G NEWS 24 : हर सरकार में प्रताड़ित हुई मैं : उमा भारती

राजनीति एक ऐसा पेशा है, जिसमें कोई रिटायरमेंट नहीं होता...

हर सरकार में प्रताड़ित हुई मैं : उमा भारती

भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तेजतर्रार और चर्चित नेता उमा भारती ने भोपाल में कई मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी. संघ प्रमुख मोहन भागवत के ‘75 की उम्र के बाद राजनीति से रिटायरमेंट’ संबंधी बयान पर उन्होंने कहा कि इस बयान की गलत व्याख्या हो रही है. उन्होंने स्पष्ट किया कि राजनीति एक ऐसा पेशा है, जिसमें कोई रिटायरमेंट नहीं होता. उमा भारती ने कहा, "समाज में कई ऐसे पेशे हैं जिनमें अंतिम सांस तक सेवा की जाती है, जैसे डॉक्टर, लेखक, कवि, शिक्षक, पत्रकार और राजनेता. 

राजनीति में सक्रियता की कोई उम्र नहीं होती. मोहन भागवत का बयान शायद पद या कुर्सी को लेकर हो सकता है, लेकिन सक्रियता उम्र नहीं देखती." जब उनसे उनके राजनीतिक भविष्य के बारे में पूछा गया तो उमा भारती ने दो टूक जवाब दिया- "मैं अभी 15 से 20 साल और राजनीति करूंगी. और अगर मन हुआ तो चुनाव भी लड़ूंगी." उमा भारती ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए दावा किया कि उन्हें और उनके परिवार को हर सरकार के दौर में प्रताड़ित किया गया. बिना किसी पार्टी का नाम लिए उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर सवाल उठाए. 

उन्होंने कहा, "1990 से 1992 के बीच मुझे सरकारी तंत्र से प्रताड़ना झेलनी पड़ी. 2013 में व्यापमं घोटाले के समय भी मेरा नाम घसीटा गया. मानसिक तौर पर बहुत यातना दी गई." उन्होंने जांच एजेंसियों के कामकाज पर भी सवाल उठाए और कहा कि सीबीआई को यह साफ करना चाहिए कि उनका नाम व्यापमं घोटाले से क्यों जोड़ा गया. उन्होंने यह भी पूछा कि कहीं उनके नाम की आड़ में असली दोषियों को तो नहीं बचाया गया? उमा भारती ने यह भी घोषणा की कि अब वे अपने परिवार से पूरी तरह अलग हो रही हैं और गंगा शुद्धिकरण, गौ-संरक्षण और शराबबंदी जैसे मुद्दों पर संघर्ष जारी रखेंगी. उन्होंने इन मुद्दों को अपनी प्राथमिकता बताया. 

गंगा सफाई और गाय संरक्षण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार प्रयास कर रही हैं, लेकिन अब और ठोस और सख्त कदमों की जरूरत है. शराबबंदी पर भी उन्होंने कहा कि सरकार को इस दिशा में कठोरता दिखानी चाहिए. मुख्यमंत्री मोहन यादव की तारीफ करते हुए उमा भारती ने कहा, "वो पढ़े-लिखे और अच्छे प्रशासक हैं, अच्छा काम कर रहे हैं." वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दौर को याद करते हुए उन्होंने कहा, "उस समय मुकाबला करने की बात होती थी, लेकिन कई बार 'बचाओ, बचाओ' जैसा माहौल बन जाता था. सहानुभूति भी मिलती थी."

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