बड़े स्तर पर हो रहा था विरोध...
हिंदी की अनिवार्यता पर महाराष्ट्र में मचा बवाल !
महाराष्ट्र सरकार ने थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी के तहत तीसरी भाषा के रूप में हिंदी की अनिवार्यता से जुड़े सरकारी आदेश का वापस ले लिया है. सरकार का कहना है थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी की समीक्षा और क्रियान्वयन के लिए एक समिति का गठन किया गया है. इस समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही राज्य में थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी को लागू किया जाएगा. बता दें, महाराष्ट्र में पहले थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी के तहत कक्षा एक से पांच तक तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को पढ़ाए जाने को अनिवार्य किया था, जिसके बाद इसका विरोध शुरू हो गया था.
थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी को पहली बार शिक्षा आयोग (1964-66) ने प्रस्तावित किया था, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने 1968 में अपनाया था. इसके बाद राजीव गांधी के कार्यकाल में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 1968 में थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी की पुष्टि की गई थी. हालांकि, 1992 में नरसिम्हा राव की सरकार में इसमें संशोधन किया, जिसके बाद इस फॉर्मूले में तीन भाषाओं को शामिल किया गया. ये तीन भाषाएं थीं- मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा, आधिकारिक भाषा (अंग्रेजी) और एक आधुनिक भारतीय या यूरोपीय भाषा.
बता दें, अभी तक महाराष्ट्र में कक्षा एक से पांच तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाना अनिवार्य नहीं था. हालांकि, सरकार ने अपने संशोधित आदेश में कहा था कि मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवी कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा, जिसका बड़े स्तर पर विरोध हो रहा था. दरअसल, थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी के तहत उठा यह विवाद पहला मामला नहीं है. इससे पहले तमिलनाडु सरकार भी इसको लेकर केंद्र सरकार को घेर चुकी है. ऐसे में चलिए जानते हैं थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी क्या है और इसमें क्या कहा गया है?
इस दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिक्षाविद् नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन की भी घोषणा की, जो भाषा नीति के कार्यान्वयन और आगे की राह सुझाएगी। सीएम फडणवीस ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के तौर पर उद्धव ठाकरे ने कक्षा 1 से 12 तक तीन-भाषा नीति लागू करने के लिए डॉ. रघुनाथ माशेलकर समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था और नीति कार्यान्वयन पर एक समिति गठित की थी। फडणवीस ने कहा, "राज्य मंत्रिमंडल ने त्रिभाषा नीति के क्रियान्वयन के संबंध में अप्रैल और जून में जारी सरकारी संकल्प (जीआर) को कक्षा एक से वापस लेने का फैसला किया है।
त्रिभाषा फार्मूले के क्रियान्वयन की सिफारिश करने के लिए डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन की भी घोषणा की।" बता दें कि फडणवीस सरकार ने 16 अप्रैल को एक सरकारी आदेश जारी किया था, जिसमें अंग्रेजी और मराठी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाया गया था। इसके विरोध के बीच, सरकार ने 17 जून को संशोधित सरकारी आदेश जारी कर हिंदी को वैकल्पिक भाषा बना दिया था।
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