G News 24 : रोहन आहेर की सूझबूझ ने बचा ली 17 मासूमों की जान !

रोहित आर्य ने जब 'चाबी देने से मना किया… तब समझ आया कि कुछ बड़ा गड़बड़ है', 

रोहन आहेर की सूझबूझ ने बचा ली 17 मासूमों की जान !

मुंबई में बच्चों को बंधक बनाने की घटना क्यों हुई, यह अभी तक राज बना हुआ है. हालांकि इस मामले में लगातार खुलासे हो रहे हैं. घटना से जुड़े 2 प्रत्यक्षदर्शियों ने कई सनसनीखेज बातें बताई हैं.मुंबई के पवई इलाके में सोमवार को जो कुछ हुआ, उसके बाद से हर मां-बाप अब भी शॉक में हैं. एक फिल्म ऑडिशन के नाम पर RA Studio में बुलाए गए 17 बच्चों को अचानक बंधक बना लिया गया. यह काम आरोपी रोहित आर्य ने किया था. वह खुद को फिल्म प्रोड्यूसर और एजुकेशन एक्टिविस्ट बताता था.

करीब डेढ़ घंटे चली इस घटना में पुलिस ने कमांडो टीम भेजकर सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला. इस घटना में पुलिस की गोली लगने से आरोपी रोहित आर्य भी घायल हो गया. उसे अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया. अब इस घटना से जुड़े कई प्रत्यक्षदर्शी सामने आ रहे हैं, जिन्होंने इस पूरी घटना को विस्तार से बताया है. 

इस घटना के सबसे अहम चश्मदीद रोहन आहेर हैं. रोहन अहेर वही व्यक्ति हैं, जो आरोपी रोहित के साथ इस कथित फिल्म प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे. रोहन का कहना है कि वो पिछले दो से तीन महीनों से रोहित के साथ इस 'फिल्म वर्कशॉप' में जुड़ा था.

मीडिया से बात करते हुए रोहन ने शुक्रवार को बताया, 'मैं रोहित आर्य को कई सालों से जानता था. उसने खुद कहा था कि बच्चों के ऑडिशन होंगे, फिर मार्च में शूटिंग शुरू होगी. उसने यह भी कहा था कि स्क्रिप्ट अभी बन रही है, इसलिए पहले वर्कशॉप करेंगे. उसके बर्ताव से मुझे कभी नहीं लगा था कि वो ऐसा कुछ करेगा.'

रोहन के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट में मैं शिक्षक और प्रोजेक्ट कंट्रोलर की भूमिका निभा रहा था. बच्चों को चार दिन से स्टूडियो में रखा गया था, जहां रोजाना एक्टिंग और वर्कशॉप जैसी गतिविधियां चल रही थीं. बच्चों को यही बताया गया था कि फिल्म की शूटिंग की तैयारी हो रही है. लेकिन 30 अक्टूबर की सुबह जब मैं स्टूडियो पहुंचा तो कुछ अजीब लगा.

'चाबी देने से मना किया, तब समझ आया कि...

घटना के प्रत्यक्षदर्शी रोहन आहेर ने आगे बताया, 'गुरुवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे मैं स्टूडियो पहुंचा. वहां दरवाजे पर स्पॉटबॉय खड़ा था. उसने मुझे स्टूडियो के अंदर जाने से रोक दिया. मैंने पूछा कि अंदर जाने क्यों नहीं दे रहे, तो उसने कहा कि सर बच्चों के साथ प्रैक्टिस कर रहे हैं. मुझे लगा डायरेक्टर होगा तो कर रहा होगा. लेकिन जब मैंने ऊपर जाकर लैपटॉप की चाबी मांगी तो रोहित ने देने से मना कर दिया. तब लगा कि कुछ तो गड़बड़ है.'

बकौल रोहन, 'इसके बाद मैं तुरंत नीचे भागा और अपने साथी रवि भाई को घटना के बारे में बताया. रवि ने पुलिस को खबर दी. इस बीच रोहित आर्य अंदर से दरवाजे बंद कर बच्चों को अपने कब्जे में ले लिया था. मैंने दरवाजे का शीशा हथोड़े से तोड़ दिया ताकि पुलिस अंदर घुस सके. इसी दौरान उसने मुझ पर पेपर स्प्रे से हमला कर दिया और मैं नीचे गिर गया. लेकिन जैसे ही पुलिस ने हमला किया, मैं बच्चों को लेकर नीचे भागा.'

'हम बच्चे कमरे में छिपाकर रखे थे'

एक और प्रत्यक्षदर्शी मंगला पाटणकर, जो उसी स्टूडियो में बच्चों की देखरेख में शामिल थीं. उन्होंने भी बताया कि पूरी घटना अचानक कैसे हुई. मंगला पाटणकर ने बताया, 'अचानक गोलियों की आवाज आई, जिससे अफरातफरी मच गई. हमने किसी तरह बच्चों को एक कमरे में छिपाया. कुछ बच्चों को वो आदमी अपने साथ ले गया, लेकिन पुलिस फौरन पहुंची. मैंने कोई पुलिस फायरिंग नहीं सुनी, शायद सब अंदर ही हुआ.

'35 मिनट में खत्म हुआ ऑपरेशन'

वहीं मुंबई पुलिस ने भी प्रेस में बयान जारी कर बताया कि यह ऑपरेशन महज 35 मिनट चला. आठ कमांडो की एक टीम ने स्टूडियो के बाथरूम ग्रिल से अंदर घुसकर आरोपी को काबू करने की कोशिश की. इस दौरान गोली चलने से रोहित आर्य  गंभीर रूप से घायल हो गया. इसके बाद सभी 17 बच्चे और दो वयस्क सुरक्षित बाहर निकाले गए. किसी को गंभीर चोट नहीं आई.

सरकार से 2 करोड़ बकाये की कर रहा था मांग

सूत्रों के मुताबिक, अभी तक की जांच में सामने आया है कि रोहित आर्य का गुस्सा एक पुराने एजुकेशन प्रोजेक्ट को लेकर था. वह 'चलो बदलें' और 'माझी शाळा, सुंदर शाळा' नामक सरकारी अभियानों से जुड़ा था. रोहित का आरोप था कि शिक्षा विभाग और कुछ पूर्व मंत्रियों ने उसके काम का श्रेय छीन लिया और लगभग 2 करोड़ का भुगतान भी नहीं किया.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अपने पैसे डूबने और क्रेडिन न मिलने से वह लंबे समय से मानसिक परेशान था और शिक्षा मंत्री के आवास के बाहर प्रदर्शन भी कर चुका था. घटना से कुछ घंटे पहले उसने एक वीडियो भी शेयर किया था, जिसमें उसने कहा था, मैं आतंकी नहीं हूं. मुझे सिर्फ नैतिक जवाब चाहिए, पैसे नहीं.'

रोहित ने नाम में 'आर्य' क्यों जोड़ा?

पुलिस अब यह भी जांच रही है कि रोहित ने कुछ समय पहले अपना नाम बदलकर ‘आर्य’ क्यों किया और पुणे में रहने वाले अपने परिवार से वह कब से अलग था. पड़ोसियों के मुताबिक, 'वह पढ़ा-लिखा और ऊर्जावान युवक था, लेकिन कुछ महीनों से तनाव में लग रहा था.'

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