G News 24 : "बदलते सुरक्षा कवच और तकनीक निगरानी ने सिस्टम को बनाया पारदर्शी"

  बैरियर्स पर अवैध वसूली की शिकायतों में भी कमी आई है...

"बदलते सुरक्षा कवच और तकनीक निगरानी ने सिस्टम को बनाया पारदर्शी"

देशभर में परिवहन व्यवस्था को पारदर्शी और भ्रष्टाचार-मुक्त बनाने के लिए सरकारों द्वारा कई प्रयास समय-समय पर किए जाते रहे हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही पहलें ज़मीन पर उतर पाती हैं। हाल ही में आरटीओ बैरियर्स (RTO Barriers) पर तकनीक के सहयोग से की गई एक सख्त पहल ने दोहराया है कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक ईमानदारी साथ हो, तो बदलाव संभव है। बॉडी वार्मर कैमरे के साथ कर्मचारियों का आरटीओ बैरियर पर तैनाती से राजस्व में वृद्धि, एवं ओवरलोडिंग पर लगी लगाम ! 

लंबे समय से ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए यह कटु सत्य रहा है कि ऑडियो बैरियर्स पर आरटीओ या अन्य अधिकारियों द्वारा की जाने वाली अवैध वसूली ने ईमानदार परिवहन व्यवसायियों के लिए मुसीबत खड़ी कर रखी थी।  स्थितियह न केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता था, बल्कि राजस्व को भी नुकसान पहुंचाता था। मगर हालिया रिपोर्टों के अनुसार, इन बैरियर्स पर अवैध वसूली की शिकायतों में काफी गिरावट आई है।

इस बदलाव के पीछे मुख्य वजह है – बॉडी वार्म कैमरों से लैस कर्मचारियों की तैनाती। अब जब हर गतिविधि रिकॉर्ड हो रही है, तो न केवल अधिकारियों की जवाबदेही तय हो रही है, बल्कि ट्रक/वाहन चालकों को भी सुरक्षा की भावना मिल रही है।

राजस्व में वृद्धि, ओवरलोडिंग पर नियंत्रण

जहां पहले अवैध वसूली के नाम पर सरकारी राजस्व की बड़ी हिस्सेदारी गायब हो जाती थी, वहीं अब इन निगरानी युक्त कैमरों के चलते सरकारी राजस्व में वृद्धि दर्ज की जा रही है। साथ ही, ओवरलोडिंग जैसे जानलेवा कृत्यों पर भी नियंत्रण पाया गया है, क्योंकि अब बैरियर पर कर्मी सिर्फ घूस लेकर वाहन को आगे नहीं बढ़ा सकते — उन्हें हर कार्रवाई कैमरे की निगरानी में करनी होती है।

फिलहाल तो इस प्रकार की व्यवस्था के चलते परिवहन विभाग और मोहन सरकार के इस कार्य की सभी जगह सराहना हो रही है। क्योंकि अब बे-वजह वाहन ना रोके जाने से वाहन चालकों का समय और पैसा बच रहा है। इतना ही नहीं ऑनलाइन चालान जमा होने के कारण सरकार के खजाने में भी अच्छा-खासा राजस्व जमा हो रहा है।  इसलिए वाहन मालिक-चालक और सरकार सभी खुश लग रहे हैं।

ये व्यवस्था इसी प्रकार चलती रहे और इसमें पूरी पारदर्शिता बनी रहे, इसके लिए हमारी टीम इस रियल्टी चैक को जारी रखेगी। इस पर हमारी लगातार नजर बनी रहेगी, और हमें यदि कहीं कुछ गलत लगेगा या गलत होता दिखेगा तो उसे भी हम अपने चैनल के माध्यम सभी के सामने जरूर उजागर करेंगे। 

तकनीक आधारित जवाबदेही: एक नया युग

बॉडी वार्म कैमरे केवल रिकॉर्डिंग के उपकरण नहीं हैं, वे अब एक मनोवैज्ञानिक दबाव भी बन चुके हैं, जिससे अधिकारी सजग रहते हैं और कार्यप्रणाली में अनुशासन आता है। ये कैमरे न सिर्फ वसूली के मामलों में सबूत बनते हैं, बल्कि अधिकारी और ट्रांसपोर्टर के बीच पारदर्शिता भी सुनिश्चित करते हैं।

आगे की राह: और भी सुधार की गुंजाइश

हालांकि यह पहल एक सकारात्मक शुरुआत है, लेकिन इस प्रणाली को और बेहतर बनाने के लिए अभी भी कई बिंदुओं पर काम किया जा सकता है। जैसे, कैमरा फुटेज की नियमित ऑडिटिंग, शिकायत निवारण के लिए डिजिटल पोर्टल की स्थापना, और कर्मचारियों के प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।

जहां इच्छा, वहां राह — यह कहावत आरटीओ बैरियरों पर तकनीक आधारित निगरानी की पहल पर सटीक बैठती है। यह बदलाव बताता है कि यदि सरकारें ईमानदारी से काम करें और तकनीक को सहयोगी बनाएं, तो भ्रष्टाचार पर नकेल कसना नामुमकिन नहीं है।अब वक्त आ गया है कि इस मॉडल को अन्य राज्यों और विभागों में भी अपनाया जाए, ताकि सरकारी तंत्र जनता का विश्वास पुनः अर्जित कर सके। क्योंकि पारदर्शिता ही अच्छे शासन की नींव होती है।

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