ममता-अखिलेश ने कांग्रेस को दिया झटका,TMC के बाद सपा ने भी रास्ता किया अलग !
विपक्ष में फूट,CM,PM को हटाने वाले विधेयक पर बनने वाली JPC में TMC और SP शामिल नहीं होंगी !
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने वाले विधेयक को लेकर बनने वाली संयुक्त संसदीय कमेटी (JPC) पर विपक्ष में फूट पड़ती नजर आ रही है और ममता बनर्जी के बाद अखिलेश यादव ने भी रास्ता अलग कर लिया है. प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को 30 दिन की जेल के बाद 31वें दिन पद से हटाने वाले विधेयक को संयुक्त संसदीय कमेटी (JPC) के पास भेज दिया गया है. लेकिन, इस कमेटी को लेकर अब विपक्ष में मतभेद हो गया है.
ममता बनर्जी के बाद अखिलेश यादव ने भी रास्ता अलग कर लिया है. तृणमूल कांग्रेस (TMC) और समाजवादी पार्टी (SP) ने इसे एक तमाशा बताते हुए घोषणा किया है कि वे इन विधेयकों और संविधान संशोधन पर जेपीसी में शामिल नहीं होंगी. टीएमसी ने तो पहले ही जेपीसी का बहिष्कार कर दिया था, लेकिन सपा के इस फैसले ने विपक्षी एकता के हित में कांग्रेस पर भी ऐसा ही करने का दबाव बढ़ा दिया है.
अब तक कांग्रेस इस समिति में शामिल होने के पक्ष में थी...लेकिन अब...?
तृणमूल कांग्रेस के साथ जेपीसी से खुद का रास्ता अलग करने के समाजवादी पार्टी (सपा) के फैसले ने विपक्षी खेमे में बेचैनी पैदा कर दी है. अब, कांग्रेस के नेता भी पार्टी के अंतिम रुख को लेकर अनिश्चित हैं और सोच रहे हैं कि क्या एकजुटता की खातिर नेतृत्व को अपना रुख बदलने पर मजबूर होना पड़ेगा. जबकि, अब तक कांग्रेस इस समिति में शामिल होने के पक्ष में थी.
टीएमसी ने खुद को जेपीसी से इसलिए किया अलग !
तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा, 'मोदी गठबंधन द्वारा एक 'असंवैधानिक विधेयक' की जांच के लिए इस संयुक्त संसदीय समिति के गठन पर जोर देना, SIR से ध्यान भटकाने के लिए किया गया एक हथकंडा है. किसी को तो इस हथकंडे को हथकंडा कहना ही था. मुझे खुशी है कि हमने ऐसा किया.'
अब अखिलेश यादव ने दिया यह तर्क !
टीओआई से बात करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, 'सपा जेपीसी का हिस्सा न बनने के मुद्दे पर ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के साथ खड़ी है.' उन्होंने कहा, 'इस विधेयक का मूल विचार ही त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि जिस व्यक्ति ने यह विधेयक पेश किया है (गृह मंत्री अमित शाह), उन्होंने पहले भी कई मौकों पर अपने ही मामले का हवाला देते हुए दावा किया है कि उन्हें झूठे आपराधिक मामलों में फंसाया गया है. इसका मतलब है कि किसी को भी आपराधिक मामलों में फंसाया जा सकता है. तो फिर इस विधेयक का क्या मतलब है ?' अखिलेश यादव ने कहा कि इससे यह भी पता चलता है कि आजम खान, रमाकांत यादव और इरफान सोलंकी जैसे सपा नेता कैसे जेल पहुंच गए.
उन्होंने दावा किया कि ये विधेयक भारत की संघीय व्यवस्था के साथ टकराव पैदा करते हैं, जैसा कि उत्तर प्रदेश में हुआ है, मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यों में अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस ले सकेंगे और केंद्र का कोई नियंत्रण नहीं होगा, क्योंकि कानून-व्यवस्था मुख्य रूप से राज्य का विषय है. केंद्र केवल सीबीआई, ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा दर्ज मामलों को ही देख पाएगा.
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