G News 24 : स्वतंत्रता के प्रहरी और दूसरों के न्याय के लिए संघर्षरत पत्रकारों का असुरक्षित होता जीवन !

 सत्ता, पुलिस और प्रभावशाली लोगों की आलोचना करने पर पत्रकारों का होता है दमन ...

स्वतंत्रता के प्रहरी और दूसरों के न्याय के लिए संघर्षरत पत्रकारों का असुरक्षित होता जीवन !

भारत की आज़ादी की लड़ाई में जिस तरह स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी, उसी तरह समाचार पत्रों,न्यूज चैनलों और अब डिजिटल मीडिया के पत्रकारों ने भी अपनी कलम से क्रांति की मशाल जलाई। लेकिन दुर्भाग्यवश, आजादी के इतने वर्षों बाद भी पत्रकारों को वह सम्मान, सुरक्षा और स्वतंत्रता नहीं मिल पाई है, जिसके वे हकदार हैं। 

आज का पत्रकार सच्चाई सामने लाने के लिए हर जोखिम उठाता है—भ्रष्टाचार, अपराध, सरकारी लापरवाही और सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज़ बुलंद करता है—फिर भी जब वही पत्रकार झूठे मामलों में फँसाए जाते हैं या हमलों का शिकार होते हैं, तो उनके लिए न्याय की आवाज़ उठाने वाला कोई नहीं होता। 

सत्ता, पुलिस और प्रभावशाली लोगों की आलोचना करने पर पत्रकारों को दमन और धमकियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी निजी और पारिवारिक जिंदगी भी संकट में आ जाती है। कई पत्रकार आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, तो कई असमय अपनी जान गंवा चुके हैं। यह विडंबना है कि जो कलम समाज को दिशा देती है, वही आज खुद न्याय और सम्मान के लिए जूझ रही है। पत्रकारों को केवल 'चौथा स्तंभ' कह देने से नहीं, बल्कि उन्हें सुरक्षा, स्वतंत्रता और गरिमा देना ही सच्चे लोकतंत्र की पहचान होगी।

Reactions

Post a Comment

0 Comments