बाढ़ रूपी संकट बड़ा है, पर उससे बड़ी है हमारी और आपकी मानवीयता !
राहत का हर एक पैकेट,रूपया और मदद का प्रत्येक कतरा पीड़ित तक सीधे पहुंचना सुनिश्चित हो !
“बाढ़ का पानी सब बहा सकता है, लेकिन इंसानियत का पुल हमें हमेशा जोड़े रखता है। राहत की नाव तभी किनारे पहुँचेगी, जब उस पर बैठा हर हाथ ईमानदार हो।”
जम्मू-कश्मीर से लेकर बिहार, हिमाचल से लेकर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक – इस समय भारत का बड़ा भूभाग बाढ़ की मार झेल रहा है। नदी का उफान, टूटे हुए तटबंध और जलमग्न गाँव—ये दृश्य न केवल प्राकृतिक आपदा का संकेत हैं बल्कि मानवीय संवेदना की भी परीक्षा ले रहे हैं। ऐसे कठिन समय में सबसे बड़ी ताकत देश की एकजुटता और सहयोग की भावना है।
देश का यह प्रयास जम्मू कश्मीर, हिमाचल,पंजाब, बिहार,उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश सहित लगभग पूरा देश बाढ़ की आपदा झेल रहा है, इस आपदा से निपटने के लिए पूरा देश एकजुट है और बाढ़ पीड़ितों तक हर संभव मदद पहुंचाने के लिए प्रयासरत है, यह मदद पूरी ईमानदारी के साथ लोगों के पास पहुंचे यह सुनिश्चित होना चाहिए, ऐसा नहीं होना चाहिए कि सरकारें मदद जारी करें और बिचौलिए दलाल उसे बीच में ही हड़प ले ! बाढ़ की पीड़ा के साथ-साथ भारत की सकारात्मक ताकत और साझा जिम्मेदारी ही हमें इस आपदा से लड़ने में सफलता देगी।
संकट बड़ा है, पर उससे बड़ी है हमारी मानवीयता...
जब आपदा आती है, तब कोई क्षेत्रीय सीमा या राजनीतिक रंग मायने नहीं रखता। हर तरफ से मदद के हाथ उठ रहे हैं—सेना से लेकर एनडीआरएफ की टीमें, स्थानीय प्रशासन से लेकर स्वयंसेवी संगठन तक। सबसे सराहनीय यह है कि साधारण नागरिक भी अपने स्तर पर भोजन, कपड़े, दवाइयाँ और आर्थिक सहायता जुटा रहे हैं।
ईमानदारी और पारदर्शिता ही सबसे बड़ी जरूरत...
इतिहास गवाह है कि आपदाओं के दौरान राहत सामग्री और धनराशि कई बार बिचौलियों और भ्रष्ट तंत्र के जाल में उलझकर असली पीड़ितों तक पहुँच ही नहीं पाती। यह सबसे बड़ा अन्याय है। राहत सामग्री का हर पैकेट, हर रूपया और हर मदद का कतरा पीड़ित परिवार तक सीधे पहुँचे, यही इस समय की सबसे बड़ी चुनौती है।
इसलिए जरूरी है कि सरकारें, प्रशासन और समाज सभी सतर्क प्रहरी की तरह काम करें। राहत सामग्री का पारदर्शी वितरण, डिजिटल ट्रैकिंग, और स्वयंसेवी निगरानी समितियाँ इस ईमानदारी को सुनिश्चित कर सकती हैं।
संकट में सीखा सबक – एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण
बाढ़ जैसी आपदाएँ हमें बार-बार यह सिखाती हैं कि संकट चाहे जितना बड़ा हो, भारत उससे भी बड़ा है। अगर हर नागरिक मदद के संकल्प में जुड़ा रहे, और हर संस्था अपने कर्तव्य को ईमानदारी से निभाए, तो कोई आपदा हमारी हिम्मत नहीं तोड़ सकती।
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