जालसाजों से बचने के तरीके…
फेसबुक पर मदद का मैसेज आए तो हो जाए होशियार
लखनऊ।
फेसबुक पर किसी
अपने या दोस्त
की मदद का
मैसेज आए तो
होशियार हो जाएं।
पहले उस मैसेज
को वेरीफाइ करें
और फिर इसकी
शिकायत साइबर क्राइम सेल
से करें। आपके
दोस्त का फेसबुक
एकाउंट हैक कर
जालसाज उससे जुड़े
लोगों को इस
तरह के मैसेज
भेज ठगी कर
रहे हैं। लखनऊ
में हर दिन
दो से तीन
मामले साइबर क्राइम
सेल में पहुंच
रहे हैं।
छोटी
रकम की करते
हैं डिमांड
फेसबुक
हैक करने के
बाद उससे जुड़े
करीबी दोस्तों को
एक मैसेज आता
है, जिसमें एकाउंट
यूजर किसी ऐसी
मुसीबत में बताया
जाता है कि
वह संपर्क करने
की स्थिति में
भी नहीं है
और तत्काल पांच
से बीस हजार
रुपये की डिमांड
की जाती है।
रकम बड़ी न
होने और करीबी
रिश्ते के चलते
लोग बिना वेरीफाइ
करे एकाउंट में
रकम ट्रांसफर कर
देते हैं।
तीन
तरह से टारगेट
करते हैं जालसाज
फेसबुक
एकाउंट पर मैसेज
भेज कर ठगी
करने वाले जालसाज
तीन तरह से
टारगेट करते हैं।
सबसे पहले वह
उन एकाउंट को
टारगेट करते हैं
जो करीब 6 माह
से एक्टिव न
हुआ हो। दूसरे
उस एकाउंट में
सिक्योरिटी नहीं हो
या फिर 2 स्टेप
वेरीफिकेशन नहीं हो
और तीसरा एफबी
पर लिंक भेज
कर। लिंक क्लिक
करते ही एफबी
का पासवर्ड उनके
पास पहुंच जाता
है और वह
अपने तरह से
एफबी एकाउंट को
यूज करते हैं।
केस
नंबर एक : 'आपका
फ्रेंड आईसीयू में है'
गोमतीनगर
के विराटखंड निवासी
अविनाश चंद्र शुक्ल के
शाहजहांपुर में दोस्त
योगेंद्र सिंह वर्मा
रहते हैं। कुछ
दिन पहले अविनाश
चंद्र शुक्लके पास
फेसबुक मैसेंजर पर योगेंद्र
का मैसेज आया।
मैसेज में जिक्र
था कि वह
आईसीयू में भर्ती
हैं और उनको
15 हजार रुपये की आवश्यकता
है।
अविनाश ने
योगेंद्र को फोन
किए, कॉल नहीं
उठी। अविनाश ने
दोस्त योगेंद्र के
यूपीआई खाते में
15 हजार रुपये ट्रांसफर कर
दिये। कुछ देर
बाद दोबारा से
15 हजार की मांग
की गई, जिस
पर अविनाश को
शक हुआ तो
उन्होंने योगेंद्र के परिजनों
से संपर्क किया।
इसके बाद इसका
खुलासा हुआ और
जानकारी हुई कि
हैकरों ने योगेंद्र
की फेसबुक आईडी
हैक कर ली
है, जिसके बाद
अविनाश ने गोमतीनगर
थाने में रिपोर्ट
दर्ज कराई है।
केस
नंबर दो : 'मेरा
पर्स गिर गया
है पैसे ट्रांसफर
कर दीजिए'
महानगर
के रोहित के
एफबी एकाउंट में
कुछ दिन पहले
एक मैसेज आया।
मैसेज उनके रिश्तेदार
का था, जिसमें
लिखा था कि
वह आउट ऑफ
स्टेशन हैं और
वहां उनका पर्स
चोरी हो गया
था। एटीएम, कैश
व पेपर गायब
हो गए। तत्काल
उनके एकाउंट में
पांच हजार रुपये
कैश ट्रांसफर कर
दें ताकि टिकट
का पेमेंट कर
सकें।
नीचे एकाउंट
नंबर भी दिया
था। रकम बड़ी
नहीं थी, जिसके
चलते रोहित ने
तत्काल ऑनलाइन एकाउंट से
रकम ट्रांसफर कर
दी। रकम पहुंचने
के बाद फिर
रुपयों की डिमांड
बढ़ने लगी। रोहित
को शक हुआ
तो उसने रिश्तेदार
को कॉल किया,
जिसके बाद मामले
का खुलासा हुआ।
रोहित ने साइबर
सेल में इसकी
शिकायत की है।
केस
नंबर तीन : 'मैं
एक प्रॉब्लम में
हूं'
गुडंबा
के डिस्ट्रीब्यूटर रमेश
कुमार के फेसबुक
पर एक मैसेज
आया। मैसेज उनके
पुराने दोस्त के एकाउंट
से आया था,
जिसके वह काफी
नजदीक थे, लेकिन
बिजी शेड्यूल के
चलते बात बहुत
बात कर पाते
थे। मैसेज में
लिखा था कि
मैं एक प्रॉब्लम
में हूं फोन
रिसीव भी नहीं
कर सकता हूं
प्लीज दस हजार
रुपये मेरे एकाउंट
में तत्काल भेज
दो। दो दिन
में पैसा वापस
कर दूंगा। दोस्ती
के चलते उन्होंने
पैसा तत्काल भेज
दिया। एक सप्ताह
बाद भी पैसा
वापस नहीं आया।
उन्होंने दोस्त को परेशानी
का कारण पूछने
के लिए फोन
किया तो ठगी
के खेल का
मामला खुला।
ऐसे
बचे जालसाजों से
- किसी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे गये लिंक को फारवर्ड या ओपेन न करें
- अज्ञात व्यक्ति के खाते में पैसे डालने का काम भूल से भी ना करें
- मैसेज मिलता है तो जिस एकाउंट से मैसेज आया उसे पहले वेरीफाइ करें और जरूरत पड़ने पर फोन व अन्य माध्यम से संपर्क करें
- मैसेज मिलने पर जिस व्यक्ति का एकाउंट है उसे तत्काल सूचना देने के साथ साइबर सेल में शिकायत भी करें
- जरूरत पड़ने पर तत्काल साइबर सेल की मदद से एफबी एकाउंट को बंद कराएं l
'साइबर
सेल में इस
तरह की शिकायत
लगातार आ रही
है। शिकायत पर
उनके एकाउंट को
ब्लॉक कर दिया
जाता है, लेकिन
इस तरह फ्राड
से बचने के
लिए लोगों को
अवेयर होना पड़ेगा।
किसी भी मैसेज
को वेरीफाइ करने
के बाद भी
कोई स्टेप उठाएं।'
- अभय
कुमार मिश्र, सीओ,
नोडल इंचार्ज साइबर
सेल
0 Comments