G NEWS 24 : 90 डिग्री कोण वाले रेलवे ओवर ब्रिज के मामले में 7 इंजीनियर निलंबित !

सभी इंजीनियरों के विरुद्ध होगी विभागीय जांच...

90 डिग्री कोण वाले रेलवे ओवर ब्रिज के मामले में 7 इंजीनियर निलंबित !

भोपाल। देशभर में शर्मिंदगी का कारण बने भोपाल के ऐशबाग क्षेत्र का 90 डिग्री कोण वाले रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) के मामले में मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए शनिवार को देर रात लोक निर्माण विभाग (PWD) के सात इंजीनियरों को निलंबित कर दिया। इसमें दो मुख्य अभियंता भी शामिल हैं। सेवानिवृत्त हो चुके तत्कालीन अधीक्षण यंत्री एमपी सिंह भी दोषी पाए गए हैं। इन सभी के विरुद्ध विभागीय जांच होगी। वहीं, निर्माणकर्ता एजेंसी मेसर्स पुनीत चढ्ढा और डिजाइन बनाने वाली सलाहकार एजेंसी मेसर्स डायनमिक कंसल्टेंट को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक्स पर पोस्ट कर कार्रवाई की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि आरओबी में आवश्यक सुधार के लिए कमेटी बनाई गई है। सुधार के बाद ही आरओबी का लोकार्पण किया जाएगा। 

बता दें कि मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेकर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इससे पहले लोक निर्माण विभाग का मंत्री राकेश सिंह ने एनएचएआइ से जांच कराई थी। इसमें तकनीकी रूप से खामी सामने आई थी। लोक निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई ने बताया कि दोषी इंजीनियरों के विरुद्ध विभागीय जांच होगी। आरोप पत्र जारी करने के लिए समिति का गठन किया जा रहा है। वहीं, रेलवे से समन्वय बनाने के लिए भी समिति बनाई है, जो डिजाइन और सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाला काम देखेगी। सभी निलंबित इंजीनियरों का निलंबन अवधि में मुख्यालय प्रमुख अभियंता कार्यालय रहेगा। अधिकारी तत्कालीन पद संजय खांडे, मुख्य अभियंता ब्रिज एमपी सिंह, तत्कालीन अधीक्षण यंत्री डिजाइन शबाना रज्जाक, प्रभारी कार्यपालन यंत्री डिजाइन शानुल सक्सेना, सहायक यंत्री डिजाइन आरोप, रेलवे से सहमति प्राप्त किए बिना 16 दिसंबर 2021 को जनरल अरेजमेंट ड्राइंग का अनुमोदन किया। 

जीपी वर्मा- प्रभारी मुख्य अभियंता ब्रिज जावेद शकील- प्रभारी कार्यपालन यंत्री ब्रिज संभाग भोपाल रवि शुक्ला- प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी भोपाल मंडल उमाशंकर मिश्रा- उपयंत्री ब्रिज संभाग भोपाल आरोप--रेलवे से समन्वय न करते हुए बिना सहमति के जनरल अरजमेंट ड्राइंग अनुमोदन के अनुरूप कार्य संपादन किया जाना। लोक निर्माण और रेलवे खेलते रहे कागज-कागज 2022 से आरओबी के बनने तक लोक निर्माण विभाग और रेलवे कागज-कागज खेलते रहे, निरीक्षण करते रहे और यह अजूबा आरओबी भी बनता रहा। किसी को 90 डिग्री कोण नजर नहीं आया। जहां सर्कुलर (गोल) पियर बनना था, वहां दीवार जैसा पियर बना दिया। कई बार पत्र लिखकर लोक निर्माण विभाग ने डिजाइन परिवर्तन की बात उठाई तो अप्रैल 2024 में रेलवे ने पत्र लिखकर आपत्ति जताई और कहा कि आलोचना होगी और इससे इंजीनियरों की छवि खराब होगी। देशभर में जमकर आलोचना हुई तो जांच कराकर रिपोर्ट तैयार करवा ली गई। ब्रिज 2018 में स्वीकृत हुआ और 2022 में काम प्रारंभ हुआ। 

शुरुआत से ही ब्रिज विवादों में घिरा रहा। प्रारंभ में रेलवे और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने संयुक्त निरीक्षण किया और 45 डिग्री कोण निर्धारित करते हुए आरओबी बनाने पर सहमति हुई लेकिन पूरा निर्माण रेलवे की भूमि पर हो रहा था इसलिए उसने असहमति जताई। इसके कारण निविदा प्रक्रिया रुक गई। सितंबर 2020 में रेलवे के अधिकारियों के साथ संयुक्त भ्रमण कर नई डिजाइन से आरओबी निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया गया। इसमें मेट्रो रेल के डिजाइन को ध्यान में रखते हुए आपसी सहमति से सीमेंट कंक्रीट के सर्कुलर पियर के निर्माण को आधार मानकर डिजाइन तैयार की गई। परियोजना के क्रियान्वयन के पहले रेलवे को की विसंगतिपूर्ण डिजाइन के कारण पियर के गलत स्थान के कारण उसके मेट्रो की लाइन के पास पहुंचने, सर्कुलर पियर को वाल टाइप करने, पियर कैप पर लोक निर्माण विभाग के पेडेस्टल को स्थान नहीं देने की बात अप्रैल और मई 2023 में पत्र लिखकर रेलवे को दी गई लेकिन उसने डिजाइन में कोई परिवर्तन नहीं किया। 

काम चलता रहा, जिसका परिणाम यह हुआ कि लोक निर्माण विभाग का एकरेखण (एलाइनमेंट) मेट्रो की ओर होने लगा। विभाग ने डिजाइन रेलवे के चीफ इंजीनियर को भी भेजी। अप्रैल 2024 में रेलवे ने लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखा, जिसमें बताया कि बरखेडी की ओर पुल का उचित और एप्रोच का कनेक्शन उचित नहीं है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि एप्रोच और रेलवे का भाग लगभग समकोण पर मिल रहे हैं, जो न तो कार्यात्मक आवश्यकता को पूरा कर रहे हैं और न ही सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित है। इससे सड़क उपयोगकर्ताओं और जनता के बीच आलोचना होगी। जनता में इंजीनियरों की खराब छवि बनेगी। प्रभारी एसडीओ के भरोसे काम- ब्रिज का पूरा काम प्रभारी एसडीओ रवि शुक्ला देख रहे थे। सतत निरीक्षण की जिम्मेदारी इनकी ही थी लेकिन इन्होंने अपना दायित्व ही नहीं निभाया।

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