नारी स्वयं को अबला ना समझे अपने शक्तिस्वरूप को पहचानें : आदर्श दीदी

आवश्यकता है महिलाओं के प्रति...

नारी स्वयं को अबला ना समझे अपने शक्तिस्वरूप को पहचानें : आदर्श दीदी


ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधवगंज स्थित शाखा में अंतर्राष्ट्रीय  महिला दिवस पर "महिला सशक्तिकरण द्वारा सामाजिक परिवर्तन" विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया| जिसमें मुख्य रूप से डॉ. कुसुम सिंघल (स्त्री रोग विशेषज्ञ), डॉ. रश्मी सुखवानी (दन्त रोग विशेषज्ञ), जान्हवी रोहिरा (राष्ट्रीय ट्रेनिंग समन्वयक, JCI  INDIA),  डॉ. निर्मला शर्मा (स्त्री रोग विशेषज्ञ), डॉ. साधना शंकर, ब्रह्माकुमारी लश्कर सेवाकेंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी एवं बी. के. प्रह्लाद भाई उपस्थित थे | कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया |

तत्पश्चात सभी का स्वागत करते हुए बी. के. प्रह्लाद भाई ने कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट किया और बताया कि माउंट आबू स्थित ब्रह्माकुमारीज संस्थान से महिला सशक्तिकरण का प्रकाश पूरे विश्व के 140 देशों में फ़ैल रहा है यह संस्थान खासकर महिलाओ के अन्दर शक्ति स्वरूपा का भाव और सर्वांगीण विकास के लिए कार्य कर रही है | संस्थान द्वारा लगभग 10 लाख महिलाएं अपना आध्यात्मिक सशक्तिकरण और नैतिक मूल्यों के माध्यम से अपने कार्य क्षेत्र में भी अग्रसर रहते हुए श्रेष्ठ जीवन और श्रेठ समाज और स्वर्णिम संसार के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रही है| उन्होंने कहा आज आवश्यकता है महिलाओं के प्रति विश्वस्तर पर द्रष्टिकोण को बदलने की, उनके प्रति सुविकसित नजरिया पैदा करने की साथ ही नारी का नारी प्रति रवैया बदलने की ताकि नारी सामाजिक, मानसिक, आर्थिक,शारीरिक व आध्यात्मिक रूप से सशक्त बने|       

मुख्या वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ. कुसुम सिंघल ने कहा कि नारी इस संसार का आधार है नारी के बिना इस संसार की कल्पना असंभव है आज हम सभी उस रामराज्य की परिकल्पना करते हैं जहाँ सभी लोग भयहीन वातावरण में परस्पर प्रेम व सहयोग के साथ अपने जीवन को सफल बना सकें| उन्होंने कहा कि महिलायें सशक्त हों उसके लिए सर्वप्रथम आवश्यकता है सामाजिक परिवर्तन की, सदियों से समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों, कुप्रथाओं, विक्षिप्त मानसिकता को समाप्त कर महिलाओं प्रति सहयोग, सम्मान वाला नजरिया विकसित करने की| उन्होंने कहा समाज उनके पंख ना कतरे उन्हें उन्मुक्त गगन में उड़ने की इज़ाज़त दे| यदि महिलायें काम करना चाहती हैं बढ़ना चाहती हैं तो बेशक हम मदद ना कर सकें लेकिन उनको रोकें भी नहीं| 

इस अवसर पर डॉ. रश्मि ने कहा कि महिलायें स्वयं में सशक्त हैं बशर्ते आवश्यकता है उनको स्वयं को जानने की अपनी शक्तियों को पहचानने की | कि हम जननी हैं संपूर्ण संसार की| हम धुरी हैं इस धरा पर जीवन की |
J. C. I.  से पधारी  जाह्नवी रोहिरा ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्थान वह स्थान हैं जहाँ जीवन रुपी नैया को सहज रूप से हर परिस्थिति में ख़ुशी के रथ पर सवार हो जीवन जीने की कला के रत्नजडित मंत्र मिलते हैं| जिन गुणों को हम स्वयं में विकसित कर हम एक खूबसूरत संसार का निर्माण कर सकते हैं| ब्रह्माकुमारीज सेवाकेंद्र संचालिका बी. के. आदर्श दीदी जी ने बताया कि आदिकाल से ही नारी को उच्च, पूजनीय स्थान प्राप्त था लेकिन धीरे-धीरे दैहिक प्रवृत्ति बढ़ने के कारण, विषम परिस्थिति, चारित्रिक पतन और नैतिक अवमूल्यन के कारण नारी के प्रति समाज का नजरिया बदलता ही गया और वह घर की चार दीवारी में भोग विलास की वस्तु बनकर ही सिमट कर रह गयी है और वर्तमान समय बढती मानसिक विक्षिप्तता के कारण महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार, भेदभाव व हिंसा के मामले दिनों दिन बढ़ते ही जा रहे हैं|

आप आदिकाल से ही सशक्त है जिसका दुर्गा, लक्ष्मी, सीता व सरस्वती के रूप में गायन है | आप प्रतीक हो साहस, त्याग, दया और ममता की| अतः आज इस विशेष दिवस पर मै सभी महिलाओं से अनुरोध करती हूँ कि अपना आध्यात्मिक व नैतिक सशक्तिकरण करें| स्वयं को अबला ना समझ अपने कल्याणी और शक्तिस्वरूप को पहचानें और स्वच्छ मानसिकता वाले परिवार, समाज और विश्व के निर्माण में अपना सहयोग कर अपने जीवन में नयी ऊँचाइयों को प्राप्त करें|

साथ ही उन्होंने बताया कि राजयोग मैडिटेशन के नियमित अभ्यास से एकाग्रता, मनोबल, आत्मविश्वास बढ़ता है हम मानसिक रूप से सशक्त हो जाते हैं और जीवन बदलने लगता है| अतः नियमित रूप से अपनी दिनचर्या में मैडिटेशन को अवश्य शामिल करें| और अपने दिव्य कर्मों की खुशबू से परिवार के साथ संपूर्ण विश्व को महका दें | इस अवसर पर अन्य सभी वक्ताओं ने भी अपनी शुभकामानाएं दी | कार्यक्रम का कुशल संचालन बी. के. प्रहलाद भाई के द्वारा किया गया | कार्यक्रम में  संसथान से जुड़े  अनेकानेक भाई एवं बहिनें उपस्थित थे |

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