G News 24 : एक अकेले व्हिसल ब्लोअर ने खोल दिया ₹2600 करोड़ के घोटाले का राज !

 चिट्ठी से खुली 'दशक पुराने' घोटाले की पोल...

एक अकेले व्हिसल ब्लोअर ने खोल दिया ₹2600 करोड़ के घोटाले का राज ! 

देश के बड़े बैंकों में शामिल इंडसइंड बैंक के भीतर बड़ा खेल हो रहा है. बैंक के भीतर चल रही धांधली का खुलासा हो गया है. बैंक के एक पूर्व CFO ने 10 साल पुराने धांधली और बैंक के भीतर खेले जा रहे झोल का पर्दाफाश कर दिया है.देश के बड़े बैंकों में शामिल इंडसइंड बैंक के भीतर बड़ा खेल हो रहा है. बैंक के एक पूर्व CFO ने 10 साल पुराने धांधली और बैंक के भीतर खेले जा रहे झोल का पर्दाफाश कर दिया है. इस पूरे खेल में कौन-कौन शामिल है, कैसे खुलासा हुआ और कैसे इस खेल ने बैंक के भीतर डर के माहौल को जन्म दे दिया, ये पूरी बात सामने आई है.

 एक चिट्ठी से खुला 10 साल पुराना घोटाला

 26 अगस्त को लिखी एक चिट्ठी ने इंडसइंड बैंक के भीतर चल रहे खेल का पर्दाफाश कर दिया. ये चिट्ठी सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय भेजी गई. इस चिट्ठी को लिखने वाले थे इंडसइंड बैंक के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी गोबिंद जैन ने खत के जरिए जो खुलासा किया, वो किसी बम से कम नहीं था. बैंक के ट्रेजरी ऑपरेशंस में एक दशक से भी ज्यादा समय से गंभीर गड़बड़ियां चल रही थीं. गोबिंद जैन का दावा है कि इन गड़बड़ियों को पकड़ने वाले वो इकलौते थे. उन्होंने अकेले बैंक के भीतर पल रहे पूरे गोरखधंधे को उजागर किया और अकेली लड़ाई लड़ी.  

बैंक के भीतर डर का माहौल, निशाने पर कर्मचारी  

गोबिंद जैन ने आरोप लगाया है कि बैंक के कुछ बड़े अधिकारी, खासकर सुनील मेहता (Sunil Mehta) और उनके करीबी लोगों ने बैंक के अंदर 'डर का माहौल' बना रखा था. जैन का कहना है कि जैसे ही उन्होंने इन समस्याओं को उठाया, उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया और असली दोषियों को बचाया गया. हद तो तब हो गई जब उन कर्मचारियों को भी अलग-थलग कर दिया गया, जिन्होंने जैन का समर्थन करने की हिम्मत की थी. ये किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है, जहां सच्चाई की आवाज उठाने वाले को ही खामोश करने की कोशिश की जाती है.

कहानी का दूसरा पहलू  

लेकिन, कहानी का दूसरा पहलू भी है. इंडसइंड बैंक ने जैन के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. बैंक का कहना है कि ये सभी आरोप  बेबुनियाद और किसी मकसद से प्रेरित  हैं. बैंक ने दलील ली कि मार्च से मई 2025 के बीच ही डेरिवेटिव्स, माइक्रोफाइनेंस और अन्य राजस्व स्रोतों में हुई अकाउंटिंग गड़बड़ियों की जानकारी स्टॉक एक्सचेंज को दे दी थी. बैंक ने बाहरी एजेंसियों से स्वतंत्र जांच भी कराई.  नियामक (रेगुलेटर) को धोखाधड़ी की शिकायत की और SFIO (सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस) और मुंबई EOW (इकोनॉमिक ऑफेंसेस विंग) में भी शिकायतें दर्ज कराईं. बैंक ने वित्त मंत्रालय से जैन की शिकायत को खारिज करने की अपील की है. उनका तर्क है कि बैंक बोर्ड ने पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ काम किया है, जबकि जैन चल रही जांचों में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं. बैंक की ओर से बयान में कहा गया है कि उन्होंने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में मिली गड़बड़ियों और उस पर की गई कार्रवाई के बारे में स्टॉक एक्सचेंज को सारी जानकारी दी है.

 2600 करोड़ का झटका, बाजार में सुनामी   

मार्च में, हिंदुजा-प्रमोटेड इस बैंक ने कुछ संदिग्ध धोखाधड़ी की जानकारी दी थी, जिसकी वजह से उन्हें एक तिमाही में करीब 2,000 करोड़ रुपये का भारी नुकसान उठाना पड़ा. ऑडिटर्स ने भी 2,600 करोड़ रुपये की अकाउंटिंग गड़बड़ियों पर सवाल उठाए थे. इस गड़बड़ियों में क्या-क्या मिला ये भी जानते हैं. 

  • माइक्रोफाइनेंस लोन से बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई इनकम.
  • गलत तरीके से वर्गीकृत की गई संपत्तियां और देनदारियां.
  • आंतरिक डेरिवेटिव ट्रेड से हुए 1,960 करोड़ रुपये के काल्पनिक मुनाफे को बट्टे खाते में डालना.

इस खुलासे से बैंक के शेयरों में सुनामी आ गई. इन खबरों के बाद अगले ही ट्रेडिंग सेशन में शेयर 27% तक गिर गए, जो लिस्टिंग के बाद की सबसे बड़ी गिरावट थी. शेयर गिरने से निवेशकों की हालत क्या हुई होगी, जरा सोचिए. उनकी गाढ़ी कमाई पर इसका सीधा असर पड़ा.  

एक तरफ़ एक व्हिसल ब्लोअर है जो सिस्टम से लड़ रहा है और दूसरी तरफ एक बड़ा बैंक है जो अपने आपको बेदाग बता रहा है. इन दोनों के बीच सच्चाई क्या है, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा. लेकिन इतना तय है कि ये मामला भारतीय बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता और कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर कई बड़े सवाल खड़े करता है. क्या जैन सच कह रहे हैं? क्या बैंक के दावे सही हैं? या फिर सच्चाई कहीं बीच में है? इन सब सवालों के जवाब हमें जांच के बाद ही मिल पाएंगे. लेकिन एक बात तो साफ है, बैंकिंग सेक्टर की ये अंदरूनी लड़ाई सिर्फ़ कागज़ों और आंकड़ों की नहीं है, बल्कि भरोसे और ईमानदारी की भी है.

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