हमें केवल विधिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि शोध.संस्कृति और संवैधानिक मूल्यों की समझ भी होना चाहिए...
मूल अधिकार मेग्नाकार्टा से नहीं बल्कि राम राज्य की परिभाषा से प्रभावित हैं जो उत्तर कांड में वर्णित हैं !
ग्वालियर। विधि प्रकोष्ठ की साप्ताहिक बैठक मंगलवार को 2025 को उच्च न्यायालय परिसर, ग्वालियर में जिला संयोजक धर्मेंद्र नायक की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। इस बैठक का मुख्य विषय मूल भूत अधिकारों पर संवाद रखा गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सुनील जैन साहब उपस्थित रहे। इस अवसर पर बार की कार्यकारिणी के सदस्यों ने शिवेंद्र सिंह रघुवंशी एवं सुनील जैन का माला से स्वागत कर उनका सम्मान किया।
मुख्य अतिथि सुनील जैन ने कहा कि अधिवक्ताओं को केवल विधिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि शोध संस्कृति और संवैधानिक मूल्यों की गहरी समझ भी विकसित करनी चाहिए। इसी से समाज को न्याय और समरसता की दिशा मिल सकती है। वक्ताओं ने माना कि इस प्रकार के ज्ञानवर्धक कार्यक्रम समस्त शोध संस्कृति के उत्थान के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और नये अधिवक्ताओं को व्यावहारिक दृष्टि से अधिक सक्षम बनाते हैं।अधिवक्ता शिवेंद्र सिंह रघुवंशी ने भारतीय संविधान के मूल अनुच्छेदों पर विस्तारपूर्वक व्याख्यान प्रस्तुत किया और उपस्थित अधिवक्ताओं को इनके व्यावहारिक महत्व से अवगत कराया।
कार्यक्रम के समापन पर जिला संयोजक धर्मेंद्र नायक ने सभी अतिथियों एवं अधिवक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा विधि प्रकोष्ठ द्वारा प्रारंभ की गई यह श्रृंखला अधिवक्ताओं के ज्ञानवर्धन और शोध संस्कृति की मजबूती के लिए निरंतर जारी रहेगी। बैठक में वरिष्ठ एवं युवा अधिवक्ताओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।
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