G NEWS 24 : सरकार किसी मुद्दे पर कोई बुनियादी ढांचा तैयार नहीं कर पाती है, तो कोर्ट का हस्तक्षेप गलत नहीं : जस्टिस सिंह

यौन उत्पीड़न महिलाओं के लिए सबसे बड़ा खतरा...

सरकार किसी मुद्दे पर बुनियादी ढांचा तैयार नहीं बनाती है, तो कोर्ट का हस्तक्षेप गलत नहीं : जस्टिस सिंह

सुप्रीम कोर्ट के जज एन कोटिश्वर सिंह ने एक कार्यक्रम में कहा कि अगर सरकार किसी जरूरी मुद्दे पर कोई बुनियादी ढांचा तैयार नहीं कर पाती, तो इसमें कोई बुराई नहीं कि कोर्ट खुद रास्ता दिखाए। उन्होंने यह बात दिल्ली हाई कोर्ट में महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों के लिए बने नए डिजिटल पोर्टल के लॉन्च के मौके पर कही।

जस्टिस सिंह ने कहा कि अक्सर कोर्ट पर यह आरोप लगता है कि वह कानून बनाने वाले संसद या विधानसभाओं के काम में दखल देता है। लेकिन सच ये है कि जब सरकारें जरूरी कानून या व्यवस्था नहीं बना पातीं, तो कोर्ट को दखल देना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह हमारी न्याय प्रणाली का हिस्सा बन चुका है, जहां कोर्ट समय-समय पर दिशा-निर्देश देकर स्थिति संभालता है।

कार्यक्रम के दौरान जस्टिस सिंह ने कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं को सुरक्षित माहौल मिलना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि जहां महिलाओं को डर और असुरक्षा का माहौल मिलेगा, वहां उनकी रचनात्मकता और दक्षता प्रभावित होती है। उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल में महिलाओं के लिए आरक्षण का भी उदाहरण दिया और बताया कि यह कोई कानून बनाकर नहीं, बल्कि कोर्ट के फैसले से संभव हुआ।

जस्टिस सिंह ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न न केवल उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह उनके काम की क्षमता पर भी असर डालता है। यह हमारे संविधान में निहित समानता, स्वतंत्रता और न्याय के मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधों पर सख्त कार्रवाई जरूरी है ताकि समाज में महिलाओं को बराबरी का स्थान मिल सके।

जस्टिस सिंह ने खुशी जताते हुए कहा कि जिला न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। उन्होंने मजाक में कहा कि जिस तरह से महिलाओं की भर्ती हो रही है, ऐसा लगता है कि पुरुषों की संख्या कम होती जाएगी। उन्होंने इसे देश में महिलाओं की स्थिति में आ रहे सकारात्मक बदलाव का संकेत बताया।

दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डी के उपाध्याय ने कहा कि सिर्फ "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" की बात करने से काम नहीं चलेगा, अब "बेटी बचाओ, बेटा पढ़ाओ" पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि लड़कों को भी महिलाओं के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता सिखाने की जरूरत है। यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर समाज अक्सर चुप्पी साध लेता है, जिसे तोड़ना बेहद जरूरी है।

कार्यक्रम में हाई कोर्ट की जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि यह डिजिटल पोर्टल यौन उत्पीड़न की शिकायतों के निपटारे में पारदर्शिता और सुविधा लाएगा। अब कोई भी शिकायत सीधे संबंधित आंतरिक समिति तक पहुंचेगी। इससे पीड़ितों को न्याय पाने में आसानी होगी और कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

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