G NEWS 24 : पर्यटन महकेगा तो विकास चहकेगा, क्षेत्र की बेरोजगारी जैसी समस्याओं पर भी विराम लगेगा !

जब लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे तो क्राइम ग्राफ भी नीचे जाएगा...

पर्यटन महकेगा तो विकास चहकेगा, क्षेत्र की बेरोजगारी जैसी समस्याओं पर भी विराम लगेगा !

रीजनल टूरिज्म कॉन्क्लेव कि जो थीम है वह में क्षेत्र की क्षमताओं के अनुरूप है। टाइमलेस ग्वालियर, इकोज ऑफ कल्चर, स्पिरिट ऑफ़ लिगेसी.. यह थीम अपने आप में एक पूरा पर्यटन का अध्याय समेटे हुए है। वक्त है कि इस पर थीम पूरी विस्तृत योजना के साथ काम हो और यह काम जमीन पर दिखाई हकीकत में  आकार लेता हुआ दिखना भी चाहिए । 

 इससे पहले भी क्षेत्र के विकास और बेरोजगारी को दूर करने के लिए तमाम योजनाएं बनी, शहर के चहुमुखी विकास के लिए स्मार्ट सिटी जैसी योजना भी आई, लेकिन हकीकत सभी के सामने है ! क्या ग्वालियर वास्तविक रूप से स्मार्ट शहर बन पाया ! सड़क और सौंदर्य करण के नाम पर,अमृत योजना के माध्यम से 24 घंटे घरेलू उपभोक्ता को पानी देने की व्यवस्था के नाम पर, वाटर एटीएम, शहरी साइकिल योजना, फुटपाथ चोरी कारण, अंडरग्राउंड पार्किंग जैसी तमाम योजनाओं पर पैसा पाने की तरह बहाया गया उसके बावजूद शहर की हालत आज किसी से छुपी नहीं है !

क्या इनमें से एक भी इनमें से एक भी योजना सही तरीके से फली-भूत हुई है! एक बार अपने दिल पर हाथ रख करके बताइए ! क्या हमारा शहर स्मार्ट हो गया ! यहां कमी है तो केवल इच्छा शक्ति ही कागजों पर बहुत काम होते हैं लेकिन उनको धरातल पर लाने के लिए जो इच्छाशक्ति चाहिए उस इच्छा शक्ति की कमी क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों में है और साथ ही अधिकारियों में भी ! अपने अनुभव एवं स्मरण के आधार पर शनिवार को होने जा रहे रीजनल टूरिजम काॅनक्लेव के विषय पर चिंतन करूं तो ऐसा लगता है कि यह कंक्लेव कागज के फूल हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या इन कागज के फूल क्षेत्र को पर्यटन की खुशबू से महका पाएंगे? 

शनिवार को मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के आतिथ्य में पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटन के माध्यम से रोजगार उत्पन्न करने के नाम पर आयोजित हुई। रीजनल टूरिज्म कॉन्क्लेव कि जो थीम है वह वास्तव में क्षेत्र की क्षमताओं को चरितार्थ करती है। टाइमलेस ग्वालियर, इकोज ऑफ कल्चर, स्पिरिट ऑफ़ लिगेसी.. यह थीम अपने आप में एक पूरा पर्यटन का अध्याय समेटे हुए वक्त है के इस थीम पर एक विस्तृत आलेख जमीन पर उतरे और हकीकत बन जाए और पर्यटन के क्षेत्र में दबी हुई अपार संभावनाओं का ऐसा खजाना निकले कि क्षेत्र की तमाम समस्याओं को शून्य कर दे।

जब पर्यटन के विकास को क्षेत्र की समस्याओं से जोड़ने की बात कर रहा हूं तो आप सोच सकते हैं कि कहीं यह दिन में सपने देखने जैसी बात तो नहीं है क्योंकि समस्याएं अपनी जगह हैं पर्यटन का विकास अपनी जगह लेकिन मैं समझता हूं कि ये इस कदर एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं कि आप यकीन मानिए। यदि क्षेत्र में पर्यटन का विकास होता है तो दूसरे कई समस्याओं पर स्वतः ही विराम लग जाएगा।

ग्वालियर पर्यटन में समृद्ध है। ग्वालियर और इसके आस-पास के तमाम जिलों में ऐसे कई ऐतिहासिक स्थल हैं जिन्हें सही रूप से प्रसारित करने की आवश्यकता है। ग्वालियर के आस-पास के प्राकृतिक स्थल भी अपने आप में सौंदर्य समेटे हुए हैं। इन्हें भी विकसित करके पर्यटकों के लिए सहज बनाने की आवश्यकता है। 

