विजय दिवस पर सेना प्रमुख के घर सजी 'बोफोर्स' और 'आकाश' की थाली,!
विजय दिवस पर व्यंजनों के नाम सिंदूरी संदेश,व्यंजनों के नाम से थर्राया पाकिस्तान !
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान आज के दिन (16 दिसंबर 1971) भारतीय सेना ने एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। यह युद्ध 13 दिनों तक चला था और अंतत: पाक सैनिकों के सरेंडर के साथ खत्म हुआ। इस युद्ध के खात्मे के साथ ही बांग्लादेश को भी आजादी मिली थी। भारतीय सैनिकों की वीरता के आगे पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए थे। करीब 93 हजार पाक सैनिकों ने सरेंडर किया था। इस युद्ध के सैनिकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी, अमित शाह ने श्रद्धांजलि दी है।
विजय दिवस के अवसर पर पाकिस्तान को अब सेना प्रमुख के आवास पर बने व्यंजनों से भी भय सताने लगा है। 1971 के युद्ध में मिली ऐतिहासिक जीत को याद किया जा रहा है और ऑपरेशन सिंदूर की विजय के बाद आज जब विजय दिवस मनाया जा रहा है,तो इससे पाकिस्तान को ड्रोन से लेकर व्यंजन के नामों का भी डर सता रहा है।
मेन्यू कार्ड में भारत का पराक्रम
विजय दिवस के अवसर पर विशेष रूप से तैयार किए गए व्यंजनों को प्रतीकात्मक नाम दिए गए हैं, जैसे- ‘सिंदूरी संदेश’, ‘आकाश’, ‘बोफोर्स’, ‘एयर डिफेंस गन एल-70’ और विजय तिरंगा।
गौरतलब है कि इन्हीं हथियार प्रणालियों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अहम भूमिका निभाई थी, जिनके दम पर न केवल पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर किया गया, बल्कि उसकी सेना में गहरा डर भी पैदा हुआ।
वॉर ट्रॉफी का तड़का
जश्न में केवल व्यंजन ही नहीं, बल्कि एक ज़बरदस्त वॉर ट्रॉफी भी आकर्षण का केंद्र रही। मंच पर पाकिस्तान का तुर्की निर्मित ड्रोन प्रदर्शित किया गया है, जिसे 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारतीय सेना के एयर डिफेंस सिस्टम ने बड़ी शान से मार गिराया था।
जहां एक ओर मार गिराया गया ड्रोन पाकिस्तान की हवाई विफलता की याद दिला रहा है, वहीं दूसरी ओर 'बोफोर्स' और 'आकाश' नाम के व्यंजन भारत की सैन्य क्षमता का प्रतीक बनकर स्वाद से वार कर रहे हैं।
बता दें कि 15 दिसंबर की तारीख सिर्फ कैलेंडर की एक तारीख नहीं, बल्कि 1971 के युद्ध में भारत के फुल पावर शो का दिन है। यह वो निर्णायक पल था जब हमारी सेना ने पाकिस्तान को ऐसा घेरा कि ठीक अगले दिन 16 दिसंबर को उन्हें घुटने टेकने पड़े। 16 दिसंबर को ढाका में 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों का ऐतिहासिक आत्मसमर्पण हुआ।










0 Comments