G News 24 : बिल के बिरुद्ध विपक्ष की लड़ाई अपराधियों के लिए है, जनता के लिए नहीं !

अपराधियों की ढाल बनी विपक्ष की राजनीति !

बिल के बिरुद्ध,विपक्ष की लड़ाई अपराधियों के लिए है, जनता के लिए नहीं !

लोकतंत्र का मंदिर संसद है। यहां जनता की आवाज़ उठनी चाहिए, न कि अपराधियों की पैरवी! मगर हकीकत यह है कि जब अपराधी प्रवृत्ति वाले नेताओं पर लगाम कसने वाला बिल सदन में आया तो कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष बौखला उठा। सवाल यह है कि आखिर विपक्षी दलों को इस बिल से इतनी चुभन क्यों हो रही है?

क्या इसलिए कि कई विपक्षी नेता खुद अपराधों के गंभीर मामलों में फंसे हुए हैं—किसी पर दंगे भड़काने, किसी पर घोटालों, किसी पर भ्रष्टाचार और किसी पर संगीन आपराधिक मामलों के आरोप हैं? कुछ तो सजायाफ्ता होकर भी "जमानत पर बाहर" संसद की कुर्सी पर बैठे हैं। ऐसे में यह बिल उनके लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं।

हंगामा खड़ा करके, सदन की कार्यवाही ठप करके और जनता के पैसे की बर्बादी करके ये नेता असल में अपनी ढाल बचाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन देश की जनता सब देख रही है। अब यह साफ हो गया है कि विपक्ष अपराधियों के लिए लड़ रहा है, जनता के लिए नहीं!

विपक्ष अपराधियों के लिए लड़ रहा है, जनता के लिए नहीं !

संसद में अपराधी नेताओं पर सख्ती का बिल आते ही कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष बौखलाया, हंगामा कर कार्यवाही ठप  कर दी। अब सवाल यह है कि आखिर इस बिल से डर किसे है?

  •  क्या उन नेताओं को, जिन पर भ्रष्टाचार, दंगे भड़काने और घोटालों के गंभीर आरोप हैं?
  •  या उन पर, जो सजायाफ्ता होकर जमानत पर संसद की कुर्सी पर बैठे हैं?

सच यह है कि विपक्ष को साफ पता है कि अगर यह बिल पास हो गया, तो कई चेहरे बेनकाब होंगे और संसद अपराधियों से मुक्त होगी। यही वजह है कि विपक्ष ने हंगामा मचाकर लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश की। विपक्ष के नेताओं कि यह हरकत को देखकर और जनता भी समझने लगी है कि विपक्ष अपराधियों के लिए लड़ रहा है, जनता के लिए नहीं !

  • “जब संसद में अपराधियों पर सख्ती का बिल आता है, तो सबसे पहले वही हंगामा करते हैं जो खुद अपराधों में गले तक डूबे होते हैं!”
  •  “जनता चाहती है अपराध मुक्त राजनीति, विपक्ष चाहता है अपराधियों की सुरक्षा—तो बताइए लोकतंत्र किसका साथ दे?”
  •  “संसद हंगामे का घर नहीं, सुधार का घर बने; वरना जनता अगली बार ऐसे नेताओं को सीधे घर बैठा देगी!”
  •  “जब संसद में अपराधियों पर सख्ती का बिल आता है, तो सबसे पहले वही हंगामा करते हैं जो खुद अपराधों के दलदल में डूबे होते हैं!”
  • “जनता चाहती है अपराध मुक्त राजनीति, विपक्ष चाहता है अपराधियों की सुरक्षा—तो बताइए, लोकतंत्र किसका साथ दे?”
  •  “संसद हंगामे की जगह सुधार का घर बने, वरना जनता अगली बार ऐसे नेताओं को सीधे घर बैठा देगी!”

बिल के पास होने से पहले ही विपक्षी दलों ने सदन में एक बार फिर वरपाया हंगामा ...

  • संसद में अपराधियों पर लगाम कसने वाला बिल पेश
  • कांग्रेस व सहयोगी दलों ने हंगामा कर कार्यवाही ठप की
  • विपक्षी नेताओं में कई पर गंभीर आपराधिक मुकदमे लंबित
  • जनता चाहती है अपराध मुक्त राजनीति, विपक्ष चाहता है अपराधियों की सुरक्षा।

अपराधी प्रवृत्ति के राजनेताओं पर लगाम लगाने के लिए संसद में पेश किए गए बिल के पास होने से पहले ही कांग्रेस सहित उसके साथी विपक्षी दलों ने सदन में एक बार फिर वरपाया हंगामा !इसका मतलब यह हुआ की विपक्षी नेताओं में अपराधों के आरोपों से गिरे हैं या सजायाफ्ता हैं, जो जमानत पर बाहर है यही कारण है कि वे सदन में हंगामा पर पा रहे हैं उन्हें पता है कि यह बिल पास हो गया तो उनके साथ क्या होने वाला है !

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