कर
चुके हैं जबकि
आउटसोर्स व अन्य
विभाग के कर्मचारियों
के लिये किसी
भी प्रकार की
घोषणा नहीं की
गयी है।
लेकिन
देखने में आ
रहा है, कि
प्रशासनिक अधिकारी 8 हजार रूपये
पाने वाले निगम
आउटसोर्स कर्मचारियों को भी
बिना किसी सुरक्षा
व सुविधा के
लगातार क्षेत्र में सर्वे
के लिये ड्यूटी
लगा रहे हैं
जिनके पास न
तो 50 लाख का
बीमा है और
न ही किसी
प्रकार की सहायता
वेतन भी निगम
प्रशासन द्वारा दो से
तीन माह में
दी जाती है
ऐसे में स्वास्थ्य
व आंगनवाडी कर्मचारियों
के स्थान पर
निगम आउटसोर्स कर्मचारियों
की क्षेत्र में
सर्वे हेतु ड्यूटी
का किसी भी
प्रकार का प्रावधान
नहीं है।
आपको
बता दें, कि
श्रम विभाग के
द्वारा भी स्पष्ट
रूप से स्मस्त
श्रमिकों के हित
को देखते हुये
यह आदेश किया
गया था, कि
अगर कोई श्रमिक
ड्यूटी पर नहीं
आ रहा है
तो उसको मजबूर
न किया जावे
न ही उसकी
वेतन कटोती की
जावेगी, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों
के सामने किसी
की कहा चलने
वाली। ताजा उदाहरण
के तौर पर
इंसीडेंस कमान्डर सेन्टर जोन-15
पर क्षेत्राधिकारी वेदप्रकाश
निरंजन व आर.आई के
द्वारा दिये गये
समस्त कर्मचारियांे की
ड्यूटी कमांडर डिप्टी कलेक्टर
सीबी प्रसाद द्वारा
लगा दी गयी
है जिसमें अधिकतर
आउटसोर्स कर्मचारियों को लगाया
गया है जो
निगम में कार्यरत
है जबकि अनेक
ऐसे कर्मचारी है
जिनसे कार्य नहीं
लिया जा रहा
है जो स्वास्थ्य
व राजस्व विभाग
से हैं और
न ही आज
दिनांक तक कर्मचारियों
की जाॅच कराई
गयी है। आउटसोर्स
कर्मचारियों का क्षेत्र
में ड्यूटी का
कही प्रावधान ही
नहीं है। अगर
ड्यूटी लगायी गयी तो
उन्हें सुरक्षा के लिये
50 लाख का बीमा
का निगम का
कर्मचारी घोषित किया जाये।
जोन 15 पर कार्यरत
आउटसोर्स कर्मचारी ने अपने
नाम को गोपनीय
रखते हुये बताया,
कि यह ड्यूटी
स्वयं क्षेत्राधिकारी वेदप्रकाश
निरंजन के कहने
पर समस्त कर्मचारियों
को लगाया गया
है जबकि सरकार
द्वारा शोसल डिस्टेंश
को देखते हुये
स्पष्ट रूप से
कहा गया है,
कि जरूरत के
हिसाब से ही
कम से कम
कर्मचारियों की ड्यूटी
लगाई जाये। इसके
साथ ही कमांडर
सेन्टर मोती महल
जोन-13 पर अनेक
कर्मचारियों को कमंाडर
द्वारा नोटिस जारी कर
दिया गया है
जबकि कर्मचारियों द्वारा
बताया गया कि
वे अन्य शहर
में लाॅकडाउन में
फसे हुये हैं।
इससे स्पष्ट होता
है कि निगम
प्रशासन को अपने
कर्मचारियों की जान
से कोई मतलब
नहीं है जहाॅ
तक मालूम होता
है, कि निगम
कभी भी आउटसोर्स
कर्मचारियों को निगम
का हिस्सा नहीं
मानती उनको बधुआ
मजदूर समझती हैं
तभी तो कभी
भी आउटसोर्स कर्मचारियों
का पक्ष लेते
हुये नहीं देखा
गया।
मतलब स्पष्ट
है कि प्रशासन
को अपने काम
से मतलब है
कर्मचारी से नहीं
न ही उसकी
जान से। आपको
बता दें, कि
प्रदेश सरकार का स्पष्ट
निर्देश है कि
कर्मचारियों की सुरक्षा
के सारे इंतिजाम
किये जावे परन्तु
ग्वालियर शहर के
अधिकाशतः जोन पर
कोरोना से संबंधित
जाॅच अभी तक
नहीं कराई गयी
है जो धोर
लापरवाही का प्रयाय
है। जाॅच सर्वप्रथम
कर्मचारियों की जानी
चाहिए क्योंकि वे
अपना परिवार छोड़कर
कार्य कर रहे
हैं लेकिन हजारों
पाने वाले कर्मचारियों
को इसकी कहा
चिन्ता है।
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