निर्दोषों को झूठे मामलों में फंसाना,न्याय व्यवस्था का मजाक उड़ाना ये सब सिर्फ वोट के लिए,यह देशद्रोह ही है
"कांग्रेस ने की,सत्ता के लिए साजिश या राष्ट्र के विरुद्ध अपराध !"
सत्ता में बने रहने के लिए एवं विशेष के लोगों के वोट पाने के लिए, निर्दोषों को झूठे मामलों में फंसाना,न्याय व्यवस्था का मजाक उड़ाना है,या देशद्रोह ! वर्तमान में जिस प्रकार से कांग्रेस की साजिशों के खुलासे हो रहे हैं, तो क्या यहां यह माना जाए कि कांग्रेस देशद्रोही हो गई है !
भारत जैसे लोकतांत्रिक और बहुलतावादी राष्ट्र में सत्ता प्राप्ति के लिए चुनावी रणनीतियाँ बनाना कोई नई बात नहीं है। किंतु जब ये रणनीतियाँ धर्म विशेष को लक्ष्य बनाकर, निर्दोषों को झूठे मुकदमों में फँसाकर, और न्याय प्रणाली को मनमाफिक दिशा देने के प्रयास तक पहुँच जाएँ—तो प्रश्न उठना स्वाभाविक है: यह मात्र 'राजनीतिक चाल' है या ‘राष्ट्र-विरोध’?
हाल ही में सामने आए कुछ मामलों और मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में रहने के लिए ऐसे षड्यंत्र रचे जिनमें एक विशेष समुदाय के निर्दोष लोगों को आतंकी बता कर फँसाया गया, ताकि दूसरे धर्म विशेष का मतदाता वर्ग खुश हो और उनका राजनीतिक समर्थन कायम रहे। यदि इन दावों में सत्यता है, तो यह न केवल लोकतंत्र के मूल आदर्शों के साथ विश्वासघात है, बल्कि देश की एकता, सामाजिक समरसता और न्याय व्यवस्था पर गहरा आघात है।
न्याय को बनाया गया उपकरण !
भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को निष्पक्ष सुनवाई और न्याय का अधिकार प्राप्त है। किंतु यदि राजनीतिक फायदे के लिए न्याय व्यवस्था का दुरुपयोग कर निर्दोषों को आतंकवादी घोषित किया जाए, तो यह न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय न्याय प्रणाली पर अविश्वास की खाई को भी गहरा करता है।
हाल के वर्षों में ऐसे कई मामले प्रकाश में आए हैं, जिनमें वर्षों तक जेल में रहने के बाद निर्दोष मुस्लिम युवकों को अदालत ने बरी किया, और यह सवाल छोड़ दिया कि उन्हें फँसाने वाले अधिकारी व नेता कौन थे? और क्या कभी उन्हें सज़ा मिलेगी?
क्या कांग्रेस 'देशद्रोही' हो गई है !
'देशद्रोह' एक गंभीर आरोप है, जिसे भावनाओं में बहकर नहीं लगाया जाना चाहिए। लेकिन यदि यह प्रमाणित हो जाए कि एक राष्ट्रीय पार्टी ने सत्ता के लिए जानबूझकर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ा, निर्दोषों को कुर्बानी का बकरा बनाया, और आतंकी घटनाओं की झूठी स्क्रिप्ट तैयार की—तो यह केवल राजनीति नहीं, बल्कि देशद्रोह की स्पष्ट परिभाषा में आता है।
यह राष्ट्र के उन शहीदों का अपमान है, जिन्होंने आतंकवाद से लड़ते हुए प्राण गंवाए। यह उन लाखों नागरिकों के विश्वास का अपमान है, जो संविधान और लोकतंत्र पर भरोसा करते हैं।
राजनीति को मिले नई दिशा
यह समय है जब भारत की राजनीति को मूल्य आधारित पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है। पार्टियों को यह समझना होगा कि वोट पाने के लिए नफरत और झूठ का सहारा लेने से सत्ता तो मिल सकती है, पर राष्ट्र का भविष्य अंधकारमय हो जाता है।
साथ ही, न्यायपालिका और जांच एजेंसियों को भी राजनीतिक प्रभाव से मुक्त होकर ऐसे मामलों की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए, ताकि दोषियों को सज़ा और निर्दोषों को न्याय मिल सके।
राजनीति अगर राष्ट्रहित के स्थान पर पार्टीहित के लिए संचालित हो जाए, तो वह प्रजातंत्र की हत्या और देशद्रोह का रूप ले लेती है। कांग्रेस हो या कोई भी अन्य दल—यदि वह सत्ता के लिए झूठ, षड्यंत्र और सामाजिक विभाजन का सहारा लेता है, तो उसे सिर्फ चुनाव में नहीं, इतिहास के पन्नों में भी अपराधी घोषित किया जाएगा। देश जाग रहा है। अब जनता सिर्फ भाषण नहीं, ईमानदारी और जवाबदेही की माँग करती है।
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