जानें पूजा का शुभ मुहूर्त,विधि और महत्व...
आज 14 सितंबर को समाप्त होगा महालक्ष्मी व्रत,31 अगस्त से हुई थी व्रत की शुरुआत !
सोलह दिवसीय महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत 31 अगस्त से हुई थी और कल 14 सितंबर को इसका समापन होगा। सोलह दिवसीय व्रत शाम को देवी मां के पूजन के साथ महालक्ष्मी व्रत सम्पूर्ण होगा। ऐसे में हम आपको बताएंगे महालक्ष्मी व्रत की पूरी समापन विधि। आइए चर्चा शुरू करते हैं आज के दिन माता महालक्ष्मी व्रत की समापन विधि के बारे में, पहले तो ये जान लीजिये कि महालक्ष्मी व्रत के समापन के दिन शाम को पूजा के समय आपको किन-किन चीज़ों की जरूरत पड़ेगी -
महालक्ष्मी पूजन के लिए आवश्यक सामग्री...
- पूजा के लिये दो सूप
- 16 मिट्टी के दिये
- प्रसाद के लिये सफेद बर्फी
- फूल माला
- तारों को अर्घ्य देने के लिये यथेष्ट पात्र
- 16 गांठ वाला लाल धागा और 16 चीजें
- हर चीज सोलह की गिनती में होनी चाहिए. जैसे 16 लौंग, 16 इलायची या 16 सुहाग के सामान आदि।
महालक्ष्मी व्रत पुजा का शुभ मुहूर्त ...
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:52 ए एम से 05:39 ए एम
- प्रातः सन्ध्या मुहूर्त: 05:16 ए एम से 06:26 ए एम
- अभिजित मुहूर्त: 12:09 पी एम से 12:58 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त : 06:42 पी एम से 07:05 पी एम
- सायाह्न सन्ध्या: 06:42 पी एम से 07:52 पी एम
अब बात करते हैं पूजा विधि के बारे में...
महालक्ष्मी व्रत के अंतिम दिन शाम के समय पूजा करना बेहद शुभ होता है। इस दिन कैसे आपको शाम के वक्त पूजा करनी चाहिए, आइए जानते हैं।
शाम को पूजा के लिये सबसे पहले अपने हाथ में वही 16 गांठों वाला लाल धागा बांध लें, जो आपने व्रत के पहले दिन बांधा था।
फिर माता महालक्ष्मी के आगे 16 देसी घी के दीपक जलायें और धूपदीप से देवी मां की पूजा करें। साथ ही फूल चढ़ाइए, लेकिन ध्यान रहे देवी मां को कभी भी हरसिंगार का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए। महालक्ष्मी की पूजा में हरसिंगार का फूल निषिद्ध है।
फिर एक सूप में सोलह चीजें सोलह-सोलह की संख्या में रखकर उसे दूसरे सूप से ढंक दें और उसे माता के निमित्त दान करने का संकल्प करें। संकल्प के लिये ये मंत्र पढ़ें- क्षीरोदार्णव सम्भूता लक्ष्मीश्चन्द्र सहोदरा। हे क्षीर सागर से उत्पन्न चन्द्रमा की सगी बहन माता महालक्ष्मी मैं यह सब कुछ आपके निमित्त दान कर रहा हूं/रही हूं। इस प्रकार संकल्प लेकर उस सूप को वहीं रखा रहने दें।
- अब दीपक में ज्योति जलाकर माता महालक्ष्मी के मंत्र का जाप कीजिये। मंत्र इस प्रकार है- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
- आप पूजा शुरू करने से पहले ही इस मंत्र का अपनी इच्छानुसार संख्या में संकल्प लेकर रखिये। फिर जैसा आपने संकल्प किया हो, उसके हिसाब से मंत्र जप कीजिये।
- जप के बाद माता महालक्ष्मी की आरती कीजिये और उन्हें सफेद मिठाई का भोग लगाइये।
- इस प्रकार पूजा आदि के बाद तारों को जल से अर्घ्य दीजिये और आरती कीजिये।
- इसके बाद, अगर आप विवाहित हैं तो अपने जीवनसाथी का हाथ पकड़कर, अन्यथा स्वयं ही तीन बार उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पुकारिये - हे माता महालक्ष्मी मेरे घर आ जाओ, हे माता महालक्ष्मी मेरे घर आ जाओ, हे माता महालक्ष्मी मेरे घर आ जाओ।
- इसके बाद जो व्रती है, वो अपने लिये और माता महालक्ष्मी के लिये अलग-अलग थाली में भोजन निकालिये। अगर आप विवाहित हैं और आपने जोड़े में ये व्रत किया है, तो देवी मां और अपने साथ-साथ अपने जीवनसाथी के लिये भी थाली में भोजन निकालिये। साथ ही हो सके तो माता महालक्ष्मी के लिये चांदी की थाली में भोजन निकालकर रखिये।
- भोजन करने के बाद अपनी थालियां उठा लें, लेकिन माता की थाली को, किसी दूसरी थाली से ढक्कर वहीं पर रखा छोड़ दें।
- अगले दिन सुबह माता के लिये निकाली थाली का भोजन किसी गाय को खिला दें और सूप में रखा हुआ दान का सामान किसी लक्ष्मी मंदिर में दान कर दें। इसके अलावा 16 गांठों वाले धागे को अपनी तिजोरी में संभाल कर रख लें। इस धागे को अपने पास रखने से आपके घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होगी और आपके घर की सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।हम एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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