इस दिन से भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागते हैं और सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं...
देवउठनी एकादशी हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण तिथि है, जिसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है !
देवउठनी एकादशी हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण तिथि है, जिसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागते हैं और सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। इसके अलावा एक बार फिर घरों में भी शुभ-मांगलिक कार्यों की शहनाइयां गूंजने लगती हैं।
शास्त्रों में देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का भी विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं कि, देवोत्थान पर तुलसी विवाह कराने पर साधक को कन्यादान के समान फल प्राप्त होता है। वहीं इस दिन व्रत रखने से भाग्योदय और कार्यों में मनचाहा फल भी प्राप्त होता है। परंतु इस वर्ष देवउठनी एकादशी तिथि को लेकर असमंजस बना हुआ है। ऐसे में आइए जानते हैं साल 2025 में देवउठनी एकादशी कब मनाई जाएगी।
ज्योतिषियों के मुताबिक, 1 नवंबर 2025 को देवउठनी एकादशी पर शाम 7 बजकर पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है। इसके अलावा इस समय सभी देवी-देवता शयन मुद्रा से जगेंगे। इस दिन शतभिषा नक्षत्र भी बना हुआ है, जो शाम 6 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इस दौरान ध्रुव योग भी बना रहेगा। देवउठनी एकादशी के दिन पूजा से पहले घर में गंगाजल का छिड़काव करें
पूजन विधि-
- देवउठनी एकादशी के दिन पूजा से पहले घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
- फिर पीले रंग के वस्त्र धारण करें और अब पूजन के लिए भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाएं।
- यह आकृति गेरु से बनाएं और उसके पास मौसमी फल, मिठाई, और बेर-सिंघाड़े रखें।
- इस दौरान दान से जुड़ी सामग्री को भी प्रभु के पास रखें।
- फिर आप कुछ गन्नों को प्रभु की आकृति के पास रखें और छन्नी या डलिया से उसे ढक दें।
- आकृति के पास दीपक जलाएं और भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी जी की पूजा करें।
- अब आप मुहूर्त के मुताबिक शंख या घंटी बजाकर 'उठो देवा, बैठा देवा' गीतर से सभी देवी-देवताओं को जगाएं।
- फिर सभी भगवानों को पंचामृत का भोग लगाएं और अगले दिन व्रत का पारण करते हुए क्षमतानुसार दान करें।
उठो देव बैठो देव
हाथ-पाँव फटकारो देव
उँगलियाँ चटकाओ देव
सिंघाड़े का भोग लगाओ देव
गन्ने का भोग लगाओ देव
सब चीजों का भोग लगाओ देव ॥
उठो देव बैठो देव
उठो देव, बैठो देव
देव उठेंगे कातक मोस
नयी टोकरी, नयी कपास
ज़ारे मूसे गोवल जा
गोवल जाके, दाब कटा
दाब कटाके, बोण बटा
बोण बटाके, खाट बुना
खाट बुनाके, दोवन दे
दोवन देके दरी बिछा
दरी बिछाके लोट लगा
लोट लगाके मोटों हो, झोटो हो
गोरी गाय, कपला गाय
जाको दूध, महापन होए,
सहापन होएI
जितनी अम्बर, तारिइयो
इतनी या घर गावनियो
जितने जंगल सीख सलाई
इतनी या घर बहुअन आई
जितने जंगल हीसा रोड़े
जितने जंगल झाऊ झुंड
इतने याघर जन्मो पूत
ओले क़ोले, धरे चपेटा
ओले क़ोले, धरे अनार
ओले क़ोले, धरे मंजीरा
उठो देव बैठो देव
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ग्वालियर न्यूज 24 उत्तरदायी नहीं है।










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