अप्रिय कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए अदालत में समझौता करने के लिए फिर एक अवसर ...
भोपाल, नर्मदापुरम्, ग्वालियर एवं चंबल संभाग के 16 जिलों में नेशनल लोक अदालत 13 सितंबर को...
भोपाल। म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कार्य क्षेत्र के भोपाल, नर्मदापुरम्, ग्वालियर एवं चंबल संभाग के 16 जिलों में 13 सितंबर 2025 (शनिवार) को नेशनल लोक अदालत में बिजली चोरी एवं अन्य अनियमितताओं के प्रकरण को समझौते के माध्यम से निराकृत किया जाएगा। कंपनी द्वारा विद्युत अधिनियम 2003 धारा 135 के अंतर्गत विद्युत चोरी के लंबित प्रकरणों एवं विशेष न्यायालयों में विचाराधीन प्रकरणों के निराकरण के लिए विद्युत उपभोक्ताओं एवं उपयोगकर्ताओं से अपील की गई है कि वे अप्रिय कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए अदालत में समझौता करने के लिए संबंधित बिजली कार्यालय से संपर्क करें।
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि धारा 135 के अंतर्गत विद्युत चोरी के बनाए गए लंबित प्रकरण एवं अदालत में लंबित प्रकरणों का निराकरण के लिये निम्नदाब श्रेणी के समस्त घरेलू, समस्त कृषि, 5 किलोवॉट तक के गैर घरेलू एवं 10 अश्व शक्ति भार तक के औद्योगिक उपभोक्ताओं को प्रकरणों में ही छूट दी जाएगी। प्रि-लिटिगेशन स्तर पर - कंपनी द्वारा आंकलित सिविल दायित्व की राशि पर 30 प्रतिशत एवं आंकलित राशि के भुगतान में चूक किये जाने पर निर्धारण आदेश जारी होने की तिथि से 30 दिवस की अवधि समाप्त होने के पश्चात् प्रत्येक छः माही चक्रवृद्धि दर अनुसार 16 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से लगने वाले ब्याज की राशि पर 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
लिटिगेशन स्तर पर - कंपनी द्वारा आंकलित सिविल दायित्व की राशि पर 20 प्रतिशत एवं आंकलित राशि के भुगतान में चूक किये जाने पर निर्धारण आदेश जारी होने की तिथि से 30 दिवस की अवधि समाप्त होने के पश्चात् प्रत्येक छःमाही चक्रवृद्धि दर अनुसार 16 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से लगने वाले ब्याज की राशि पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। कंपनी ने कहा है कि नेशनल लोक अदालत में छूट कुछ नियम एवं शर्तों के तहत दी जाएगी जो आकलित सिविल दायित्व राशि रू. 10,00,000 (दस लाख ) तक के प्रकरणों के लिए सीमित रहेगी। यह छूट मात्र नेशनल ‘‘लोक अदालत‘‘ 13 सितंबर 2025 को समझौते करने के लिये ही लागू रहेगी।
विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126 के लंबित प्रकरणों में भी लोक अदालत की तर्ज पर छूट प्रदान कर प्रकरणों का निराकरण भी लोक अदालत के माह के दौरान किया जाएगा। लोक अदालत की प्रक्रिया के अनुरूप निर्धारित मापदंडों के अधीन 10 लाख रूपए तक की सिविल दायित्व की राशि के समस्त घरेलू, समस्त कृषि, 5 किलोवाट तक गैर घरेलू व 10 अश्वशक्ति के औद्योगिक श्रेणी के लंबित प्रकरणों का आवेदन संबंधित उप महा प्रबंधक को दिया जाकर, आकलित राशि पर 20 प्रतिशत एवं अधिशासित ब्याज राशि के भुगतान में चूक किए जाने पर निर्धारण आदेश जारी होने की तिथि से 30 दिवस की अवधि समाप्त होने पर, इसके पश्चात प्रत्येक 6 माही चक्रवर्ती ब्याज अनुरूप 16 प्रतिशत की दर से लगने वाले ब्याज की राशि पर, 100 फीसदी की छूट दी जाएगी। बशर्ते किसी प्रकरण में धारा 127 के अंतर्गत गठित अपील प्राधिकरण के समक्ष अथवा उच्च न्यायालय में कोई अपील लंबित न हो।
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