ग्वालियर में सबसे बड़ी समस्या है पलायन युवक पढ़ लिखकर पलायन कर अन्य राज्यों में जा रहे हैं। कारण है कि क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं कम नजर आती है और यदि रोजगार की संभावनाएं कम हैं तो कुछ ऐसे भी युवा हैं। जो संभवत यदि बाहर नहीं जा पाए तो क्षेत्र में ही ठेकेदारी पत्थर। रेत मुरम जैसे तमाम कार्यों में जुट जाते हैं और पैसों की लालच में धीरे धीरे अवैध कामों में संलिप्त होकर गलत राह पकड़ देते हैं। अच्छा खासा पैसा कमाकर अच्छा जीवन जीने का अधिकार सभी को है। 

अब जब कोई विकल्प ही नहीं तो फिर क्षेत्र के संसाधनों का दोहन अनैतिक तरीके से होने लगता है। अवैध रेत का रेत-पत्थर खनन का कारोबार इसी इसी समस्या की उपज है। पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है जो इन युवाओं के लिए अपार संभावनाओं से भरा हुआ है यदि पर्यटन का क्षेत्र व्यवस्थित रूप से विकसित होता है तो इन। युवाओं को अवसर मिलेंगे और ये युवा अवैध कार्यों को छोड़कर इस अफसर का लाभ उठाएंगे और एक अच्छा जीवन जी पाएंगे। पर्यटन का विकास क्षेत्र की एक बहुत बड़ी आवश्यकता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो लंबे समय तक है। प्रगति कर आने वाले समय में पूरे अंचल को आर्थिक रूप से समृद्ध बना सकता है।

लेकिन सवाल यही उठता है कि क्या पर्यटन के विकास की यह बातें केवल इस रीजनल टूरिज्म कॉन्क्लेव तक सीमित रह जाएँगी या वास्तव में इन्हें धरातल पर लाने की इच्छा शक्ति भी उन लोगों में है,जो यहां मंच से बड़ी बड़ी बातें करते हैं और कागजों पर बड़े बड़े प्रोजेक्ट्स बना रहे होते हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सबसे बड़ी आवश्यकताएं जो क्षेत्र की जरूरत है उनकी ओर जमीनी स्तर पर काम करने की आवश्यकता है। क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की आवश्यकता है इसके लिए अच्छे होटल्स अच्छी सुविधाएं बहुत जरूरी है। 

आज यदि कहीं पांच सौ वीआईपी एक साथ इस शहर में आ जाते हैं तो अच्छे होटल्स उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। पर्यटन स्थल को कितना भी अच्छा बना लें, लेकिन यदि उन सुदूर क्षेत्रों तक या बड़े शहरों के मुख्यालय तक भी यदि कनेक्टिविटी की समस्या है तो पर्यटक पर्यटन स्थल पर पहुंच ही नहीं पाएंगे । हम बात करें ग्वालियर और आस-पास के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी की तो यह एक बड़ी समस्या है।

हालांकि तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रयास से ग्वालियर में एक बेहतरीन हवाई अड्डा तो बन गया लेकिन अभी भी यहाँ पर फ्लाइट्स का क्राइसिस है। तमाम शहरों से डायरेक्ट फ्लाइट्स नहीं है फ्लाइट्स की संख्या कम है। दूसरा रेलवे स्टेशन का निर्माण कार्य कछुआ। गति से चल रहा है। कई क्षेत्रों से यहां पर ट्रेन की कनेक्टिविटी भी एक समस्या है। इसके बाद सबसे बड़ी समस्या आती है। 

शहरी क्षेत्र में सड़कों की भी स्थिति बेहद खराब है। मुरैना भिंड शिवपुर शिवपुरी छतरपुर ऐसा पूरा एक क्षेत्र है जहां के पर्यटन स्थलों को जोड़ते हुए सड़कों का एक बेहतरीन जाल बुने जाने की आवश्यकता है। साथ ही पर्यटकों की सुरक्षा के लिए एक विशेष एजेंसी की स्थापना भी की जाए। जिनका कार्य केवल पर्यटकों को सुरक्षित माहौल देना और किसी भी विषम परिस्थिति में पर्यटकों के पास पहुंचकर उन्हें सुरक्षा प्रदान करना हो। 

पर्यटन मैं अत्यंत संभावनाओं के बावजूद इस क्षेत्र के पर्यटन स्थल वीरान हैं सुनसान हैं अब रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के रूप में एक रोशनी की किरण दिखाई दे रही है लेकिन प्रयास यह किया जाना चाहिए कि इस कॉन्क्लेव में न केवल गंभीर चर्चा हो, बल्कि यह योजना जल्द से जल्द धरातल पर उतारकर फली भूत होती दिखना चाहिए।

नकारात्मक पहलु : कार्ययोजना की सफलता के लिए दूरदर्शिता ज़रूरी !

