मध्य प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ घर-घर चलेगा अभियान ...
लव जिहाद के खिलाफ लड़ाई में उतरी MP सरकार, मंत्री ने महिलाओं को दिलाया संकल्प !
मध्य प्रदेश में लव जिहाद के बढ़ते मामलों ने सरकार को सड़कों पर उतरने पर मजबूर कर दिया है। रक्षाबंधन के मौके पर भोपाल में सरकार लव जिहाद के खिलाफ एक बड़ा जनजागरण अभियान चलाने जा रही है। इस अभियान में महिलाएं राखी बांधने के साथ लव जिहाद के खिलाफ लड़ाई का संकल्प ले रही है और इससे निपटने के लिए फॉर्म भी भर रही है। मध्य प्रदेश सरकार के खेल एवं सहकारिता मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने रक्षाबंधन के मौके पर राखी बंधवाने के साथ ही बहनों को लव जिहाद से बचने की शपथ भी दिलवाई है।
दरअसल, मध्य प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता कानून लागू हुए चार साल बीत चुके हैं, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में लव जिहाद के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे। यही वजह है कि राज्य के खेल मंत्री विश्वास सारंग ने रक्षाबंधन पर खास पहल की है। वे बहनों से राखी बंधवाकर न सिर्फ लव जिहाद के खिलाफ संकल्प दिलवा रहे हैं, बल्कि इस लड़ाई में साथ देने के लिए महिलाओं से फॉर्म भी भरवा कर हिन्दू लड़कियों को लव जिहाद से बचाएंगे भी।
मंत्री जी महिलाओं को शपथ दिला रहे हैं कि वह लव जिहाद में फंसने वालों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगी, संकल्प दिला रहे हैं कि जो हिंदू लड़कियां जबरन या धोखे से लव जिहाद के जाल में फंस जाती है उन्हें न्याय दिलाएंगी, घर घर जाकर जन जागरण पहले आएंगे ताकि हिंदू लड़कियां लव जिहादियों के कुचक्र में न फंसे। राखी बांधने आई महिलाएं बता रही है की लव जिहाद के मामले कितने खतरनाक हो चुके हैं और क्यों हिंदू महिलाओं को बच्चियों को बचाने की जरूरत है।
लव जिहाद के अब तक 283 मामले दर्ज हुए, जिनमें 74 केस नाबालिग लड़कियों को लेकर हैं !
मध्य प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 27 मार्च 2021 को लागू हुआ था लेकिन इसके बावजूद धर्म छिपाकर प्रेमजाल और यौन शोषण के मामलों पर लगाम लगी या नही इस पर एमपी विधानसभा में भाजपा विधायक आशीष गोविंद शर्मा के सवाल पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने विधानसभा में जो आंकड़े रखे, वो चौंकाने वाले हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि अब तक 283 मामले दर्ज हुए, जिनमें 74 केस नाबालिग लड़कियों से जुड़े हैं।
लव जिहाद के सबसे ज्यादा मामलों में भोपाल नंबर दो पर है। मध्य प्रदेश विधानसभा में सरकार के दिए बयान के बाद सामने आया की धार्मिक आधार पर पहचान छुपा कर यौन शोषण के सबसे ज्यादा मामले शहरी इलाकों में ही आ रहे हैं। 283 मामलों में से सबसे ज्यादा 58 केस इंदौर में और 33 भोपाल में दर्ज किए गए। यानी ये साफ संकेत है कि शहरों में पढ़ाई और नौकरी के लिए आई युवतियों को ज्यादा निशाना बनाया जा रहा है।
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