ट्रंप के साथ-साथ कौन हैं दावेदारों सूची में सबसे आगे...
कल 10 अक्टूबर को साल के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता के नाम से कल उठेगा पर्दा !
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस साल नोबेल शांति पुरस्कार मिलेगा या नहीं? इस बात को लेकर दुनियाभर में चर्चा तेज है। हालांकि इस बात में भी कोई दोहराई नहीं है कि ट्रंप भले ही खुद को शांति का मसीहा बताएं, लगता हो कि उन्होंने दुनिया में शांति स्थापित की है। इन सबके बावजूद नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में वे इस बार भी पीछे रह गए हैं। ऐसे में ये सवाल सबसे तेजी से पूछा जा रहा है कि अगर ट्रंप नहीं तो कौन? आइए जानते है कि इस बार संभावित विजेताओं की सूची में कौन आगे है?
कारण है कि वैश्विक मंचों पर सैंकड़ों बार ट्रंप ने कई बड़े संघर्ष को खत्म करने का दावा किया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि उन्हें इस साल नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि नोबेल शांति पुरस्कार की सूची में कौन आगे है या फिर इस बार ये किसे मिलने जा रहा है?
बता दें कि ट्रंप ने हजारों बार अपने कार्यकाल के दौरान आठ प्रमुख संघर्षों को खत्म कराने का दावा किया है। हद तो तब हो गई जब भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष को खत्म कराने का ट्रंप ने 50 से ज्यादा बार दावा किया। हालांकि ये अलग बात है कि भारत सरकार ने हमेशा से ही इन दावों का खंडन किया है। इसी सिलसिले में जब स्वीडन के अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रोफेसर पीटर वॉलेनस्टीन से सवाल पूछा गया। इसपर उन्होंने एक समाचार एजेंसी से कहा कि नहीं, इस साल ट्रंप को पुरस्कार नहीं मिलेगा। लेकिन शायद अगले साल? तब तक उनकी पहलों पर फैली धूल साफ हो जाएगी, जैसे गाजा संकट।
तो इस बार कौन हो सकता है विजेता...
जब ये बात लगभग-लगभग तय मानी जा रही है कि ट्रंप को इस बार नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलने जा रहा है। तो ये सवाल भी लगातार सामने आ रहा है कि अगर ट्रंप नहीं तो कौन? ध्यान रहे कि नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को दोपहर 2:30 बजे (भारतीय समयानुसार) ओस्लो में की जाएगी। ऐसे में इस पुरस्कार के लिए इस बार 338 व्यक्ति और संस्थाओं को नामांकित किया गया है। हालांकि, नामों की आधिकारिक सूची 50 वर्षों तक गोपनीय रखी जाती है। 2024 में यह पुरस्कार जापान के निहोन हिदानक्यो को मिला था, जो परमाणु हमलों के जीवित बचे लोगों का संगठन है।
दूसरी ओर इस बार विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार विजेता के नाम का चयन थोड़ा मुश्किल भी हो सकता है। कारण है कि इस साल की स्थिति बेहद गंभीर है, क्योंकि दुनिया भर में संघर्ष चरम पर हैं। इस्राइल और ईरान की सीधी भिड़ंत, गाजा में संघर्ष, भारत-पाकिस्तान के बीच ड्रोन और मिसाइल हमले, थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद जैसी घटनाओं ने माहौल तनावपूर्ण बना दिया है। 2024 में रिकॉर्ड संख्या में राज्य-स्तरीय युद्ध भी हुए थे, जैसा कि स्वीडन की उप्साला यूनिवर्सिटी के डेटा से पता चलता है।
इस साल 338 नामांकनों में कौन हैं प्रमुख दावेदार...
2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कई प्रभावशाली नाम चर्चा में हैं। सूडान की इमरजेंसी रिस्पॉन्स रूम्स, जो युद्ध प्रभावित इलाकों में लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, एक मजबूत दावेदार मानी जा रही है। वहीं रूस के विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की विधवा यूलिया नवलनाया भी इस सूची में शामिल हैं, जो अपने पति की विरासत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर आगे बढ़ा रही हैं। इसके अलावा, ऑफिस फॉर डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूशंस एंड ह्यूमन राइट्स (ODIHR), जो चुनाव निगरानी और लोकतंत्र की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभा रहा है, भी एक प्रमुख उम्मीदवार है।
संयुक्त राष्ट्र की संस्थाएं भी हो सकती हैं पुरस्कार की हकदार...
वहां कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि नोबेल समिति इस बार वैश्विक व्यवस्था के समर्थन में कोई संदेश देना चाहेगी, खासकर उन नेताओं के खिलाफ जो इसे चुनौती दे रहे हैं, जैसे डोनाल्ड ट्रंप। ऐसे में संभावित विजेताओं की सूची में यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, यूएनएचसीआर (शरणार्थी मामलों की एजेंसी), यूएनआरडब्ल्यूए (फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी) का भी नाम शामिल है।
हालांकि ठीक इसके इतर कुछ का मानना है कि वैश्विक न्याय या प्रेस स्वतंत्रता को लेकर काम करने वाली संस्थाओं को भी इस बार सम्मान मिल सकता है, जिसमें इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स और रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स का नाम शामिल है।
हो सकता है कोई चौंकाने वाला फैसला...
इतिहास बताता है कि नोबेल समिति कभी-कभी ऐसे लोगों या संगठनों को भी पुरस्कार देती है जिनकी उम्मीद किसी ने नहीं की होती। ऐसे में इस बार भी कोई आश्चर्यजनक नाम सामने आ सकता है। फिलहाल यह तय है कि डोनाल्ड ट्रंप इस बार विजेता नहीं होंगे, भले ही वे खुद को जितना भी योग्य मानें।










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