रीजनल टूरिज्म कॉन्क्लेव कि जो थीम है वह में क्षेत्र की क्षमताओं के अनुरूप है। टाइमलेस ग्वालियर, इकोज ऑफ कल्चर, स्पिरिट ऑफ़ लिगेसी.. यह थीम अपने आप में एक पूरा पर्यटन का अध्याय समेटे हुए है। वक्त है कि इस पर थीम पूरी विस्तृत योजना के साथ काम हो और यह काम जमीन पर दिखाई हकीकत में  आकार लेता हुआ दिखना भी चाहिए । 

 क्षेत्र के विकास और बेरोजगारी को दूर करने के लिए तमाम योजनाएं बनी, शहर के चहुमुखी विकास के लिए स्मार्ट सिटी जैसी योजना भी आई, लेकिन हकीकत सभी के सामने है ! क्या ग्वालियर वास्तविक रूप से स्मार्ट शहर बन पाया ! सड़क और सौंदर्य करण के नाम पर,अमृत योजना के माध्यम से 24 घंटे घरेलू उपभोक्ता को पानी देने की व्यवस्था के नाम पर, वाटर एटीएम, शहरी साइकिल योजना, फुटपाथ चोरी कारण, अंडरग्राउंड पार्किंग जैसी तमाम योजनाओं पर पैसा पाने की तरह बहाया गया उसके बावजूद शहर की हालत आज किसी से छुपी नहीं है !

क्या इनमें से एक भी इनमें से एक भी योजना सही तरीके से फली-भूत हुई है! एक बार अपने दिल पर हाथ रख करके बताइए ! क्या हमारा शहर स्मार्ट हो गया ! यहां कमी है तो केवल इच्छा शक्ति ही कागजों पर बहुत काम होते हैं लेकिन उनको धरातल पर लाने के लिए जो इच्छाशक्ति चाहिए उस इच्छा शक्ति की कमी क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों में है और साथ ही अधिकारियों में भी ! अपने अनुभव एवं स्मरण के आधार पर शनिवार को होने जा रहे रीजनल टूरिजम काॅनक्लेव के विषय पर चिंतन करूं तो ऐसा लगता है कि यह कंक्लेव कागज के फूल हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या इन कागज के फूल क्षेत्र को पर्यटन की खुशबू से महका पाएंगे? 

शनिवार को मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के आतिथ्य में पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटन के माध्यम से रोजगार उत्पन्न करने के नाम पर आयोजित हुई।

इस कॉन्क्लेव कोई ले लीजिए, इस कांक्लेव के आयोजन से पूर्व 28 अगस्त को शहर के एक बड़े होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पत्रकारों को डिनर कराया गया। इसके बाद 29 तारीख को एक निजी रिसोर्ट में निवेशकों एवं कुछ चुनिंदा पत्रकारों को बुलाया गया ! जहां कुछ सांस्कृतिक गतिविधियां हुई और निवेशकों की मेल मुलाकात एवं परिचय हुआ उसके बाद लंच पार्टी दी गई। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस एवं पत्रकार मीट शहर के पर्यटन विभाग से जुड़े होटल में भी आयोजित हो सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यह दोनों आयोजन एक निजी होटल एवं रिसोर्ट में किए गए।

जबकि पर्यटन विभाग का शहर में एक शानदार होटल संचालित होता है, जिसमें अधिकतर सरकारी आयोजनों से जुड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस होतीं है, तो यह पत्रकार वार्ता भी इसी होटल में भी कराई जा सकती थी, लेकिन वहां प्रेस वार्ता ना कराते हुए शहर के एक बड़े नामी निजी होटल में प्रेस वार्ता कराई गई जिसका बिल संभवतः है लाखों नहीं तो हजारों में तो आया ही होगा! 

अब सवाल ही उठता है कि जब आप अपने पर्यटन विभाग द्वारा संचालित होटल को ही प्रमोट नहीं करेंगे तो इसमें टूरिस्ट कैसे आएंगे ! इसी प्रकार का व्यवहार आगे चलकर इस योजना के माध्यम से अपना व्यवसाय खड़ा करने वाले प्रतिभागियों के साथ भी ऐसा ही हुआ तो, क्या पर्यटन को बढ़ावा एवं लोगों को रोजगार मिल पाएगा, इस बात की क्या गारंटी है !

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